आज के पत्रिका और कुछ अन्य समाचार पत्रों में खबर पढ़ी कि विश्व संवाद केंद्र भोपाल ने आदि पत्रकार महर्षि नारद जी की जयंती के अवसर पर कुछ पत्रकारों को सम्मानित किया। मुझे सम्मानित किये गये पत्रकारों की सूची में एक ऐसे पत्रकार का नाम पढ़कर बहुत ताज्जुब हुआ जो पत्रकार से अधिक ब्लैकमेलर के रूप में जाना जाता है। जिसे पत्रकारिता के आधारभूत सिद्धांतों और मूल्यों का भी ज्ञान नहीं है।
भोपाल के एक दैनिक में कार्यरत यह पत्रकार कुछ लोगों के खिलाफ उनकी सुपारी लेकर भी खबरें लिखता रहा है। उसने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति और कई शिक्षकों के खिलाफ भी आधारहीन और मानहानिकारक समाचार लिखे। हालांकि अपनी इन्हीं हरकतों के कारण उक्त सुपारी पत्रकार एक समाचार पत्र में ज्यादा दिन टिक भी नहीं पाता क्योंकि धकिया दिया जाता है।
हद तो तब हो गई जब उक्त कथित पत्रकार ने जून 2015 में माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के कुलपति और कुछ महिला शिक्षकों के साथ की एक सार्वजनिक कार्यक्रम की फोटो को अपनी फेसबुक वॉल पर पोस्ट कर काफी घटिया, अश्लील, आपत्तिजनक और मानहानिकारक टिप्पणी भी की थी। इस बात पर जब उक्त शिक्षिकाओं ने विश्वविद्यालय प्रशासन और सायबर पुलिस में लिखित शिकायत की तो तब जाकर वह पोस्ट फेसबुक से हटी और उक्त पत्रकार को पीपुल्स समाचार से निकाल दिया गया। कुलपति व प्रशासन की सलाह पर उक्त युवा पत्रकार के ‘करियर’ को ध्यान में रखते हुए अपमान के घूंट पीकर भी उक्त महिला शिक्षकों ने उक्त पत्रकार को बाद में माफ कर दिया था। लेकिन उसके बावजूद उक्त पत्रकार की हरकतें नहीं रुकीं।
अब हैरानी इस बात की है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के मीडिया और प्रचार संगठन ‘विश्व संवाद केंद्र, भोपाल द्वारा इतने प्रतिष्ठित सम्मान के लिए क्या भोपाल में यही पत्रकार बच गया था। नारी शक्ति और नारी सम्मान की दुहाई देने वाले संघ के कर्ता-धर्ताओं को कम से कम ऐसे किसी पत्रकार को सम्मानित करने से पूर्व इसके कृत्य और कुकृत्यों के बारे में भी खोजबीन कर लेनी चाहिए।
घटिया सोच और महिलाओं के प्रति अपनी रुग्ण मानसिकता का कई बार परिचय दे चुके इस कथित पत्रकार को इस प्रकार एक प्रतिष्ठित संस्था द्वारा सम्मानित करने से MCU का शिक्षक समुदाय स्तब्ध और क्षुब्ध है। यह न केवल महर्षि नारद का अपमान है बल्कि भोपाल के उन कई योग्य और वरिष्ठ पत्रकारों का भी अपमान है जो इस प्रतिष्ठित सम्मान के अधिक हकदार और योग्य थे।
माखनलाल पत्रकार विश्वविद्यालय में कार्यरत शिक्षक सुरेंद्र पॉल की एफबी वॉल से.