जागरण के ब्यूरो चीफ राजनारायण मिश्रा ने 10 अगस्त दोपहर तीन बजे मुझे फोन कर भद्दी-भद्दी गालियां बकीं और कहा, ‘तुमको और तुम्हारे हॉस्पिटल को बरबाद कर दूंगा. हम लोग तुमको जान से खत्म कर देंगे, कोई डॉक्टर तुम्हारा पोस्टमार्टम नहीं कर पाएगा.’
मनीष दुबे-
दैनिक जागरण संत कबीर नगर के कर्मचारियों का एक उगाही कांड सामने आया है. आरोप है कि जागरण के रिपोर्टर व ब्यूरो चीफ ने अस्पताल संचालक से न सिर्फ मोटी रकम दुहने की कोशिश की बल्कि उसके खिलाफ फर्जी खबर चलाकर बदनामी भी कराई है. मामले में पीड़ित पुलिस के पास भी गया तो जागरण के भय से किसी ने हाथ नहीं रखा. जिसके बाद कोर्ट ने सीधे 156/3 के तहत अदालत में ही बयान दर्ज कराने का आदेश जारी किया है.
विवेक कुमार सिंह जनपद संत कबीर नगर के खलीलाबाद थानांतर्गत विवेकानन्द हॉस्पिटल चलाते हैं. विवेक के पास दीपक तिवारी नाम के एक व्यक्ति ने आकर एक जानकार मरीज को एम्बुलेंस से गोरखपुर भेजने के लिए मान-मनौव्वल की. विवेक दीपक को जानते थे, इस कारण उन्होंने अस्पताल के नाम रजिस्टर्ड एम्बुलेंस दीपक के मरीज को ले जाने के लिए दे दी. बस यही विवाद की जड़ बन गया.
अस्पताल के जिस डॉक्टर वरूणेश दुबे ने मरीज की महंगी जांच लिखी थी, उसने मरीज और अपना कमीशन जाता देख दैनिक जागरण के कथित रिपोर्टर उज्जवल तिवारी को फोन लगा दिया. मौके पर पहुंचे रिपोर्टर ने एम्बुलेंस में मरीज बिठाते फोटो खींची और खबर ना छापने की एवज में 50,000 रूपयों की डिमांड रखी.
जागरण रिपोर्टर की मांग पर विवेक ने उससे कहा, ‘मरीज की हालत सीरियस है, उसे गोरखपुर इलाज के लिए भेज रहे हैं. वो नेक काम कर रहे हैं. और नेक काम के बदले आप मुझसे वसूली कर रहे हैं.’ विवेक द्वारा कही इन सब बातों का रिपोर्टर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा.
विवेक बताते हैं, रिपोर्टर को जब रूपये नहीं मिले तो 6 अगस्त 2023 को जागरण में एक भ्रामक खबर छापी गई. खबर का शीर्षक था, ‘रोगियों को बरगलाकर निजी अस्पतालों में पहुंचा रहे एम्बुलेंस चालक.’
जागरण की खबर से अस्पताल संचालक विवेक सिंह को धक्का पहुंचा. वे कहते हैं इस खबर से उनके व उनके अस्पताल की छवि धूमिल हुई है. इसके बाद विवेक ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से 7 अगस्त 2023 को रजिस्ट्री द्वारा जागरण ब्यूरो कार्यालय नोटिस भिजवाया. विवेक के मुताबिक नोटिस का जवाब तो नहीं आया लेकिन जागरण के ब्यूरो चीफ राजनारायण मिश्रा ने 10 अगस्त दोपहर तीन बजे उन्हें फोन कर भद्दी-भद्दी गालियां बकीं और कहा, ‘तुमको और तुम्हारे हॉस्पिटल को बरबाद कर दूंगा. हम लोग तुमको जान से खत्म कर देंगे, कोई डॉक्टर तुम्हारा पोस्टमार्टम नहीं कर पाएगा.’
इसके बाद विवेक ने थानाध्यक्ष खलीलाबाद को कानूनी कार्रवाई के लिए प्रार्थना पत्र दिया. वहां सुनवाई ना होने पर पुलिस अधीक्षक के पास गये. उन्हें सभी कागजात दिखाये, लेकिन पुलिस अधीक्षक ने उक्त लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने या कार्यवाही में असमर्थता जता दी. जिसके बाद मजबूरी में विवेक को माननीय न्यायालय की शरण लेनी पड़ी. अदालत ने मामले की गंभीरता समझते हुए पुलिस को किनारे कर दिया और 156/3 के तहत विवेक व जागरण कर्मियों को अदालत में तलब किया है.
विवेक कहते हैं मामला कोर्ट में जाने के बाद जागरण के लोग पुलिस तो कभी अन्य से उनपर रफा-दफा करने का दबाव बना रहे हैं. लेकिन अस्पताल संचालक विवेक मामले में किसी भी तरह की गुंजाइश नहीं छोड़ना चाहते हैं. फिलहाल आप मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट श्र्वेता श्रीवास्तव की कोर्ट का आदेश पढ़ें…