भोपाल : प्रदेश शासन द्वारा निजी चिकित्सा महाविद्यालय में भरी जाने वाली सीटों की प्रक्रिया को लेकर जांच कर रही एएफआरसी ने अपने 21 मई 2015 के खुलासे में भारी अनियमितता का उल्लेख करते हुए बताया है कि धोखाधड़ी से महाविद्यालयों में निजी उम्मीदवारों को प्रवेश दिलवाया गया।
आर.टी.आई. कार्यकर्ता अभय चोपडा ने बतलाया कि निजी चिकित्सा महाविद्यालय को पहले राउण्ड की काउंसिलिंग की रिपोर्ट 18 सितम्बर 2013 को एवं दूसरे राउण्ड की काउंसिलिंग की रिपोर्ट 24 सितम्बर 2013 को डी.एम.ई. को पूरी करनी थी। लेकिन उसने निजी मैनेजमेंट कोटे के छात्रों को प्रवेश देने के लिये यह तथ्य छुपाया और कट ऑफ डेट 30 सितंबर 2013 को खाली सीटें गैरकानूनी तरीके से फीस के नुकसान नहीं होने देने के आधार पर भर दीं। अंतिम तारीख निकल जाने के बावजूद पूरी सूची के साथ डी.एम.ई. को रिपोर्ट नहीं की गई। निजी महाविद्यालयों द्वारा शासन के कोटे की 197 सीटें भरने के लिए 29 और 30 सितंबर 2013 को एल.एन. मेडिकल कालेज में केंद्रीय काउंसिलिंग की गई। जो भी पी एम टी मेरिट छात्र सेन्ट्रलाईज्ड काउंसिलिंग में थे, 30 सितंबर को शाम 5 बजे के बाद कालेज लेवल की काउंसिलिंग में नहीं पहुंच सके और धोखे से 197 सीटें भर दी गईं। 29, 30 सितंबर 2013 को सेन्ट्रलाईज्ड काउंसलिंग में छात्रों का प्रवेश नहीं लेना और 30 सितंबर की शाम 5 बजे के बाद 197 छात्रों को कॉलेज लेवल काउंसिलिंग में प्रवेश देना संगठित गिरोह के धोखाधड़ी का दस्तावेजी प्रमाण है जो कि माननीय सर्वोच्य न्यायालय एवं कॉमन इण्ट्रेंस रूल्स 2013 के निर्देशो के विपरीत है और ए.आर.एफ.सी. ने इसे जानबूझकर ई. ई. रूल्स 2013 के 13.3 का तोड़ने का जवाबदेह माना है।
माननीय उच्चतम न्यायालय व मेडिकल काउंसिलिंग इंडिया के निर्देशानुसार चिकित्सा महाविद्यालयों में वर्ष 2013 के लिये 15 जून तक परिणाम घोषित होने के बाद पहले राउण्ड की काउंसिलिंग एवं सीट का आवंटन 25 से 31 जुलाई तक दूसरे राउण्ड की काउंसिलिंग एवं सीट का आवंटन 28 अगस्त एवं ज्वॉईनिंग 31 अगस्त तक होनी चाहिए। लेकिन म.प्र. के डी एम ई द्वारा पहले राउंड की काउंसिलिंग 1 अगस्त से 10 अगस्त तक तथा दूसरे राउंड की काउंसिलिंग 13 से 17 सितंबर 2013 तक करवाई गई। मजे की बात यह है कि निजी चिकित्सा महाविद्यालयों में डी एम ई के अनुसार 29 सितंबर 2013 को कुल 378 सीटों में से 37 सीटें आवंटित की गईं और 29 सितंबर 2013 व 30 सितंबर 2013 को कुल मिलाकर 341 सीटों की सेन्ट्रल काउंसिलिंग होनी थी।
28 सितम्बर 2013 तक टोटल स्टेट कोटा सीट में निजी महाविद्यलाय 341 सीटें भर चुके थे। जो कि आनलाइन काउंसिलिंग में 29 व 30 सितम्बर को छात्रों को उपलब्ध नहीं थीं। डी एम ई द्वारा निजी चिकित्सा महाविद्यालयों द्वारा की जा रही धोखाधड़ी को जानबूझकर अनदेखा किया गया। 341 सीटें निजी चिकित्सा महाविद्यालयों की झोली में डाल दी गईं। निजी महाविद्यालयों को घोटाले की छूट देना एवं काउंसिलिंग जानबूझकर निर्धारित समयावधि से बाद कराना डी एम ई के घोटाले में संलिप्त रहने का दस्तावेजी प्रमाण है। डी एम ई द्वारा कुल जमा 378 सीटों में से 29 सितम्बर तक मात्र 37 सींटे ही अलाट की गई थीं। तो ए एफ आर सी द्वारा जो 197 सीटों का घोटाला बताया जा रहा है वह 341 सीटों का घोटाला साबित हो रहा है। गौरतलब है कि 24 सितम्बर 2013 तक ज्वाईनिंग डेट पर आये 37 स्ट्यूडेंट्स के अतिरिक्त समस्त प्रवेश स्वतः निरस्त माने जायेंगे।
मननीय सर्वोच्च न्यायालय के काउंसिलिंग के निर्धारित शेड्यूल को डी एम ई द्वारा पालन नहीं करवाकर कन्टेन्ट का अपराध किया गया एवं निजी चिकित्सा महाविद्यालयों को घोटाले में खुली छूट देकर अपने पदीय कर्त्तव्य को पूरा नहीं किया गया, जो कि एक गंभीर अपराध है।
एक्सल शीट के 48 स्ट्यूडेंट्स के संदर्भ में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के विररुद्ध दमदार लडाई लड़ने वाले कांग्रेसी इस दस हजार करोड़ के घोटाले पर आक्रामक क्यों नहीं हैं? कांग्रेसी क्या जनता को इस बात का भी जवाब देंगे कि भाजपा के नेताओं के नाम उन्हे कहां से प्राप्त हुए हैं ? प्रारंभ से ही निजी चिकित्सा महाविद्यालय यह चाहते थे कि इस घोटाले की आंच उन तक नहीं पहुंचे और पी एम टी के सरकारी कोटे के इर्दगिर्द होते हुए व्यापम के घोटाले में उलझकर रह जाय।
मध्य प्रदेश के आरटीआई कार्यकर्ता अभय चोपड़ा से संपर्क : 9098084011