Yashwant Singh : लो जी, मैंने ये काम करना भी सीख लिया.. ”सीखने की कोई उमर नहीं होती, लगन हो तो कुछ भी हासिल किया जा सकता है”… ऐसी बातें अक्सर हम लोगों को बातें ही लगती हैं लेकिन परसों मेरे साथ कुछ अदभुत हुआ. एक वीडियो को मैं चाह रहा था कि उसमें का ओरीजनल साउंड हटाकर मैं अपनी आवाज दूं ताकि सब कुछ थोड़ा मनोरंजक और गुदगुदाने वाला बन जाए. पहला प्रयास था, इसलिए कितना मनोरंजक बना, यह तो नहीं कह सकता लेकिन रिजल्ट शानदार रहा.
मिशन सक्सेसफुल.
असल में मैं हमेशा प्रिंट का जर्नलिस्ट रहा. चैनल्स में कभी काम नहीं किया. इसलिए वीडियो एडिटिंग, साउंड मिक्सिंग, वीओ टाइप चीजें कैसे की जाती हैं, जान समझ नहीं पाया. लेकिन सोशल मीडिया और इंटरनेट ने पूरी मीडिया इंडस्ट्री को विकेंद्रित कर दिया है इसलिए हर कोई अब कुछ भी सीख कर सकता है. वेब यानि डिजिटल को वैसे भी सारे मीडिया का पितामह माध्यम कहा जाने लगा है क्योंकि यहां टेक्स्ट, साउंड, वीडियो सबमें काम किया जाता. तो, मैंने अपने मोबाइल से बनाए गए एक वीडियो को विंडोज मूवी मेकर पर डाला. इस वीडियो के लिए अपना खुद का जो आडियो बनाया था, उसे इंपोर्ट किया. फिर दोनों को मिक्स कर नया वीडियो बना लिया.
नीचे पहला वीडियो लिंक जो है, वह नए बने वीडियो का है. दूसरे नंबर का जो वीडियो लिंक है वह ओरीजनल वीडियो का है. तो दे दीजिए अब मुझे बधाई, एक छोटा सा नया काम सीखने के लिए.
हां, यूट्यूब ने भी वीडियो एडिटिंग समेत जाने कौन कौन सी सुविधाएं दे रखी हैं. उनका भी इस्तेमाल धीरे धीरे स्वत: सीखकर अब करने लगा हूं. जैसे एक वीडियो में रेप विक्टिम के चेहरे को हाइड करना था. पत्रकार साथी तो जानते ही होंगे कि सुप्रीम कोर्ट की रुलिंग के मुताबिक किसी भी बलात्कार पीड़िता का नाम पहचान चेहरा उजागर करना अपराध है. तो लगा सर्च करने कि ये कैसे किया जाता है. आखिरकार यूट्यूब ने ही रास्ता सुझा दिया. नीचे तीसरे नंबर का वीडियो लिंक देखिए जिसमें रेप विक्टिम के चेहरे को मैंने हाइड कर दिया है.
मेरे ये सब कहने बताने का आशय ये नहीं कि मैं अपनी पीठ थपथपाऊं और आपसे वाह वाह कराऊं. सिर्फ ये बताना है कि जरूरी नहीं कि लाखों रुपये देकर कोर्स करके ही आप सब कुछ सीखें. लगन है चाह है तो खुद भी राह बना सकते हैं. हमें, खासकर मीडिया में आने वाले नए लोगों को हर रोज कुछ न कुछ सीखना चाहिए. ये पूरी धरती बेहद रॉ है, कच्चे माल की तरह है, ये आपकी मौलिकता है कि आप इससे कितना और कब सीख पाते हैं. इसी धरती से ही हम मनुष्यों ने धीरे धीरे करके क्या से क्या क्या निर्मित कर दिया.
दिल्ली में एक कंटेंट मानेटाइजेशन वर्कशाप करके करीब 80 साथियों को ये सिखाया था कि कैसे वे अपने आनलाइन कंटेंट (टेक्स्ट, आडियो, वीडियो, फोटो) को मानेटाइज कर सकते हैं. वो वर्कशाप पेड थी, यानि थोड़े से पैसे देने वाले ही सीखने आ पाए थे, लेकिन यहां तो मैं फ्री में ज्ञान देने के लिए बैठा हूं. कोई सीखने आए तब तो 🙂
भड़ास के एडिटर यशवंत के फेसबुक वॉल से. संपर्क: [email protected]