वाराणसी सहारा के संपादक को गुस्साए कर्मियों ने घंटों उनके केबिन में घेरा, जमकर नोकझोक

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वाराणसी राष्ट्रीय सहारा के संपादक स्नेह रंजन के उत्पीड़न से आजिज आये संपादकीय विभाग के कर्मचारियों का गुस्सा आखिरकार फूट ही पड़ा। आक्रोशित कर्मचारियों ने घंटों संपादक को उनके ही केबिन में घेरे रखा। इस दौरान दोनों पक्षों में जमकर नोकझोक हुई। गनीमत यह रही की मारपीट नहीं हुई। कर्मचारियों ने पूरे मामले की जानकारी मीडिया हेड राजेश सिंह को दे दी है । 

जानकारी के अनुसार  संपादकीय विभाग में कार्यरत विवेक सिंह, बाबूराम, अशोक चौबे और राकेश यादव के वेतन का अच्छा खासा हिस्सा संपादक ने कटवा दिया । जब लोग दिल्ली से आये सहकर्मी कौशल किशोर के नेतृत्व में अपने संपादक जो कभी उन्हीं के साथ काम कर चुके थे से अपनी फरियाद लेकर पहुंचे तो वे आग बबूला हो गए और उल्टे इन कर्मचारियों पर ही हाजिरी वाले रजिस्टर को फाड़ देने का आरोप लगाया । 

सूत्रों का कहना है कि हाल में हुई हड़ताल से संपादक स्नेह रंजन कुछ अगुवा लोगों से खुन्नस खाये थे । इन्होंने अपने चिंटू से रजिस्टर का पन्ना फड़वा दिया और तोहमत हड़ताल करने वालों पर लगवा दिया । १२ अगस्त की शाम संपादक ने इसे मुद्दा बनाया भी लेकिन कामयाबी नहीं मिली तो तबीयत खराब होने का बहाना बनाकर उस दिन निकल गए थै । 

सूत्रों का कहना है कि इन्होंने एच आर हेड पल्लवी पांडेय को अपनी ओर कर लिया और नई होने के कारण वह भी संपादक की भाषा बोलने लगी। 

संपादक का घेराव करने वालों में कपिल सिन्हा , एसपी सिंह , मणिशंकर ,  विनोद शर्मा सहित वे चारो संवाद सूत्र शामिल थे जिनका पैसा काटा गया । यहाँ यह बताना जरूरी है कि इन संवाद सूत्रों से काम तो एक कर्मचारी की तरह लिया जाता है लेकिन दिया बहुत ही कम जाता है । सात साल तक काम करने वाले विवेक सिंह का मानदेय ७५०० है इनका २५०० रुपये काट लिया गया इसी तरह बाबूराम का भी १५सौ रुपये अति विद्वान संपादक स्नेह रंजन ने कटवा दिया । ये वही स्नेह रंजन हैं जिन्हें तत्कालीन ब्यूरो चीफ राजीव सिंह ले आए इन्होंने अधिकारियों को तेल लगाकर उन्हें ही बाहर करा दिया।

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Comments on “वाराणसी सहारा के संपादक को गुस्साए कर्मियों ने घंटों उनके केबिन में घेरा, जमकर नोकझोक

  • द्रोणाचार्य says:

    दो चार हाथ रख देते साथियो। . आजकल सहारा में सब चल जायेगा। । वैसे भी चमचो को सबक सीखने के यही मौके होते हैं

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  • राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट को पांच साल पूरे होने को हैं पर यहां स्टींगरों के वेतन में एक रुपये की बढ़ोतरी नहीं की गयी। केवल आश्वासन देकर काम लिया गया। अब तो हद हो गयी कि उनके चंद हजार रुपयों पर भी प्रबंधन कटौती कर रहा है। इतनी आह लेकर ये सब कहां जायेंगे। फिलहाल स्थिति यहां ऐसी है कि कभी भी मारपीट तक की नौबत हो सकती है।

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