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सुख-दुख

जानी मानी वरिष्ठ पत्रकार रोमी अरोड़ा का निधन..

मनोज राजन त्रिपाठी-

ओ जाने वाले हो सके तो लौट के आना

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1991, बिना किसी एपॉइन्टमेंट के मैं दैनिक जागरण की डायरेक्टर रजनी गुप्ता जी से मिलने पहुँच गया। गेट पर खड़े गार्ड ने जाने ही नहीं दिया। पलटकर स्कूटर स्टार्ट ही की थी कि रिक्शे से एक महिला उतरी और मुस्कुराते हुए चटककर बोली, “मनोज राजन त्रिपाठी हो न तुम, गाना गाते हो?”

मैंने चौंककर कहा “जी”

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महिला बोली, “मुझे जानते हो?”

आँखें चुराते हुए मैंने झूठ बोला, “कहीं देखा है आपको।”

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महिला खिलखिलाई, “ज़्यादा ड्रामा मत करो और झूठ मत बोलो, मेरा नाम रोमी अरोड़ा है, तुमने सिंगिंग के जितने भी अवार्ड्स जीते हैं वो सब मैंने ही छापे हैं दैनिक जागरण में और तुम्हारे फ़ोटो भी।”

मैंने शर्म से सिर झुका लिया। इतनी नामी जर्नलिस्ट को मैं पहचान भी नहीं पाया और वो मुझ जैसे अदना सिंगर को इतनी रिस्पेक्ट दे रही थीं। रोमी जी मेरी शर्म समझ गईं और मुस्कुराकर बोलीं, “यहाँ कैसे आए?”

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मैंने बताया कि रजनी जी से मिलने आया था पर गार्ड ने अंदर नहीं जाने दिया। रोमी जी ने झट से मेरा हाथ पकड़ा और अंदर ले गईं।

अगर रोमी जी हाथ पकड़कर अंदर न ले गई होतीं तो आज मैं जहां भी, जो कुछ भी हूँ शायद नहीं होता। आज रोमी जी मुझसे हाथ छुड़ाकर चली गईं। मैं रोमी जी को अपनी कर्म माँ मानता हूँ। आज मेरी कर्म माँ भी सिधार गईं। उनके आख़िरी पलों में मैं उनके साथ था। उन पलों में उन्हें फिर उसी अदना गायक से एक गाना सुनना था। मैंने गा दिया और कह दिया कि मॉं मैं तुम्हें महबूब की मानिंद मोहब्बत करता हूँ। तुम न होतीं तो मनोज त्रिपाठी ज़रूर होता लेकिन मनोज राजन त्रिपाठी क़तई नहीं पैदा होता।

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नीलम चतुर्वेदी-

बहुत दुखद सूचना और दर्द आप लोगों से साझा कर रही हूं. मेरी दोस्त रोमी अरोड़ा (जर्नलिस्ट) अब हमारे बीच नहीं रही उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. 16 अगस्त को पहले ब्रेन स्ट्रोक पड़ा था और बाद में पता चला की ब्रेन में तीन ट्यूमर हैं. इधर 2 महीने से ज्यादा बीमार थी. वे 2009 से 15 2015 तक हिंदुस्तान टाइम्स, 1986 से 2009 तक दैनिक जागरण और 2015 के बाद से फ्रीलांस जर्नलिस्ट के तौर पर कार्य कर रही थीं.

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1 Comment

1 Comment

  1. विजय सिंह

    December 22, 2023 at 11:06 am

    भावभीनी श्रद्धांजलि

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