…जब संपादक राजेंद्र माथुर ने ब्यूरो चीफ पद पर तैनाती करते हुए रामशरण जोशी की तनख्वाह अपने से ज्यादा तय कर दी थी!
Raghvendra Dubey : एक स्टेट हेड (राज्य संपादक) की बहुत खिंचाई तो इसलिए नहीं करुंगा क्योंकि उन्होंने मुझे मौका दिया। अपने मन का लिखने-पढ़ने का। ऐसा इसलिए संभव हो सका क्योंकि मैंने उन्हें ‘अकबर’ कहना और प्रचारित करना शुरू किया जो नवरत्न पाल सकता था। उन पर जिल्ले इलाही होने का नशा चढ़ता गया और मैं अपनी वाली करता गया।
(मुगल बादशाहों ने अपने रुतबे के लिये यह संबोधन इज़ाद किया था)