घटना महाराष्ट्र के वर्धा स्थित महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय की है। आपसी रिश्ते कितने भी अच्छे क्यों न हों? लेकिन हमेशा रिश्तों में दरार क्षेत्र और धर्म के नाम पर देखने को मिलती है। कुछ ऐसा ही मामला महाराष्ट्र के वर्धा स्थित महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में सामने आया है। उक्त घटना विवि में अध्ययनरत बिहार के चनद्रभुषण सिंह, एमए सोशल वर्क और धम्मवीर भिक्षु, बौद्ध अध्यन विभाग की है।
अपनी स्थानीयता और सीनियरटी का प्रभाव दिखाने के लिए धम्मवीर भिक्षु ने बिहार के लोगों के रहन-सहन पर टिप्पणी करते हुए वहां के लोगों पर सवाल उठाया और अपने को सर्वश्रेष्ठ बताते हुए चन्द्रभुषण को नीचा दिखाया। बातचीत के दौरान ही समस्या का हल भी हो गया। रात में लगभग बारह बजे दूसरे पक्ष के लगभग 40 संख्या में कुछ स्थानीय लोगों को लेकर रजनीश अंबेड़कर (पीएच.डी. स्त्री अध्ययन विभाग) के नेतृत्व में चंद्रभुषण के कमरे में पहुंच गए और उसे जान से मारने की धमकी दी। चंद्रभुषण के माफी मांगने के बाद भी उग्र लोगों ने लाठी-डंडो से पीटकर जख्मी कर दिया। बीच-बचाव में दो सीनियर छात्रों के बाद मामला शांत हुआ। लेकिन जाते-जाते स्थानीय लोगों ने धमकाते हुए कहा अपनी जान की खैर चाहते हो वापस बिहार चले जाओ। बाद में छात्रावास अधीक्षक ने भी दोनों छात्रों को बुलाकर मामले को रफा-दफा कर दिया।
स्थानीय छात्रों को मिल रहा पुलिस प्रशासन का साथ
बात यहीं नहीं रूकी। उसके बाद उग्र छात्र सुबह होते ही स्थानीय लोगों को साथ लेकर पुलिस थाने में भी आवेदन दिया। पुलिस प्रशासन स्थानीय लोगों के दबाव में आकर भगत सिंह छात्रावास परिसर में बिना किसी अनुमति के पीडित छात्र चन्द्रभुषण को पकड़ने आ गई। जबकि पुलिस के पास एफआईआर तक दर्ज नही था ना ही उनके पास कोई एफआईआर की कापी थी। पुलिस को देख परिसर में कुछ समय के लिए भगदड़ मच गया। मामला बिगड़ता देख देश के विभिन्न राज्यों से आए छात्रों ने पीडित छात्र का समर्थन किया और पुलिस को छात्रावास कैंपस में आने की अनुमति किसने दी? यह केंन्द्रिय विवि है आप किसके अनुमति से यहां आए है? इस तरह के सवाल पूछे जाने पर पुलिस वालों ने पहले देख लेने की धमकी दी। बाद में छात्रों की संख्यां पीडिता के समर्थन में देख पुलिस ने बिना किसी से पूछे परिसर में अंदर आने की बात स्वीकारी और आगे से अनुमति लेकर परिसर में आने की बात कही। बाद में इस बाबत पुलिस ने छात्रों को आवेदन भी दिया है।
विवि प्रशासन ने की जांच कमिटी गठित, छात्रावास में डर का माहोल व्याप्त
विश्वविद्यालय प्रशासन ने मामले को संज्ञान में लेते हुए तत्काल कमिटी गठित किया है। विवि अपने स्तर से जांच करा रही जिसका निर्णय आने में समय लगेगा। उग्र छात्रों के दबंगई और स्थानीय लोगों के धमकाने के बाद से पीडित छात्र सहित पूरे छात्रावास में डर का माहोल बना हुआ है। पीडित छात्र ने कहा कि मुझे बहुत डर लग रहा है, बोलते-बोलेते चंद्रभुषण की आंखे भर जाती है। पीडित छात्र के गाँव बिहार के परिवार में भी लोग किसी अनहोनी घटना को लेकर डरे हुए हैं।
इस घटना से विदेशी छात्रों में भी है डर का माहोल
आए दिन अगर इस तरह की घटना होती रहती है। इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए विवि प्रशासन को जगना होगा। देश का एक पहला अंतरराष्ट्रीय हिंदी विवि होने के कारण यहां देशभर से ही नहीं बल्कि चीन, थायलैंड, अस्ट्रेलिया, जापान, जर्मनी, श्रीलंका इत्यादि जैसे देशों से हिंदी सिखने आए छात्रों में भी डर का माहौल बना हुआ है।
Sanjay
August 30, 2017 at 5:49 pm
फर्जी आदमी..भिक्षु का चिवर किसने फाड़ा???
बिहार होने का मतलब बदमाशी का लाइसेंस नहीं होता है