क्या भारत में वुल्फ अटैक शुरू हो चुके हैं?

Mridul Tyagi : भारत में वुल्फ अटैक शुरू हो चुके हैं. वुल्फ अटैक मतलब एक दहशतगर्द अचानक उपलब्ध परंपरागत संसाधनों से ज्यादा से ज्यादा जनहानि की कोशिश करता है. भारतीय मीडिया ने 26 जनवरी से ऐन पहले हुई दो बड़ी घटनाओं को न तो समझा न तवज्जो दी. पहली घटना 19 जनवरी को हुई. मुरादनगर में फुरकान नाम का शख्स गंग नहर पुल से ऐन पहले रेलवे पटरी के बोल्ट खोलता पकड़ा गया. तीन किशोरों ने इसे पकड़ा.

आतंकवादी गरीब नहीं होते!

सुनील संवेदी

बांग्लादेश की राजधानी ढाका के सबसे सुरक्षित इलाके में आतंकी हमले के बाद दुनिया को आतंकवाद से बचाने और दोषी कौन पर बहस फिर शुरू हो गई। अब भारत की बारी पर भी चर्चायें हो रही हैं। इन सबमें शायद एक चीज पहली बार हुई है कि प्रिंट मीडिया से लेकर इलेक्ट्रानिक मीडिया, समाजशास्त्रियों से लेकर राजनीतिज्ञों ने इन आतंवादियों के ठाट-बाट पर कई दिनों तक अच्छी खासी चर्चा की। ढाका हमले में लिप्त आतंकवादी काफी धनिक परिवारों से थे। मतलब उन्होंने पैसे के लिए मानवता की हत्या कर खुद को मौत के मुंह में नहीं धकेला। इससे एक बात और साबित हुई कि गरीबी और अशिक्षा के चलते लोग आतंकवाद के रास्ते पर चल रहे हैं, ये सिद्धांत झूठा था। सिर्फ मुद्दे की दिशा बदलने के लिए इस सिद्धांत को गढ़ा गया था।

बाघा बार्डर पर जिस जुनदुल्लाह ने आत्मघाती हमले की जिम्मेदारी ली है वह तहरीके तालिबान से अलग हुआ धड़ा है

Sanjay Tiwari : विशेषज्ञ इसे भारत के लिए चिंता की बात बताएं, इससे पहले बता दें कि बाघा बार्डर पर जिस जुनदुल्लाह ने आत्मघाती हमले की जिम्मेदारी ली है वह तहरीके तालिबान से अलग हुआ धड़ा है. वही तहरीके तालिबान जिसके सफाये के लिए पाकिस्तान नये सिरे से वजीरीस्तान इलाके में सैन्य अभियान संचालित कर रहा है. पाकिस्तान में दो तरह के तालिबान हैं. वजीरिस्तान के तालिबान और पंजाब के तालिबान. अकेले पंजाब में करीब आधा दर्जन तालिबान हैं जबकि वजीरिस्तान में अमीबा की तर्ज पर एक तालिबान से दूसरा तालिबान पैदा होता रहता है. जो भी नया तालिबान पैदा होता है वह पंजाब के तालिबान को अपना दुश्मन नंबर एक मानता है फिर भले ही उनकी रहनुमाई सैन्य संपर्कों वाला हाफिज सईद ही क्यों न करता हो.