हरीश रावत ने उत्तराखंड के सात पत्रकारों को उल्लू बनाया!

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत पक्के वाले नेता है. कुछ कुछ ओवर स्मार्ट नेता हैं. काफी समय से इन्होंने कई पत्रकारों को सूचना आयुक्त बनाने का लालीपाप दे रखा था लेकिन बना किसी को नहीं रहे थे. राजीव नयन बहुगुणा तो खुद को नया सूचना आयुक्त अब बना तब बना मान कर चल रहे थे और लोगों से बधाइयां आदि भी ले रहे थे. पर हरीश रावत इतनी आसानी से किसी को कुछ देते कहां.

केदारधाम के आस पास नरकंकाल का मिलना हरीश रावत के मुंह पर कालिख

बड़े दुःख और शर्म की बात है कि एक तरफ तो उत्तराखंड की मौजूदा सरकार और उसके मुखिया 2013 की केदार घाटी आपदा से बाखूबी निपटने के बड़े बड़े दावे करते नहीं अघाते वहीँ दूसरी तरफ तीन वर्ष पूर्व घटी सदी की सबसे भयानक त्रासदी के बाद राज्य सरकार और उसके भ्रष्ट बड़बोले अधिकारियों और नेताओं के अपनी पीठ ठोकने वाले तमाम दावों के बावजूद केदारनाथ के रास्तों में इस दर्दनाक हादसे में मौत को गले लगा चुके दुर्भाग्यजनक यात्रियों और क्षेत्रीय लोगों के करीब बासठ नरकंकाल मिले हैं जो सीधे सीधे उत्तराखंड के मौजूदा हुक्मरानों की झूट और काली करतूतों की पोल खोलता है.

हरीश रावत ने राहत व बचाव कार्य करने वाले संगठनों को भी राजनीति का हिस्सा बना दिया!

बृजेश सती/देहरादून
‘निम’ की बढती लोकप्रियता से किसको है खतरा…  राज्य में आपदा को लेकर दो प्रमुख सियासी दलों के बीच आरोप प्रत्यारोप कोई नई बात नही है। राज्य गठन के बाद से ही सत्ता पक्ष व विपक्ष ने अपने राजनीतिक नफा नुकसान को देखते हुए जनहित से जुडे इस संवेदनशील मसले पर खूब सियासत की है। लेकिन अब तो राहत व बचाव कार्य करने वाले संगठनों को भी राजनीति का हिस्सा बना दिया गया है। आपदा में राहत व बचाव कार्य में उल्लेखनीय कार्य करने वाले संगठन पर अब सरकार की नजरें तिरछी होने लगी है।

संजय शर्मा का ‘वीकएंड टाइम्स’ पहुंचा उत्तराखंड, सीएम ने अपने आवास पर किया विमोचन

लखनऊ के चर्चित पत्रकार संजय शर्मा का नया पड़ाव देहरादून है. यूपी के लखनऊ से वीकएंड टाइम्स का प्रकाशन करने और इसे सफलता पूर्वक स्थापित करने के बाद उन्होंने अखबार का उत्तराखंड एडिशन लांच कर दिया है. वीकएंड टाइम्स उत्तराखंड एडिशन की लांचिंग देहरादून में मुख्यमंत्री निवास पर आयोजित एक भव्य समारोह में हुआ. इस समारोह में खुद सीएम हरीश रावत ने अखबार को अपने हाथों लांच किया.

34 विधायकों को चाय पानी के लिए 20-25 लाख रुपये खर्चा देने वाले हरीश रावत प्रदेश की सवा करोड़ जनता को भी कुछ देंगे?

Shiv Prasad Sati : हरीश रावत जी इन 34 विधायकों को तो आप चाय पानी का खर्चा, 20-25 लाख रुपए देकर संतुष्ट कर देंगे लेकिन प्रदेश की सवा करोड़ जनता किससे चाय पानी का खर्चा मागेंगी, यह भी साफ-साफ कर दीजिए जिस तरह उत्तराखंड को पहले हांक रहे थे, क्या उसी तरह आगे की कार्यवाही भी चलेगी। जब यह सुना कि आप विधायकों को चाय पानी के लिए 20-25 लाख रुपए चाय पानी के लिए दे सकते हैं तो खाने-पीने के लिए कितना देंगे, कैसे देंगे, कब देंगे। आप विधायकों को मैनेज करते रहो, जनता तड़पती रहेगी।

बेचारी विजय-हरक कम्पनी!

उत्तराखण्ड में हरीश रावत सरकार को ‘ढेर’ कर चुके उन्हीं की पार्टी के (तब) नौ विधायकों को अब ऐसी दोहरी वेदना से गुजरना पड़ेगा, जिसका अनुमान केवल वे ही लगा सकते हैं। एक तो भविष्य फ़िलहाल चौपट और उस पर रावत का सरकार बनाना इन लोगों के लिए ऐसी स्थिति होगी, जैसे किसी गरीब आदमी की उधार लायी भैंस मर गई और ऊपर से कर्जदार ने भैंस के पैसे न चुकाने पर मुकदमा दर्ज कर दिया।

हरीश रावत की चाटुकारिता पर उतर आया अमर उजाला!

देहरादून। एक वक्त था जब उत्तराखंड में अमर उजाला अपनी धारदार खबरों के लिए पहचाना जाता था, लेकिन अब यह अखबार जिस तरह सत्ता की चाटुकारिता के लिए पूरी नंगई पर उतर आया है वह हैरान करने वाला है। देहरादून में ज्योतिषिlयों का मजमा लगाने वाले अमर उजाला ने बेजान दारूवाला के हवाले से हरीश रावत की दोबारा ताजपोशी का ऐलान कर दिया है। अमर उजाला ने हरीश रावत की चुनाव में फिर वापसी की भविष्यवाणी की है।

हरीश रावत और नवीन जिंदल के गठजोड़ का कहर, पीसी तिवारी समेत कई पर जानलेवा हमला

Abhishek Srivastava : उत्तराखंड में आंदोलनों से जुड़े लोग पीसी भाई यानी पी.सी. तिवारी, उत्‍तराखण्‍ड परिवर्तन पार्टी के अध्‍यक्ष को बखूबी जानते हैं। पी.सी. तिवारी ने अल्‍मोड़ा के द्वारसो गांव में ज़मीन की लूट के खिलाफ़ ऐसा आंदोलन खड़ा कर दिया है कि जिंदल ग्रुप को गैर-कानूनी तरीके से ज़मीन देने वाली हरीश रावत सरकार की नाक में तीन महीने से दम हुआ पड़ा है। ग्रामीणों ने इस मसले पर जिंदल ग्रुप के खिलाफ़ एक मुकदमा किया हुआ था। निचली अदालत ने जिंदल के खिलाफ़ फैसला देते हुए निर्माण कार्य पर रोक लगा दी।

छह माह पहले स्टिंग कर चुके अशोक पांडेय सौदेबाजी करने के लिए सीडी दबाए बैठे रहे?

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री कार्यालय में तैनात आईएएस मोहम्मद शाहिद का खुफिया कैमरों से स्टिंग आपरेशन कर सुर्खियां में आए अशोक पांडेय भी सवालों को घेरे में हैं। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने जिस तरह इस सीडी के सामने आने के बाद जांच कराने से ही बचने की कोशिश की, वह उनको तो कठघरे में खड़ा करता ही है, लेकिन भाजपाई और मीडिया का एक हिस्सा पांडेय के निर्माणाधीन भवन को गिराने को लेकर जिस तरह हायतौबा मचा रहा है, वह इस पूरे प्रकरण से खड़े सवालों को नेपथ्य में धकेल रहा है। पहली बात तो यह कि इस सीडी के सामने आने से मुख्यमंत्री कार्यालय में बैठे नौकरशाह किस तहर दलाली का खेल खेल रहे हैं, सबके सामने आ गया। दूसरे सवालों को थोड़ी देर के लिए किनारे रख दें तो इस सीडी का यह एक उजला पक्ष है। लेकिन इस उजले पक्ष के पीछे जो भी अंधेरा है उस पर भी रोशनी डाली जानी चाहिए।

स्टिंग के सूत्रधार अशोक पांडेय जब संपादक थे तो जमीनों पर इनकी भूखी निगाहों की चर्चाएं लगातार होती रहती थीं!

स्टिंग देख लगता है ये मोहम्मद शाहिद कोई आईएएस अफसर न होकर अवैध कारोबार करने वालों का कोच है!

Indresh Maikhuri : उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत के सचिव पद पर तैनात आई.ए.एस. अफसर मोहम्मद शाहिद का एक स्टिंग ऑपरेशन सार्वजनिक हुआ है. अगर यह स्टिंग वास्तविक है तो जनता की कुर्बानियों से बने राज्य में जनहितों के कुठाराघात और माफियापरस्ती की एक और मिसाल है. इन्टरनेट पर इस स्टिंग ऑपरेशन का 15 मिनट का वीडियो उपलब्ध है. इस वीडियो को देखें तो प्रत्यक्ष रूप से कोई धन का लेन-देन इसमें नहीं है. लेकिन बातचीत शराब व्यापार को लेकर है. यह स्टिंग एक बार फिर यह स्पष्ट करता है कि संविधान और कानून की रक्षा की शपथ लेकर कुर्सियों पर बैठे लोग सिर्फ दलाल हैं, जिन्हें दलाली के बदले अपनी हिस्सेदारी में ही रुचि है. 25 परसेंट दे देंगे, जैसे जुमले सुनाई दे रहे हैं पर पैसे का लेन-देन नहीं दिखता है. लेकिन जो दिख रहा है वह कुछ कम गंभीर नहीं है.

भड़ास पर खबर आते ही उत्तराखंड सरकार सक्रिय, दोषी पुलिस अफसरों का तबादला, समीर रतूड़ी ने जल ग्रहण किया

उत्तराखंड के मलेथा में खनन माफिया के खिलाफ आंदोलन चला रहे समीर रतूड़ी के आमरण अनशन को लेकर भड़ास4मीडिया पर खबर छपने के बाद उत्तराखंड की हरीश रावत सरकार सक्रिय हो गई. उत्तराखंड सरकार ने दोषी पुलिस वालों पर कार्रवाई की मांग मान ली है. खनन माफिया से अपनी जमीन मुक्त कराने के लिए आंदोलनरत ग्रामीणों और नेतृत्व कर रहे युवा सोशल एक्टिविस्ट व पर्यावरणविद समीर रतूड़ी पर पुलिस ने बर्बर लाठीचार्ज किया था. इसके बाद समीर रतूड़ी ने दोषी पुलिसवालों पर कार्रवाई की मांग को लेकर अन्न जल त्याग दिया.

उत्तरांचल में क्रशर माफिया के हाथों की कठपुतली बना इलैक्ट्रॉनिक मीडिया

क्रशर माफिया से जूझ रहे उत्तरांचल के ग्रामीणों पर लाठीचार्ज हुआ। सीता देवी, हेमंती देवी, दस-दस दिनों तक भूख हड़ताल पर बैठीं, लेकिन अपने को जनता का हितैषी बाताने वाले श्रीनगर, गढ़वाल, उतराखंड के इलैक्ट्रानिक मीडिया ने अपने कैमरे कभी भी इन पीड़ित ग्रामीणों की ओर नहीं घुमाये। घुमाये भी तो उसे प्रसारण के लिए नहीं भेजा। भेजें भी कैसे, नगर के अधिकांश इलैक्ट्रानिक मीडिया के पत्रकार क्रशर माफिया के मित्र जो ठहरे। जी हां  श्रीनगर से लगे टिहरी जिले के मलेथा गांव में जल-जगंल-जमीन के खिलाफ पिछले आठ महीने से एक आन्दोलन चल रहा है।

खनन माफियाओं से उत्तराखंड सरकार का याराना! : मलेथा आंदोलन पर लाठीचार्ज, समीर रतूड़ी का जीवन खतरे में

उत्तराखंड के मलेथा में एक युवा सोशल एक्टिविस्ट और पर्यावरणविद समीर रतूड़ी सात दिनों से अन्न जल त्यागे हुए हैं. करीब छह स्टोन क्रशर स्थानीय लोगों की जमीन पर कब्जा जमाकर इलाके में खनन का काम कर रहे थे. इन खनन माफियाओं से इस युवा ने लोहा लिया और सात में से छह स्टोन क्रशर बंद करा दिया है. उत्तराखंड पुलिस ने खनन माफियाओं के प्रति अपनी पक्षधरता दिखाते हुए स्टोन क्रशर बंद कराए जाने की खुन्नस निकालने के लिए समीर रतूड़ी और उनके आंदोलनकारी स्थानीय ग्रामीण साथियों को बुरी तरह पीट डाला.

पुलिस उत्पीड़न के निशान दिखाते समीर रतूड़ी