Gurdeep Singh Sappal : ज़ी न्यूज़ के सम्पादक बहुत तकलीफ़ में हैं। एक चिट्ठी लिखी है। उन्हें दर्द है कि ज़ी टीवी को वैसा क्यों समझा जाता है, जैसा वो दिखता है! वो कहना चाहते हैं कि उनका DNA है तो वही, जो सब समझ रहे हैं, लेकिन सब ग़लत समझ रहे हैं।
उन्होंने साफ़ साफ़ लिखा है कि उनकी सोच अगर किसी राजनीतिक पार्टी ने अपना ली है तो इसमें उनकी क्या ग़लती है! आख़िरकार उनके लोकतंत्र में विचारधारा मीडिया और पत्रकारों के ही तो ज़िम्मे है। अब कोई राजनीतिक पार्टी विचारधारा के पचड़े में कूद पड़े, उसे अपनाने लगे, तो इसमें उनके टीवी चैनल क्या दोष है।
हालाँकि वे बहुत ख़ुश भी हैं कि बीजेपी ‘उनकी रचायी’ विचारधारा को अपना चुकी है। इसीलिए उन्होंने कांग्रेस से अपेक्षाएँ भी जता दी हैं।
उन्होंने राहुल गांधी से साफ़ साफ़ कह दिया है कि तुम और तुम्हारे प्रवक्ता क्यों विचारधारा के जंजाल में फँसते रहते हो। हमने शब्द, विचार और कॉन्सेप्ट तैयार कर लिए है, चुपचाप आओ और इन्हें अपना लो। ठीक वैसे जैसे बीजेपी ने अपना लिए हैं। देखना, तब तुम्हें भी हम अपने से ही लगेंगे। लोगों को तुम सब हमारे ही अवतार नज़र आओगे और हम तब तुम्हारी नैय्या को पार लगाएँगे।
तुम आओ और समझो कि अब हम लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ मात्र नहीं हैं। हम राष्ट्र की आवाज़ हैं। हमारी देहरी पर सलीक़े से माथा टेकना सीखो। क्यूँकि हम ही लोकतंत्र के ब्रह्म हैं।
राज्यसभा टीवी के संस्थापक और स्वराज एक्सप्रेस चैनल के एडिटर इन चीफ गुरदीप सिंह सप्पल की एफबी वॉल से.
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