सारे मथुरा जनपद में सबसे बड़ी चर्चा का विषय आज ये है कि ब्रज फ़ाउंडेशन के अध्यक्ष और वरिष्ठ पत्रकार विनीत नारायण को एक हफ़्ते से कार्यकर्ताओं के बीच दमख़म से लोकसभा का उम्मीदवार घोषित कर चुके जयंत चौधरी के बावजूद विनीत नारायण चुनाव क्यों नहीं लड़ें । जबकि श्री नारायण की देश भर में साफ़ छवि और एतिहासिक ब्रज सेवा के कारण आज हर गाँव में उनकी चर्चा थी। विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि नारायण इस चुनाव के लिए पंद्रह करोड़ रुपए ख़र्च करने को तय्यार नहीं थे , इसलिये वे ख़ुद ही चुनाव से हट गए ।
श्री नारायण ने आजीवन राजनीति से दूरी बनाकर रखने के बावजूद जयंत चौधरी के ,मथुरा से रालोद के प्रतीक पर चुनाव लड़ने के, प्रस्ताव को इस बार इसलिए मान लिया क्योंकि योगी सरकार के कुछ भ्रष्ट लोगों के कारनामों से वे नाराज़ थे, जो वह ब्रज सेवा के नाम पर कर रहे हैं। उन्हें लगा कि अब एक राजनीतिक मंच से ही यह लड़ाई लड़ी जा सकती है । जिससे ब्रज का सही दिशा में विकास हो सके ।
इस दौड़ से हटने से पहले श्री नारायण ने सार्वजनिक रूप जयंत चौधरी जी का आभार भी व्यक्त किया ,जिन्होंने पार्टी में टिकट माँगने वालों के भारी विद्रोह को भी दरकिनार करके विनीत नारायण को ही उम्मीदवार बनाने का फ़ैसला लिया और अंत तक उस पर डटे रहे।
विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि सारी समस्या पैसों के बन्दोबस्त पर अटक गयी । तीनो दलों के चुनाव प्रबंधकों ने इस चुनाव में ख़र्च करने को श्री नारायण से दस से पंद्रह करोड़ रुपए जुटाने को कहा , जो आज हर दल ख़र्च करता है। जबकि पता चला है कि विनीत नारायण पहले दिन से यह कहते आए थे कि मेरे पास चुनाव में बिगाड़ने को एक पैसा नहीं है , क्योंकि वे अपनी हर पाई ब्रज धाम की सेवा पर ही ख़र्च करना चाहते हैं। इस पर उन्होंने जयंत चौधरी से ख़ुद ही कहा कि वो कोई दूसरा उम्मीदवार ढूँढ लें ।
सारा देश जानता है कि विनीत नारायण ने पिछले 30 वर्षों में देश में हवाला कांड से लेकर , न्यायपालिका व आजकल जेट एयरवेज को दिवालिया करने तक के तमाम बहुत बड़े बड़े घोटाले खोले हैं , जिनमे उनका मुँह बंद करने के लिए उन्हें सैंकड़ो करोड़ रुपये लेने के ऑफ़र आए । पर हमेशा अपने सिद्धांत पर चलने वाले वाले श्रीनारायण ने उन सब को ठुकरा दिया । इसलिए वे आज तक बेख़ौफ़ होकर सबसे ताकतवर लोगों के घोटाले खोलते आए हैं पर कभी ख़ुद ग़लत पैसा नहीं कमाया।
चुनाव से हटने से पहले विनीत नारायण ने रालोद के सभी व्हाट्सऐप्प समूहों में अपना सद्भभावना संदेश डाल कर स्वयं ही इस चुनावी दौड़ से हटने की घोषणा की ताकि जयंत चौधरी किसी को भी उम्मीदवार घोषित कर सकें। उसके बाद ही कुँवर नरेंद्र सिंह के नाम कीं घोषणा हुई।