विनीत कुमार-
अस्सा मेरा प्यार है, जान तुझपे दिया है..बसपन का प्यार.? :
जी न्यूज छोड़ने/छूट जाने के बाद सुधीर चौधरी की ट्विटर टाइमलाइन पर एक पूरा निम्बा-निम्बी का दौर चला. उनके फैन-दर्शक लिखते- मैं आपको मिस करता/करती हूं और सुधीर लालवाला दिल की इमोजी लगाकर उसे पलटकर साझा करते. साथ में जोड़ते- मैं भी आपको बहुत मिस करता हूं, मैं कहां आपके बिना रह पाऊंगा. हम जल्द ही वापस आएंगे.
इसी क्रम में मनीष नाम के एक फैन दर्शक की ट्वीट साझा करते हुए सुधीर लिखते हैं- “ मनीष अब मैं आज़ाद हूं, आपके भाई से कहीं भी, कभी भी मिल सकता हूं.”
एक दर्शक पिंकी नाम के एक अकाउंट से मोबाईल पर डीएनए देखती हुई अपनी क्लिप ट्वीट करती है जिसे रिट्वीट करते हुए सुधीर लिखते हैं- करोड़ों दर्शकों के दिल जीतने के लिए बड़े-बड़े चैनल नहीं, सरलता और सादग़ी चाहिए.
अब सुधीर चौधरी आजतक जैसे देश के बड़े न्यूज नेटवर्क से जुड़ गए. चैनल पूरे दम के साथ सुधीर के साथ 100 मिलियन दर्शक तक पहुंचने की बात नगाड़े बजाने के अंदाज़ में पूरी दुनिया को बता रहा है. सुधीर अपनी टाइमलाइन पर इस बात को भी साझा कर रहे हैं.
मुझे पता है कि उनके मनीष जैसे फैन दर्शक इस बात से ख़ुश होंगे कि मेरा तारणहार एंकर स्क्रीन पर वापस दिखने लग जा रहे हैं, वो उनसे पलटकर शायद ही सवाल करें कि आप अभी भी आज़ाद हो और कहीं भी, कभी भी मिल सकते हो ? पिंकी जैसी दर्शक शायद ही पूछे कि आपने तो तीन दिन पहले कहा कि दिल की बात दिल तक पहुंचने के लिए किसी बड़े चैनल की ज़रूरत नहीं होती, तो फिर आपने आजतक क्यों ज्वॉयन किया ? हमारी दिल की बात तो ट्विटर पर भी हो ही सकती थी न !
पिछले साल जी न्यूज़ के 26 साल होने पर सुधीर चौधरी ने डीएनए में “ 26 साल पुराने रिश्ते की कहानी” शीर्षक से ख़ास एपिसोड किया. इस एपिसोड की शुरुआत में उन्होंने अपने दर्शकों को रिश्ते का मतलब समझाया कि रिश्ते का मतलब होता है, भरोसा, अटूट विश्वास. हम रिश्ता उसी से बनाते हैं जिन पर हम भरोसा करते हैं. ये रिश्ता जितना पुराना होता जाता है, उतना ही मजबूत होता चला जाता है…
रिश्ते को बेहद मार्मिक अंदाज़ में परिभाषित करने के बाद सुधीर जी न्यूज को परिभाषित करते है- जी न्यूज का मतलब है भारत. जी न्यूज भारत है और यह इसका पर्याय है. उसके बाद वो दर्शकों को जी न्यूज के स्वर्णिम दौर की यात्रा कराते हैं. भारतीय टेलिविजन इतिहास को समझने की दृष्टि से मीडिया छात्रों के लिए ये बेहद दिलचस्प और ज़रूरी एपिसोड है. सुधीर एक के बाद एक उन कवरेज की क्लिप दिखाते जाते हैं जिनमें वो ख़ुद पीटीसी कर रहे होते हैं. हर एक क्लिप के बाद स्क्रीन पर लिखा आता है- हम कल भी थे, आज भी हैं. वो अपने दर्शकों से ये नहीं बताते कि हां, मैं इस बीच जी न्यूज छोड़कर लाइव इंडिया चला गया जहां मुझे ख़ुद के लिए ज़्यादा बेहतर संभावना नज़र आयी. दर्शक गूगल करें तो शायद भावनात्मक रूप से आहत हो जाएं.
सुधीर चौधरी जिस जी न्यूज को भारत का पर्याय बता रहे होते हैं उसके बारे में ख़ुद चैनल के मालिक लिखते हैं कि मुझे पता है कि मैं जो कर रहा हूं, वो भारतीय कानून व्यवस्था के हिसाब से ग़लत है, मैं भारत सरकार के नियमों का उल्लंघन कर रहा हूं लेकिन मुझे अपने सपने पूरे करने हैं.( “I Was sad also that I had to launch an Indian channel from Hong Kong. Technically, I had launched an illegal channel. It was an illegal business,an Indian laws didi not allow what I was doing. But this was the future.”- The Z Factor: My Journey As The Wrong Man At The Right Time: Subhash Chandra with Pranjal Sharma. पृष्ठ संख्या-140.).
सोशल मीडिया पर वापस आने के बाद मैंने सुधीर चौधरी की ट्विटर टाइमलाइन पर नज़रें दौड़ायी तो पाया कि जी न्यूज छोड़ने/ छूट जाने की ख़बर के बाद उनके फैन-दर्शकों के बीच अपने एंकर को लेकर बेचैनी तो है, अपने गहरे लगाव की बात जाहिर तो कर रहे हैं लेकिन टाइमलाइन पर हिट्स-लाइक्स घटते चले जा रहे हैं. लेकिन कल जैसे ही आजतक से जुड़ने की ख़बर आती है, लाइक्स-हिट्स में एकदम से उछाल आने लग जाते हैं. मुझसे ज़्यादा बेहतर वो सारे मीडियाकर्मी इस बात को महसूस करते होंगे कि संस्थान से जुड़ने और कहीं न होने के बीच के फर्क़ को कैसे महसूस किया जाता है ? एंकर क्यों पूरी ताक़त इस बात को लेकर झोंकते हैं कि चाहे कुछ भी हो जाय, ऑफ एयर नहीं होना है. वो जानते हैं कि दर्शकों की यादाश्त की वैलिडिटी पीरियड इतनी कम होती है कि ऑफ एयर हो जाने के बाद किसी दिन मयूर विहार के सोम बाजार में भिंडी छांटते मिले तो भी दर्शक सहज भाव से झोले में तोरी-टिंडा डालकर आगे बढ़ जाएगा, सेल्फी के लिए जेब से स्मार्टफोन नहीं निकालेगा.
सुधीर चौधरी भारत का पर्याय जी न्यूज छोड़कर आजतक गए हैं जहां आजतक का मतलब आजतक होता है. कभी वो आजतक मतलब एसपी हो गया था जिसका असर इतना गहरा है कि चैनल अपने कैलेंडर से 27 जून ग़ायब कर चुका है, एक पंक्ति की भी स्टोरी चलाना ज़रूरी नहीं समझता कि जिसने आजतक की नींव रखी, आज ही के दिन हमेशा के लिए हमें छोड़कर चले गए. इस हिसाब से आजतक का मतलब आजतक और सुधीर चौधरी का मतलब सुधीर चौधरी होगा.
सुधीर ने अपने फैन-दर्शकों से जुड़ने और वो “मजबूत रिश्ता” बनाने, भरोसा करने के कई विकल्प उनके बीच छोड़ दिए हैं जिनमें एक विकल्प यह भी है कि उनकी टाइमलाइन पर माऊंट एवरेस्ट के बेहद क़रीब सागरमाथा पर हेलिकॉप्टर रोककर गॉगल्स लगाए अपने दर्शकों से बात कर रहे हैं, उनमें दर्शक किस-किस सिरे से सादग़ी खोजे. जाहिर सी बात है अब वो ये तो खोजेंगे नहीं कि बड़े चैनल से बिना जुड़े भी एक सामान्य पत्रकार को ये सुविधा मिल सकती है ? फैन-दर्शक न ही उनसे ये सवाल करेंगे कि आप तो कुछ अपना नया करने की बात कर रहे थे, ये तो वही पुरानी जगह है, आपने हमारे उस मजबूत रिश्ते के साथ क्या किया ? फैन-दर्शक तो बस इस बात से निहाल हो जाएंगे कि नोएडा फिल्म सिटी का सीना चीरकर हमारा तारणहार एंकर वापस स्क्रीन पर आ गया और वो भी सर्वश्रेष्ठ और सबसे तेज के दावे और पंचलाइन के साथ. हमारे हित में ये क्या कम है ?