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इंटरव्यू

पत्रकारिता सत्ता का शाश्वत विपक्ष है

vimal kumar interview part three…

सत्ता झूठ का नरेटिव गढ़ता है, पत्रकारिता का काम सत्ता को एक्सपोज करना होता है….

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नेहरु के समय में भी मीडिया विपक्ष को बहुत तवज्जो नहीं देता था…

इंडियन एक्सप्रेस और टेलीग्राफ ही इस समय दो अच्छे अखबार हैं….

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हिंदी के अखबारों में बहुत गिरावट है… हिंदी की पत्रकारिता का ढांचा मजबूत नहीं है… अंग्रेजी-हिंदी के पत्रकारों के बैकग्राउंड में भी बहुत फर्क है…

पहले जनसंघर्षों से पत्रकार निकलते थे, अब संस्थानों से निकलते हैं…

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अमीर घरों के बच्चे पत्रकारिता में आते हैं जिन्हें गांव-गरीबी के बारे में पता ही नहीं…

देखें विमल कुमार का इंटरव्यू पार्ट 3-

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इसके पहले के पार्ट देखें-

अच्छा हुआ रिटायर हो गया!

प्रभाष जोशी ने मंगलेश डबराल को खुली छूट दे रखी थी!

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