मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उत्तराखंड के चर्चित जनपक्षधर युवा आंदोलनकारी समीर रतूड़ी का जीवन खतरे में डाला

Prabhat Dhyani‎ : मुख्यमंत्री हरीश रावत वादा निभाओ वादा निभाओ… झूठी घोषणायें करना बन्द करो। आमरण अनशन एवं जल त्याग कर अनशन में बैठे मातृसदन हरिद्वार के स्वामी शिवानन्द जी तथा हिमालय बचाओ आन्दोलन के नेता समीर रतूड़ी जी का जीवन खतरे में। मलेथा में सरकार द्वारा नियम कानूनों को ताक पर लगाये जा रहे स्टोन क्रसर के खिलाफ किये गये आन्दोलन के दौरान ग्रामीणों तथा समीर रतूणी पर लगाये गये मुकदमों को वापिस लेने की मांग को लेकर हिमालय बचाओ आन्दोलन के नेता समीर रतूड़ी का टिहरी जेल के अन्दर आमरण अनशन 22 फरवरी से जारी है उनके स्वास्थ्य में लगातार गिरावट आ रही है वहीं मातृसदन हरिद्वार के स्वामी शिवानन्द जी ने भी गंगा नदी में अवैध खनन के विरोध में अन्न जल त्याग दिया है उनका आरोप है कि मुख्यमंत्री हरीश रावत जी ने उनकी मांगे मान लिये जाने की सार्वजनिक घोषणा के वावजूद इस सम्बन्ध में कोई कार्यवाही नहीं की है।

भड़ास पर खबर आते ही उत्तराखंड सरकार सक्रिय, दोषी पुलिस अफसरों का तबादला, समीर रतूड़ी ने जल ग्रहण किया

उत्तराखंड के मलेथा में खनन माफिया के खिलाफ आंदोलन चला रहे समीर रतूड़ी के आमरण अनशन को लेकर भड़ास4मीडिया पर खबर छपने के बाद उत्तराखंड की हरीश रावत सरकार सक्रिय हो गई. उत्तराखंड सरकार ने दोषी पुलिस वालों पर कार्रवाई की मांग मान ली है. खनन माफिया से अपनी जमीन मुक्त कराने के लिए आंदोलनरत ग्रामीणों और नेतृत्व कर रहे युवा सोशल एक्टिविस्ट व पर्यावरणविद समीर रतूड़ी पर पुलिस ने बर्बर लाठीचार्ज किया था. इसके बाद समीर रतूड़ी ने दोषी पुलिसवालों पर कार्रवाई की मांग को लेकर अन्न जल त्याग दिया.

उत्तरांचल में क्रशर माफिया के हाथों की कठपुतली बना इलैक्ट्रॉनिक मीडिया

क्रशर माफिया से जूझ रहे उत्तरांचल के ग्रामीणों पर लाठीचार्ज हुआ। सीता देवी, हेमंती देवी, दस-दस दिनों तक भूख हड़ताल पर बैठीं, लेकिन अपने को जनता का हितैषी बाताने वाले श्रीनगर, गढ़वाल, उतराखंड के इलैक्ट्रानिक मीडिया ने अपने कैमरे कभी भी इन पीड़ित ग्रामीणों की ओर नहीं घुमाये। घुमाये भी तो उसे प्रसारण के लिए नहीं भेजा। भेजें भी कैसे, नगर के अधिकांश इलैक्ट्रानिक मीडिया के पत्रकार क्रशर माफिया के मित्र जो ठहरे। जी हां  श्रीनगर से लगे टिहरी जिले के मलेथा गांव में जल-जगंल-जमीन के खिलाफ पिछले आठ महीने से एक आन्दोलन चल रहा है।

खनन माफियाओं से उत्तराखंड सरकार का याराना! : मलेथा आंदोलन पर लाठीचार्ज, समीर रतूड़ी का जीवन खतरे में

उत्तराखंड के मलेथा में एक युवा सोशल एक्टिविस्ट और पर्यावरणविद समीर रतूड़ी सात दिनों से अन्न जल त्यागे हुए हैं. करीब छह स्टोन क्रशर स्थानीय लोगों की जमीन पर कब्जा जमाकर इलाके में खनन का काम कर रहे थे. इन खनन माफियाओं से इस युवा ने लोहा लिया और सात में से छह स्टोन क्रशर बंद करा दिया है. उत्तराखंड पुलिस ने खनन माफियाओं के प्रति अपनी पक्षधरता दिखाते हुए स्टोन क्रशर बंद कराए जाने की खुन्नस निकालने के लिए समीर रतूड़ी और उनके आंदोलनकारी स्थानीय ग्रामीण साथियों को बुरी तरह पीट डाला.

पुलिस उत्पीड़न के निशान दिखाते समीर रतूड़ी