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उत्तर प्रदेश

अखिलेश सरकार यादव सिंह सरीखे महाभ्रष्टों को महत्वपूर्ण पदों से लगातार नवाज़ रही है

यादव सिंह नोएडा अथॉरिटी ही नहीं बल्कि उन सभी सरकारी महकमों का एक चेहरा है जिसमे बैठे अफसरान और इंजीनियर्स हमारे और आपके पैसों से अपनी सात पुश्तों तक के कुछ न करने का इंतज़ाम कर रहे है. आखिर कुछ साल पहले तक महज़ एक जूनियर इंजीनियर रहे यादव सिंह ने हज़ारों करोड़ कैसे कमाए तब आयकर विभाग, ईडी जैसी जांच एजेंसियां कहां थी और अब यादव सिंह से आखिर क्या अनबन हो गयी जो पूरी खुन्नस निकाल ली.

<p>यादव सिंह नोएडा अथॉरिटी ही नहीं बल्कि उन सभी सरकारी महकमों का एक चेहरा है जिसमे बैठे अफसरान और इंजीनियर्स हमारे और आपके पैसों से अपनी सात पुश्तों तक के कुछ न करने का इंतज़ाम कर रहे है. आखिर कुछ साल पहले तक महज़ एक जूनियर इंजीनियर रहे यादव सिंह ने हज़ारों करोड़ कैसे कमाए तब आयकर विभाग, ईडी जैसी जांच एजेंसियां कहां थी और अब यादव सिंह से आखिर क्या अनबन हो गयी जो पूरी खुन्नस निकाल ली.</p>

यादव सिंह नोएडा अथॉरिटी ही नहीं बल्कि उन सभी सरकारी महकमों का एक चेहरा है जिसमे बैठे अफसरान और इंजीनियर्स हमारे और आपके पैसों से अपनी सात पुश्तों तक के कुछ न करने का इंतज़ाम कर रहे है. आखिर कुछ साल पहले तक महज़ एक जूनियर इंजीनियर रहे यादव सिंह ने हज़ारों करोड़ कैसे कमाए तब आयकर विभाग, ईडी जैसी जांच एजेंसियां कहां थी और अब यादव सिंह से आखिर क्या अनबन हो गयी जो पूरी खुन्नस निकाल ली.

हर सरकार ने यादव सिंह को मलाईदार तैनाती ही नहीं दी बल्कि उसके हाथों पूरा नोएडा ही बेच दिया. निष्पक्ष प्रतिदिन अखबार लगातार खुलासा कर रहा था कि कैसे फर्जी कंपनियों की बेल के सहारे ये महाभ्रष्ट इंजीनियर हज़ारों करोड़ की अवैध कमाई कर रहा था. पर सारी एजेंसियां कान में तेल डाले बैठी रहीं. पिछले १० सालों में नोएडा में तैनात रहने वाले अफसरों की हैसियत इतनी हो चुकी है कि वो सोने की सड़क बनवाने की क्षमता रखते हैं. निलंबन बहाली तो सिर्फ तमाशा था. आज ऐसे एक से बढ़कर एक यादव सिंह निर्माण निगम, लखनऊ विकास प्राधिकरण, लोक निर्माण विभाग,  यूपीएसआईडीसी, गाज़ियाबाद विकास प्राधिकरण, शिक्षा विभाग, परिवहन विभाग, आवास विकास परिषद समेत तमाम सरकारी विभागों में मौजूद हैं और इनकी अलग ही सरकार चलती है.  यूपीएसआईडीसी के अरुण मिश्रा, एलडीए में तैनात रहे इंजीनियर आरएन सिंह, एसबी मिश्रा, आरके शुक्ल, मौजूदा चीफ इंजीनियर ओपी मिश्रा, निर्माण निगम के आरके गोयल, आरएन यादव, सीपी सिंह, लोकनिर्माण के त्रिभुवन राम [मौजूदा बसपा विधायक} जैसे इंजीनियरों की अगर गहराई से जांच हो जाए तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा. यूपी में इंजीनियर खुद करोड़ों की ठेकेदारी कर रहे हैं. खुद की दर्जनों कम्पनियाँ हैं.

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पूरा देश विदेशों से काला धन वापस लाने की बात कर रहा है लेकिन सिर्फ यूपी में ही इतना काला धन है कि बड़े बड़े बिलगेट्स तक दांतों तले उँगलियाँ दबा लें. अखिलेश सरकार लगातार यादव सिंह सरीखे महाभ्रष्टों को महत्वपूर्ण पदों से नवाज़ रही है. हज़ारों करोड़ों के स्वामी यादव सिंह की तर्ज पर कई दागी आईएएस भी इस फेहरिस्त में शामिल हैं. फिर चाहे वो महेश कुमार गुप्ता हों या चंचल कुमार तिवारी, गुरदीप सिंह, जीतेन्द्र कुमार, धनलक्ष्मी, संजीव सरन, राकेश बहादुर, अनिल राज कुमार, भवनाथ, राजीव कुमार, दीपक सिंघल या कोई और. लेकिन इन अफसरान की संपत्ति की गहराई से छानबीन न कभी हुई है और न ही कभी होगी. हां इतना जरूर है, आयकर या ईडी जैसी किसी जांच एजेंसी से खटपट हुई तो एक और यादव सिंह का जिन्न बोतल से बाहर आ जायेगा. अखिलेश जी,  आप एक युवा मुख्यमंत्री हैं, इसलिए आपसे उम्मीदें और अपेक्षाएं भी अधिक हैं. इसलिए इन भ्रष्टों को इनकी सही जगह के दर्शन कराइये वर्ना समय और जनता हिसाब चुकता करने में देर नहीं लगाते…

मनीष श्रीवास्तव
ब्यूरो चीफ
निष्पक्ष प्रतिदिन, लखनऊ
[email protected]

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