Sanjay Tiwari : विशेषज्ञ इसे भारत के लिए चिंता की बात बताएं, इससे पहले बता दें कि बाघा बार्डर पर जिस जुनदुल्लाह ने आत्मघाती हमले की जिम्मेदारी ली है वह तहरीके तालिबान से अलग हुआ धड़ा है. वही तहरीके तालिबान जिसके सफाये के लिए पाकिस्तान नये सिरे से वजीरीस्तान इलाके में सैन्य अभियान संचालित कर रहा है. पाकिस्तान में दो तरह के तालिबान हैं. वजीरिस्तान के तालिबान और पंजाब के तालिबान. अकेले पंजाब में करीब आधा दर्जन तालिबान हैं जबकि वजीरिस्तान में अमीबा की तर्ज पर एक तालिबान से दूसरा तालिबान पैदा होता रहता है. जो भी नया तालिबान पैदा होता है वह पंजाब के तालिबान को अपना दुश्मन नंबर एक मानता है फिर भले ही उनकी रहनुमाई सैन्य संपर्कों वाला हाफिज सईद ही क्यों न करता हो.
पाकिस्तान में जब तक जरदारी रहे, पंजाब के तालिबान पिंजड़े में बंद रहे. कभी कभी कराची में कोई छोटी (और बड़ी भी) वारदात कर देते थे. लेकिन बीते जनरल असेम्बली इलेक्शन में पंजाबी तालिबानियों ने नवाज शरीफ की पार्टी का जमकर सपोर्ट किया और पूरे पंजाब में शरीफ परिवार की जय जयकार हो गई. शायद यही कारण है कि प्रधानमंत्री बनने के बाद नवाज शरीफ ने जब काउंटर टेररिज्म आपरेशन स्टार्ट किया तो सारी सैन्य कार्रवाई वजीरीस्तान में शुरू की गई. जबकि पंजाब के आतंकी गुटों को धन देकर धार्मिक और राजनीतिक प्रक्रिया में शामिल करने की कोशिश शुरू कर दी गई.
जाहिर है वजीरीस्तान के तालिबानों को यह क्योंकर पसंद आयेगा भला. इसलिए कराची एयरपोर्ट पर हुए आतंकी हमले के बाद अब उन्होंने पंजाब को निशाना बनाया है. यह हमला सीधे सीधे पाकिस्तान को चेतावनी है कि अगर तुम हमारे घर में घुसकर हमें मार सकते हो तो हम भी तुम्हारे घर में घुसकर तुम्हें मार सकते है. ‘तुम्हारे’ मतलब पंजाब का शरीफ परिवार और ‘घर’ मतलब पंजाब और लाहौर. हो सकता है उन्होंने जानबूझकर बाघा बार्डर का चुनाव किया हो ताकि पूरे सुरक्षातंत्र और सेना को बताया जा सके कि दुश्मन की सेना से बाद में निपटना पहले हमसे निपट लो.
वेब जर्नलिस्ट संजय तिवारी के फेसबुक वॉल से.