‘प्रयुक्ति’ के संवेदनहीन मालिक संपथ की कुछ कहानियां पढ़िए

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Mukund Mitr : प्रयुक्ति के संवेदनहीन संपथ की पढ़िए कहानियां… 1- सन्तोष कुमार पांडेय का किस्सा यह लड़का करोलबाग से नोएडा ऑफिस डी 33 सेक्टर 2 आने के बाद बतौर पियून भर्ती किया गया। इस गरीब लड़के का करीब 16 हज़ार रुपये बकाया है। इसने सम्पथ के कुत्ते की टट्टी तक उठाई है। इसने पैसा नहीं दिया। मकान मालिक ने इसके घर पर ताला बंद कर दिया।

बेचारा गर्भवती बीवी को लेकर दफ्तर बैठा रहा। सम्पथ का दिल नहीं पसीजा। इस बीच सन्तोष को संतान की प्राप्ति हुई। तब भी सम्पथ और इसके गुनाहों का राजदार विनय गुली इसके ऊपर तरस नहीं खाये। तीन चेक दिए हैं । बेचारा रोज चक्कर लगाता है। सम्पथ के खाते में पैसा ही नही। विनय इसका फ़ोन ही नही उठाता। संतोष को सम्पथ ने कहा है पुलिस उसका बाल बांका नहीं बिगाड़ नहीं सकती। इसलिए संतोष तू खामोश रहना।

चेक बाउंस होने पर कर्मियों ने संपथ को कोर्ट खींच लिया… ये तस्वीर दिल्ली के एक कोर्ट की है.

2- दुर्गेश झा का किस्सा झा को नोएडा में रिपोर्टर रखा गया। इनके बिहार में रहने वाले पिता जी का दिल्ली में निधन हो गया। पिता का शव बिहार ले जाना था। तब भी सम्पथ ने वेतन रिलीज़ नहीं किया। इससे बड़ी अमानवीयता क्या हो सकती है सम्पथ और विनय।

3-सुनील कुमार का किस्सा इन्हें अनामिका सिंह की जगह एजुकेशन बीट पर लाया गया। इनके पिता कैंसर से पीड़ित हो गए। उन्हें मुम्बई ले जाया गया। पर सम्पथ ने आज तक चार आने सुनील को नहो दिए।

4-अरुण शर्मा का किस्सा  इनका बेटा गम्भीर रूप से बीमार हुआ। यह वेतन के लिए गिड़गिड़ाते रहे। सम्पथ और विनय ने वेतन नहीं दिया। यह बेचारे असहाय हो गए। एक साथी ने 4500 रूपये दिए। पर प्रयुक्ति से धेला नहीं मिला। चेक लिए घूम रहे हैं

5-मनोज अग्रवाल यह स्कैनिंग सँभालते थे। बीमार पड़े। घुटनो ने काम करना बंद कर दिया। इलाज के लिए अपना वेतन माँगा। नहीं दिया। काफी गिड़गिड़ाने पर चेक दिया। बाउंस कर गया। मनोज ने कोर्ट से नोटिस भिजवाया है।

इसकी कहानियां तो और भी हैं। सम्पथ ने दो चेक दो पूर्व कर्मचारियों दुष्यंत शर्मा और हीरेन्द्र को भी दिए हैं। ये 15 नवम्बर 2018 के हैं। इसके लिए सम्पथ को 9 अक्टूबर को सेक्टर 20 थाने में कई घंटे बैठना पड़ा। तब लिखित समझौता कर बाहर निकल सका। इसके गुनाहों का भागीदार विनय गुली थाने से बाहर अपनी कार में बैठा फ़ोन पर मुझसे गिड़गिड़ाता रहा मैं दुष्यंत का सम्पथ से समझौता करा दूँ।

यह सच्ची कहानियां हैं। अब डी 52 सेक्टर वाला ऑफिस कई दिन से नहीं खुला। मकान मालिक भी त्रस्त हैं। कई बार ताला लगा चुके हैं किराये के चेक बाउंस होने पर। अब सम्पथ और विनय वेतन मांगने वालों से कह रहे हैं मैंने इनके फाइनेंस रों को फ़ोन करके पैसा देने के लिए मना कर दिया है। यह सरासर झूठ है

हाँ मैंने विनय कुमार गुली के पिता को जरूर फोन कर सम्पथ की कहानी बताई है।

सम्पथ और विनय कान खोलकर सुन लो। मैं हर मंच पर आपके अवैधानिक क्रियाकलाप को उठाऊंगा। इससे मुझे तुम दोनों नहीं रोक सकते। और अगर इस दौरान मेरे और मेरे परिवार पर किसी भी तरह का हमला होता है और जान माल की हानि होती है तो उसके लिए तुम दोनों और तुम्हारे कथित सहयोगी जिम्मेदार होंगे।

नोट-इस फोटो में सम्पथ आगे है। पीछे इसका ड्राइवर सुभाष है। यह व्यक्ति सम्पथ के साथ शुरू से है।


उमाशंकर सिंह परमार : प्रयुक्ति जैसे अखबार और संपत जैसे मालिक सरकार और कानून की नाक के नीचे शोषण और अमानवीयता की हदें तोडते हैं कानून और पुलिस मुँह मे दही जमाकर बैठे रहते हैं। बडे भाई Mukund Mitr और भडास मीडिया में छपी खबरों से इस अखबार मालिक के अमानवीय कुकृत्यों का पता चला।

मोदी और केजरीवाल की पुलिस और प्रशासन क्या कर रहा है ? कि दोनो दलों को इसका मालिक खरीद चुका है? एक महीने से वहाँ के कर्मचारी और संपादक चीख रहे हैँ बिलख रहे हैं अभी तक कोई कार्यवाही नही ? मुकुन्द भाई आपकी लास्ट स्टोरी ने विचलित कर दिया। इसका मालिक कोई खुदा नही है सब लोग मिलकर इसका पहले अभिवादन करिए फिर मानवाधिकार आयोग, वगैरा वगैरा जाकर इसकी धज्जियाँ उड़ाइए।

प्रयुक्ति अखबार में संपादक रहे मुकुंद मित्र और उमाशंकर सिंह परिहार की एफबी वॉल से.

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