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वेब-सिनेमा

यूट्यूब पर दस वीडियो बनाकर 10 साल से कहाँ गायब है सुरों की ये जादूगरनी!

दिनेश श्रीनेत-

यूट्यूब पर सर्च कीजिए, “लग जा गले कवर – बाय अंकिता सचदेव”. आपको करीब नौ साल पुरानी एक रिकार्डिंग मिलेगी. फ़िल्म ‘वो कौन थी?’ के इस क्लासिक गीत को बिना किसी तामझाम के अंकिता ने दो मिनट 38 सेकेंड में जिस तरह एक सिंगल टेक में गाकर सुनाया है, वह उनकी प्रतिभा और उससे भी बढ़कर उनकी सादगी की वजह से गहरे तक प्रभावित करता है.

मैंने करीब पांच साल पहले इसे सुना था. बहुत से लोकप्रिय गीतों के कवर बहुत बार अच्छे लगते हैं, हम सुनते हैं, दोस्तों को शेयर करते हैं, दोबारा सुनने के लिए सहेज लेते हैं. मगर यहां घर के किसी बंद कमरे में, जहां पीछे ट्यूबलाइट की रोशनी भी दिख रही है, अंकिता को गाते हुए सुनना इतना सुकून भरा था कि लगा उन्हें बार-बार सुनना चाहिए. आखिरकार कोई भी प्रतिभा आपको इसी तरह तो बरबस खींचती है न? बहुत साफ उच्चारण, जरूरत भर के सारे उतार-चढ़ाव मगर साथ में एक ठहराव भी.

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यूट्यूब पर अंकिता के कुल जमा 10 वीडियो हैं. सबसे पुराने वीडियो में वह सोनू निगम के साथ कहीं परफार्मेंस देती नज़र आ रही हैं. स्टेज से बहुत दूर खड़े होकर किसी ने उनका वीडियो रिकार्ड किया है. थोड़ा इधर-उधर सर्च करने पर वे सोनी के एक प्रोग्राम में करन जौहर और एआर रहमान को तमिल गीत “मुंबे वा” सुनाती नज़र आती हैं.

इस सबके अलावा वे अमेरिकन सिंगर जॉन लीजेंड के गीत “ऑल ऑफ मी” गाती हैं और अपने सहज वेस्टर्न उच्चारण से बांध लेती हैं. थोड़ा पहले के एक वीडियो में इशक़ज़ादे के गीत मैं परेशाँ की खूब अच्छी रिकार्डिंग हुई है, म्यूज़िक अल्बम स्टाइल में. किशोर के “मेरे मेहबूब क़यामत होगी” गाते हुए सुनना भी सुखद लगता है.

इतना सुनने के बाद मन में यह सवाल उठता है कि यह लड़की जो सहज ही प्रतिभा वाली दिखती है, आखिर गई कहां? इंटरनेट इसका कोई संतोषजनक जवाब नहीं देता है. अंकिता सचदेव म्यूज़िक के नाम से बना पेज 2018 के बाद से अपडेट नहीं है.

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फेसबुक पर 15 फरवरी 2018 की पोस्ट में वे अपने मेकअप-विहीन चेहरे और एक साधारण-सी टी-शर्ट में गुलज़ार के लिखे गीत “इस मोड़ से जाते हैं” का सिर्फ एक अंतरा गाती हैं.

आँधी की तरह उड़कर, इक राह गुज़रती है
शरमाती हुई कोई, कदमों से उतरती है
इन रेशमी राहों में, इक राह तो वो होगी
तुम तक जो पहुँचती है, इस मोड़ से जाती है…

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जैसे-जैसे उनकी फेसबुक टाइमलाइन पर हम पीछे जाते हैं, शंकर महादेवन, श्रुति पाठक, एहसान, आदेश श्रीवास्तव, हरिहरन के साथ बतौर फैन ही सही, खिंचाई गई तस्वीरें नज़र आती हैं और कुछ स्टेज शो भी. एक खबर से पता लगता है कि अंकिता शायद भारत में नहीं सिडनी में रहती थीं. एक वक्त में वे शायद ऑस्ट्रेलिया में ‘इंडियन लिंक रेडियो आइडल 2008’ रह चुकी थीं.

रेडियो आइडल का खिताब मिलने के करीब छह-सात साल बाद वे अपनी जर्नी को सिडनी के ही एक रेडियो इंटरव्यू में याद करती हैं. वे आरजे काशिफ़ को बताती हैं कि कैसे उन्होंने यह रेडियो आइडल कंप्टीशन जीता. उन्होंने बताया कि किस तरह फेसबुक पर उन्हें फरमाइश आती है. अंकिता कहती हैं कि पढ़ाई करने के बाद दोबारा मुंबई ‘उड़कर’ जाना चाहती हैं. लगभग उसी दौर में अंकिता ने कुछ रियलटी शोज़ में अपनी प्रतिभा से दुनिया को परिचित कराया था. इसकी कहानी भी बड़ी दिलचस्प है, जिसके बारे में कुछ खबरों, वीडियो और अंकिता के रेडियो इंटरव्यू से पता चलता है.

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अंकिता ने जब सोनी के रियलिटी शो में एआर रहमान के सामने गाया तो अगले दिन उनके पास एआर रहमान के ऑफिस से फोन आया. रहमान ने सीधे उनसे बात की और कहा कि वे ऑडीशन लेना चाहते हैं. फ़िल्म लगान के गीत “ओ पालनहारे” गाकर अंकिता ने ऑडीशन दिया. कुछ समय बाद अंकिता को पता चलता है कि मणि रत्नम की फ़िल्म ‘रावण’ के लिए उनका गीत रिकार्ड होगा और उन्हें चेन्नई जाना होगा. चेन्नई जाकर उन्होने ‘रावण’ तेलुगु वर्जन में गीत गाया. इस दौरान वे उनके घर गईं और उनके प्राइवेट स्टूडियो में भी गईं.

‘रावण’ का यह गीत था ‘कावुले कावुले’. इसके तमिल वर्जन ‘कलवरे कलवरे’ को गाया था श्रेया घोषाल ने.

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आवाज़ की स्पष्टता की वजह से अंकिता को सुनकर श्रेया घोषाल याद आती हैं. श्रेया इसलिए क्योंकि वे भी शब्दों के उच्चारण की स्पष्टता पर बहुत जोर देती हैं. Tacit Secrets नाम के एक चैनल ने तो बाकायदा श्रेया घोषाल और अंकिता सचदेव के एक ही कवर सांग को प्रस्तुत किया है और लिखा है, Ankita Sachdev is also very talented singer but not popular as she has to be according to her mesmerizing voice.

अंकिता अपने उन सुंदर दिनों में हरिहरन की फैन हैं. अपने रेडियो इंटरव्यू में अंकिता अपने भावी करियर के प्रति बहुत उत्साहित नज़र आती हैं. वे कहती हैं मुझे अभी बहुत सीखना है. वे खुशी-खुशी बताती हैं कि उनके यूट्यूब चैलन के 11 हजार फॉलोअर हैं, जाहिर है उन दिनों यह एक बड़ा नंबर होता था. वे कहती हैं कि सोशल मीडिया प्रेजेंस बहुत जरूरी है, आप लोगों से आखिर जुड़ेंगे कैसे?

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बहरहाल, अंकिता के सारे किस्से करीब 10 साल पुराने हैं.

अब पता नहीं चलता कि अब वे कहां हैं? वे संगीत की दुनिया में सफल हुईं या नहीं मगर उनके नए गीत कहां हैं? वे सोशल मीडिया से, इंटरनेट की दुनिया से कहां चली गईं?

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यूट्यूब पर उन्हीं 10 गीतों में से शायद कोई उनका कोई गीत सुनता है और नीचे एक कमेंट कर देता है. बस इतना ही…

आवाज़ों से एक रिश्ता बनता है. उनके 11 हजार प्रशंसकों में से कुछ तो कभी तो सोचते ही होंगे कि एक दशक से वे कहां हैं? सोशल मीडिया पर मिलने वाली उनकी अंतिम प्रस्तुति की तरह उनके मन में भी यही बात उमड़ती-घुमड़ती होगी…
इन रेशमी राहों में,
इक राह तो वो होगी
तुम तक जो पहुँचती है,
इस मोड़ से जाती है…

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