hello yashwant sir, सर मैं गुजरात से चलने वाले गुजराती चैनल संदेश में कार्यरत हूं। सर हमारे यहां एक पत्रकार ऐसा भी है जो बहुत सीनियर हैं। लेकिन उनकी हरकतों की वजह से चैनल का जूनियर स्टाफ काफी परेशान हैं क्योंकि वो अपने खाने पीने के लिए जूनियर स्टाफ का इस्तेमाल करते हैं। जैसे कि खाना खाना हो तो किसी जूनियर को साथ ले लेते हैं और पैसे बेचारे जूनियर को चुकाने पड़ते हैं।
मैं भी उनकी इस कारगुजारी का कई बार शिकार हुआ। लेकिन फिर सोचा अब और नहीं। आपको एक लेख भेज रहा हूं। आप प्रकाशित करेंगे तो समझूंगा मेरी इस मुहिम में आपने मेरा साथ दिया। मेरा नाम प्रकाशित ना हो, आपका आभारी रहूंगा, क्योंकि वो मेरे बॉस है, नौकरी पर खतरा हो सकता है।
धन्यवाद
लेख इस प्रकार है:-
इस पत्रकार को कोई खाना दो
दोस्तों आज आपको मैं उस शख्स के बारे में बताने जा रहा हूं जो अहमदाबाद से चलने वाले गुजराती चैनल संदेश में काम करता है। कहने को तो वो काफी उंची पोस्ट पर है और सैलेरी भी कोई कम नहीं है उसकी, लेकिन उसकी हरकतें काइएं जैसी है। मैं बात कर रहा हूं संदेश चैनल में काम कर रहे मिस्टर एबीसी (नाम बदल दिया गया है) की. मिस्टर एबीसी, मैं यह लेख तुम्हें सचेत करने के लिए लिख रहा हूं कि बस अब और नहीं। तुम्हारी इसनी सैलेरी होने के बाद भी तुम हम जैसे जूनियर कर्मचारियों को लंच या डिनर करवाने के लिए ढ़ूंढते रहते हो। तुम हमेशा इस जुगत में रहते हो कि कोई तुम्हें फ्री में खाना खिला दे, सिगरेट पिला दे।
सुनने में आता है कि तुम जब ‘जानो दुनिया’ में काम करते थे तब भी तुम्हारा यही हाल था। तब भी तुम उन लोगों को खोजते थे जो तुम्हें खाना फ्री में खिला दे। माना कि ‘जानो दुनिया’ में सेलेरी की परेशानी थी लेकिन यहां तो ऐसा कुछ नहीं है तो फिर ऐसा क्यों। अब मैं यह मान चुका हूं कि यह मुफ्तखोरी तुम्हारी फितरत में ही है। तुम हो ही नीच। जो दूसरे का पैसा ही खा सकता है। लेकिन मिस्टर एबीसी तुम एक बात जान लो तुम्हारी यह हरकत यहां ज्यादा दिन नहीं चलने वाली। अब लोग अपनी आवाज़ बुलंद करने वाले हैं। क्या तु्म्हें कभी शर्म नहीं आती तुम जब जूनियर्स के साथ खाना खाने जाते हो और फिर खाना खाने के बाद कभी अपनी जेब में हाथ नहीं डालते। अरे दूसरे के पैसे से कब तक दिवाली मनाओगे। यह मुफ्तखोरी जीवन में तुम्हें बहुत महंगी पड़ेगी, देख लेना तुम। मैं भड़ास के पाठकों को बता दूं कि यह मिस्टर एबीसी जिस चैनल में भी काम करता है वहां अपने कुछ गुर्गे बनाता है और उन गुर्गों को यूज़ करता है। यह इनसान इतना कंजूस और काइयां है कि जूनियर्स के पैसे पे ही लंच और डिनर करता है और वो भी बेशर्मी से। कभी बोलता है “अरे पैसे दे दो, अभी है नहीं मेरे पास, बाद में तुमको दे दूंगा” लेकिन वो बाद कभी आता नहीं। जूनियर्स भी डर के मारे इसे खिलाते रहते हैं कि बॉस है, कहीं कुछ कर न दे। मिस्टर एबीसी इस तरह से जूनियर्स का शोषण करना बंद कर दो। अरे इतने पैसे कहां लेकर जाओगे तुम। बस इतना ही कहना चाहता हूं कि थोड़ी तो शर्म करो बेशर्म।
एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.
Comments on “गुजरात के इस बेशर्म टीवी पत्रकार को कोई खाना दो”
कोल्हापूर (महाराश्ट्र) में दैनिक पुढारी में ऐसेही एक शख्स हैl सेम टू सेम l उन्हे वस्ताद के नाम से जाना जाता है l चैनल संदेशके महामहीम के जुडवा भाई कहे तो भी चलेगा l ज्युनिअर्स और स्ट्रिंजर रिपोर्टर्स को हमेशा बकरा बनाते है l ये महाशय ज्योतिषविद्या के पारंगत माने जातै है l
Is this Maulik Dave?
अाप लोग एक रास्ता अपना सकते हैं,हररोज एक व्यकित उसके धर खाने के समय पहोंच जाओ और शर्म छोड़ कर उसके साथ खाने बैठ़ जाए अगर अापसे खाने के लिए न पुछे तो सामने से खाना मांग लो।हर एक जगह एसे भीखमंगे होते ही है।2