संजय कुमार सिंह-
कायदे-कानूनों की संस्थागत और संरक्षकों द्वारा हत्या… कायदे कानूनों की अलग और नई व्याख्या इस सरकार में जितनी हुई है उतनी पहले कभी नहीं हुई। अब तो यह सर्वविदित है कि चुनाव आयोग मतदान की तारीखें ऐसे तय करता है जिससे सत्तारूढ़ भाजपा को फायदा हो और एक जगह मतदान हो रहा होता है दूसरी जगह प्रचार चल रहा होता है, टीवी पर दिखाया जाता रहता है। अब यह सब गलत भी नहीं है।

पहले तकनीक नहीं था पर कुछ गलत लगता था तो उसे रोकने की कोशिश की जाती थी। अब गलत को सही ठहराने के लिए तर्क ढूंढ़े जाते हैं। अखबार और टेलीविजन पर उनकी पोल नहीं खोली जाती जहां संभव होता है, मीडिया खुलकर राजा का बाजा बजाता है। आज भी वही हुआ है। आइए बताऊं कैसे। ….
वोट देने के नाम पर बाकायदा रोड शो किया गया। केंचुआ उर्फ़ केंद्रीय चुनाव आयोग को इसमें कुछ ग़लत नहीं दिखता जबकि तस्वीरें गवाह है। मीडिया वाले मौन रहे, ख़ासकर न्यूज़ चैनल। अखबारों में खबर छापने या सीधे लिखने की हिम्मत या इच्छा नहीं है, सो अलग बात है। इंडियन एक्सप्रेस और द टेलीग्राफ ने इसे क़ायदे से कवर किया है। देखें-

