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उत्तर प्रदेश

संपादक जगदीश नरायण शुक्ल से आईएएस नवनीत सहगल इतना डरते क्यों हैं?

लखनऊ के निष्पक्ष प्रतिदिन अखबार के मालिक और संपादक जगदीश नारायण शुक्ल से यूपी के ताकतवर आईएएस अधिकारी नवनीत सहगल इतना क्यों डरते हैं? आजकल यह सवाल मीडिया वालों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है. सूचना विभाग से करोड़ों का विज्ञापन लेकर निष्पक्ष प्रतिदिन के संपादक जगदीश नारायण शुक्ल द्वारा वहां के कर्मचारियों को धमकाने का मामला भी सुर्खियों में है. दरअसल प्रतिदिन के संपादक के हुनर के कारण सूचना विभाग के बड़े अफसर उनसे खौफ खाते हैं. यही कारण है कि पिछले आठ महीनों में अखबार ‘प्रतिदिन’, उनकी पत्रिका ‘आखिर कब तक’ और उर्दू दैनिक ‘अमन ए अवध’ को लगभग दो करोड़ का विज्ञापन दे दिया गया.

 

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‘प्रतिदिन’ पहले सांध्य दैनिक था पर बाद में विज्ञापन के लिए उसे सुबह का अखबार बना दिया गया. इस अखबार पर अफसरों ने जिस तरह कृपा बरसाई वो हैरत में डालने वाला था. इस अखबार को ताबड़तोड़ विज्ञापन जारी किये गए और आठ महीनों में करोड़ों के विज्ञापन हासिल करके जगदीश नारायण ने अपने हुनर को साबित कर दिया. यही नहीं जिस तरह से रातों रात अखबार को विज्ञापन के रिलीज आर्डर और उनका भुगतान किया गया उसने भी सबको बता दिया कि नवनीत सहगल इनसे कितना डरते हैं. आम तौर पर अखबार को आरओ, जिसे विज्ञापन का रिलीज आर्डर कहा जाता है,  मिलने में दस से पंद्रह दिन लग जाते हैं. बड़े से बड़ा अखबार हो या छोटे से छोटा, उन्हें लगभग इतना समय ही लगता है. जब यह अखबार विज्ञापन चाप लेते हैं तो भुगतान के लिए अपना बिल लगाते हैं और एक से दो महीनों में उनका भुगतान हो पाता है.

मगर जगदीश नारायण शुक्ल ने पता नहीं किस बात पर नवनीत सहगल को इतना डरा दिया कि सारे नियम एक दिन में ‘प्रतिदिन’ के लिए बदल दिया गया. प्रतिदिन के संपादक जगदीश नारायण शुक्ल ने फरमान सुनाया कि उन्हें एक दिन में ही आर ओ चाहिए और जिस दिन बिल लगाये उसके चौबीस घंटे में उसका भुगतान हो जाना चाहिए. मजे कि बात यह है कि सूचना विभाग के अफसरों ने उनकी बात मान भी ली. जिस समय प्रतिदिन अखबार से कोई भी प्रार्थनापत्र आया, कुछ घंटो में ही आरओ जारी कर दिया गया. बात तब बिगड़ी जब कुछ घंटों के आरओ लेट होने पर प्रतिदिन के संपादक ने सूचना विभाग के लोगों को गाली से नवाजना शुरू कर दिया.

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कुछ दिन तो लोगों ने यह सोच कर चुपचाप सुना कि बड़े अफसर इनके करीब हैं, फालतू में नहीं उलझना चाहिए. मगर जब पानी सर से ऊपर निकल गया तो सूचना विभाग के कर्मचारियों ने भी मोर्चा खोल दिया. मिनिस्ट्रियल कर्मचारी संघ ने पूरा मामला सूचना निदेशक को लिखित रूप में दिया और कहा कि अगर इस तरह से दबाव बनाना बंद नहीं किया गया तो वो लोग क़ानूनी कार्यवाही करेंगे.

 

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लखनऊ से एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित

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