मुंबई : पिछले साल कथित बलात्कार के आरोप में फंसे ‘दोपहर का सामना’ के पत्रकार शैलेश जायसवाल पर लगे आरोपों में से अदालत ने अहम धारा 376 को हटा दिया है। पत्रकार जायसवाल के वकील एडवोकेट विजय देसाई ने अदालत में की जिरह के बाद एक नया खुलासा हुआ कि पुरानी रंजीश के चलते जोगेश्वरी पुलिस ने जायसवाल पर यह मामला दर्ज किया था।
उल्लेखनीय है कि मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर एवं सबूतों के अभाव में सेशन कोर्ट की अदालत के कोर्ट नंबर 35 की न्यायाधीश श्रीमती तुलणकर ने 17 दिसंबर को कैश जमानत पर जायवाल को रिहा करने का आदेश जारी कर जोगेश्वरी पुलिस को जमकर फटकार लगाई थी। जानकारी के मुताबिक जायसवाल के जेल में रहते हुए पीड़िता ने खुद उन्हें पत्र लिखकर कहा था कि वे उनके पिता समान हैं और उनके खिलाफ उसने पुलिस थाने में कोई शिकायत दर्ज नहीं करवाई है।
पत्र में पीड़िता ने यह भी कहा था कि जोगेश्वरी पुलिस ने जबरन बयान लेकर जायसवाल के खिलाफ मामला दर्ज करवाने के लिए पीड़िता को मजबूर किया था। हालांकि इस मामले को लेकर पुलिस के खिलाफ पत्रकार जायसवाल के पत्नी एवं परिवारवालों ने भी मानवाधिकार आयोग में शिकायत की है।
बलात्कार के मामले से बरी होने के बाद जायसवाल का मामला अब कोर्ट नं 40 में स्थानांतरित कर दिया गया है। हालांकि अगली तारीख में पीड़िता का बयान उक्त मामले में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। कोर्ट ने अगली तारीख 22 जून दी है।
कानून हाथ में लेनेवाले पुलिस के खिलाफ आक्रोश व्यक्त करते हुए पत्रकारिता मिशन संस्था समेत कई पत्रकार संगठनों ने जोगेश्वरी पुलिस के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। साथ ही पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर उनके हित में कानून लागू करने की मांग भी सरकार से की है। पत्रकारों को फर्जी कानूनी मामले में फंसानेवाले सरकारी अधिकारियों के खिलाफ अगले हफ्ते मंत्रालय पर धरना प्रदर्शन करने की घोषणा भी पत्रकार संगठनों ने की है।