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खनन माफियाओं से उत्तराखंड सरकार का याराना! : मलेथा आंदोलन पर लाठीचार्ज, समीर रतूड़ी का जीवन खतरे में

उत्तराखंड के मलेथा में एक युवा सोशल एक्टिविस्ट और पर्यावरणविद समीर रतूड़ी सात दिनों से अन्न जल त्यागे हुए हैं. करीब छह स्टोन क्रशर स्थानीय लोगों की जमीन पर कब्जा जमाकर इलाके में खनन का काम कर रहे थे. इन खनन माफियाओं से इस युवा ने लोहा लिया और सात में से छह स्टोन क्रशर बंद करा दिया है. उत्तराखंड पुलिस ने खनन माफियाओं के प्रति अपनी पक्षधरता दिखाते हुए स्टोन क्रशर बंद कराए जाने की खुन्नस निकालने के लिए समीर रतूड़ी और उनके आंदोलनकारी स्थानीय ग्रामीण साथियों को बुरी तरह पीट डाला.

पुलिस उत्पीड़न के निशान दिखाते समीर रतूड़ी

उत्तराखंड के मलेथा में एक युवा सोशल एक्टिविस्ट और पर्यावरणविद समीर रतूड़ी सात दिनों से अन्न जल त्यागे हुए हैं. करीब छह स्टोन क्रशर स्थानीय लोगों की जमीन पर कब्जा जमाकर इलाके में खनन का काम कर रहे थे. इन खनन माफियाओं से इस युवा ने लोहा लिया और सात में से छह स्टोन क्रशर बंद करा दिया है. उत्तराखंड पुलिस ने खनन माफियाओं के प्रति अपनी पक्षधरता दिखाते हुए स्टोन क्रशर बंद कराए जाने की खुन्नस निकालने के लिए समीर रतूड़ी और उनके आंदोलनकारी स्थानीय ग्रामीण साथियों को बुरी तरह पीट डाला.

पुलिस उत्पीड़न के निशान दिखाते समीर रतूड़ी

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हरीश रावत सरकार के काबीना मंत्री दिनेश धनै पर खनन माफियाओं को संरक्षण देने का आरोप है. दिनेश धनै पर खुद हरीश रावत का हाथ है. ऐसे में अगर खनन माफियाओं का यार होने का आरोप सीएम हरीश रावत पर लग रहा है तो उसमें दम दिख रहा है.

आंदोलनकारी समीर रतूड़ी का फेसबुक पेज, जहां उन्होंने नौ घंटे पहले यह सूचित किया है कि अन्न जल त्यागने से उनको किस तरह की दिक्कत हो रही है. साथ ही उन्होंने पुलिस प्रशासन के रोल पर भी प्रकाश डाला है कि कैसे वे लोग अब सौदेबाजी पर उतारू हैं. समीर ने हिमालय बचाओ आंदोलन के साथियों से मलेथा पहुंचने की अपील की है.

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इसके बाद दोषी पुलिस वालों की बर्खास्तगी और सातवां स्टोन क्रशर भी बंद कराने के लिए समीर रतूड़ी ने अन्न जल त्याग दिया. उनके आमरण अनशन को आज सात रोज हो गए. समीर का स्वास्थ्य बुरी तरह बिगड़ रहा है. मैंने टिहरी के कमिश्नर, डीएम और एसपी को फोन मिलाया. कमिश्नर और डीएम ने फोन नहीं उठाया लेकिन एसपी से बातचीत हुई. उनसे मैंने कहा कि अगर सात दिनों से अन्न-जल त्यागे समीर रतूड़ी को कुछ हो गया तो पूरा पहाड़ जल उठेगा. इसकी पूरी जिम्मेदारी उत्तराखंड पुलिस और प्रशासन की होगी. एसपी ने अपना पक्ष देर तक रखा और बताया कि मजिस्ट्रेटी जांच चल रही है, मध्यस्थता की कोशिश हो रही है, समीर रतूड़ी जी के स्वास्थ्य पर हमेशा नजर रखने के लिए डाक्टर नियुक्त किए गए हैं आदि आदि.

दोस्तों, आप सभी से अपील है कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत को एक्सपोज करने में जुट जाएं. यह परम कूटनीतिज्ञ और घाघ कांग्रेसी नेता उत्तराखंड के खनन माफियाओं के हाथों बिक चुका है. अगर ऐसा नहीं होता तो वह सुलग रहे मलेथा में जाकर खुद पूरे मामले का हल खोजता और स्थानीय लोगों के दुख-सुख को समझने की कोशिश करता. पर जैसा कि आप सब जानते हैं कि पहाड़ी इलाकों की ब्लैकमनी का सबसे बड़ा स्रोत अवैध खनन होता है और इस अवैध खनन के माफिया लोग इलाके के सबसे बड़े मुखिया यानि प्रदेश के सीएम को ओबलाइज कर मुंह व आंख बंद रखने को मजबूर कर देते हैं. तो इस समय अंधा, गूंगा और बहरा हो चुका हरीश रावत पहाड़ की पीड़ा को नहीं देख सुन समझ पा रहा है. हरीश रावत जैसे घटिया राजनेता को शेम शेम कहना बनता है.

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मेरा समीर रतूड़ी से परिचय ज्यादा पुराना नहीं है. करीब डेढ़ दो बरस पहले मैं समीर रतूड़ी के नेतृत्व वाले हिमालय बचाओ आंदोलन की पद यात्री टीम का हिस्सा बना था. इसके पीछे मेरा निजी मकसद टूरिज्म था. पहाड़ के इलाकों, गांवों, लोगों को समझने की इच्छा और पर्यटन के प्रति चाहत के कारण इस दल में शामिल हुआ. कई दिनों तक पद यात्रा के दौरान समीर रतूड़ी के व्यक्तित्व को जानने समझने का मौका मिला. दिल्ली में एक मल्टीनेशनल कंपनी में बड़े पद पर कार्यरत रहा यह इमानदार नौजवान अपने इलाके के दुख-सुख के प्रति इतना संवेदनशील है कि इसने खुद के सुखों को त्यागकर गांव घर के समवेत सुख-दुख को अंगीकार कर लिया. छात्र जीवन से ही आदर्शवाद और एक्टिविज्म के प्रति रुझान रखने वाले समीर रतूड़ी आज कम उम्र में ही पहाड़ के गांव गांव में चर्चा का विषय बन चुके हैं. आज के ऐसे अनैतिक बाजारू दौर में जब हर कोई पूंजी के पीछे पागल है और आदर्श, सरोकार, ईमानदारी को बीते हुए जमाने की बात कहता है, समीर रतूड़ी का गांवों में जाकर विकास के नाम पर जल जंगल जमीन छीनने वालों से सामूहिक लड़ाई छेड़ देना बहुत बड़े कलेजे की मांग करता है.

समीर रतूड़ी और उनके आंदोलन को कुचलने के लिए भारी पुलिस बल हमेशा तैयार तैनात रहता है. आंदोलनकारियों को गिरफ्तार करने और धरना खत्म कराने के लिए साजिशें रची जाती हैं. समीर रतूड़ी ने ऐलान कर दिया है कि भले प्राण जाए, बिना आखिरी क्रशर बंद कराए और दोषी पुलिस वालों को बर्खास्त कराए, वह अनशन नहीं त्यागेंगे. उनका कहना है कि वे जल तब ग्रहण करेंगे जब एसपी टिहरी खुद आकर स्पष्ट करें कि कानून जनता के हितों की सुरक्षा के लिये है या जनता पर बर्बरता ढाने के लिए है. समीर ने दोषी अधिकारियों को तुरंत निलबित करने की मांग की है. समीर के साथ अनशनकारी हेमंती नेगी को भी पुलिस ने बुरी तरह पीटा था. वे हॉस्पिटल में भर्ती रहे. वहां उनका जी नहीं लगा तो घायल अवस्था में ही वापस धरना स्थल पर पहुंच गए.

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हेमंत नेगी का कहना है कि पुलिस समीर रतूड़ी को आंदोलन से अलग करने के लिए षड्यंत्र रच रही है. समीर की जान को खतरा है. पुलिस प्रशासन के लोग खनन माफियाओं से मिलकर समीर रतूड़ी की जान लेने की साजिश रच रहे हैं. हेमंत नेगी का कहना है कि उन्होंने इस साजिश के बारे में तब जाना जब अस्पताल ले जाते हुए व अस्पताल में पुलिस कर्मी आपस में बातचीत कर रहे थे. नेगी ने मुख्यमंत्री हरीश रावत से से मांग की है कि अनशनकारियों को पुलिस की साजिश से बचाया जाए. निर्जल अनशन सातवें दिन पहुंच गया है. समीर रतूड़ी ने स्पष्ट कर दिया है कि दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही किए जाने के बाद ही जल ग्रहण किया जाएगा.

आंदोलन को लेकर काबीना मंत्री दिनेश धनै का सबसे खराब रोल रहा. उन्होंने अपने पद को शर्मसार कर दिया. आंदोलन तोड़ने के लिए सरकारी पद पर तैनात महिला आन्दोलनकारी के पति पर प्रेशर डाला. कहा जा रहा है कि स्टोन क्रेशर पर हो रहे नुकसान को नहीं झेल पा रहे काबीना मंत्री. आंदोलनकारियों ने क्रशर माफियाओं से मिलीभगत का आरोप लगाते हुए काबीना मंत्री दिनेश धनै का पुतला भी फूंका. साथ ही हरीश रावत से मांग की कि वे सरकार से ऐसे भ्रष्ट काबीना मंत्री को निकाल बाहर करें.

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इस बीच लगातार गिर रहे स्वास्थ्य को देखते हुए शुभचिंतकों ने समीर रतूड़ी से अपील की है कि वह अन्न जल ग्रहण कर खुद को मजबूत बनाएं ताकि माफियाओं, भ्रष्ट नेता और भ्रष्ट अफसरों के गठजोड़ के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी जा सके. इस पर समीर रतूड़ी ने कहा कि वे सभी साथियों की भावना को स्वीकार करते हें पर उनका निवेदन है कि यह आम जान के हकूक की लड़ाई है, वर्दी की आड़ में गुंडागर्दी के खिलाफ जंग है, आप सब समर्थन जारी रखें और अन्न जल त्यागे रहने के निर्णय से पीछे हटने को प्रेरित करने की बजाय ताकत दें.

अभी अभी खबर मिली है कि अनशनकारी समीर रतूड़ी के स्वास्थ में भारी गिरावट आई है. उन्हें सांस लेने में परेशानी हो रही है. समीर ने खुद को एक कमरे में कैद कर लिया है. बिना जल के सात दिन से बैठने के कारण सांस लेने में हुई दिक्कत. पुलिस बल मलेथा में तैनात है. बाहर से अतिरिक्त पुलिस बल बुला लिया गया है. तीन बस पुलिस बल की अभी अभी आई है. बद्रीनाथ हाईवे जाम हो चुका है.

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दोस्तों, आप लोग समीर रतूड़ी और स्थानीय ग्रामीणों के आंदोलन को सपोर्ट देने के लिए दो काम कर सकते हैं. एक तो इस पोस्ट को शेयर करें, फेसबुक से लेकर ट्विटर तक पर. दूसरे इन नंबरों पर फोन कर कहें कि आखिरी स्टोन क्रशर को बंद कराओ, लाठीचार्ज करने कराने वाले दोषी पुलिस अफसरों को बर्खास्त करो, समीर रतूड़ी की मांगों को मान कर उनके जान की रक्षा करो. नंबर हैं- डीएम टिहरी 07500650000, एसपी टिहरी 09411114544, कमिश्नर 09411300332. इन तीनों से पूछिए कि मलेथा आंदोलन पर लाठीचार्ज करने कराने वाले अफसरों के खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं की जा रही है. अगर ये लोग फोन न उठाएं तो इन्हें ”Shame Shame UK Police, Shame Shame UK Government, Save Sameer Raturi” का मैसेज लिखकर भेजिए.

मलेथा आंदोलन और समीर रतूड़ी के अन्न-जल त्याग के बारे में एक न्यूज चैनल पर यह खबर तीन रोज पहले चली है, क्लिक कर देखें: https://goo.gl/rRUUOv

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भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह के फेसबुक वॉल से. संपर्क: [email protected]

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भड़ास की इस खबर का असर…

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