डिजिटल मीडिया है लम्बी रेस का घोड़ा, भविष्य में भारत में छाने वाली है ऑनलाइन मीडिया
भड़ास 4 मीडिया के संपादक यशवंत सिंह ने गुवाहाटी प्रेस क्लब में पत्रकारों से ऑनलाइन मुखातिब होकर की बातचीत
गुवाहाटी : ऑनलाइन यानि डिजिटल मीडिया सबसे बड़ा मीडिया माध्यम बनकर उभर रहा है। त्वरित और इच्छानुसार विषय वस्तु पर खबर हम पारम्परिक मीडिया अख़बार, पत्रिका या टीवी न्यूज़ चैनल पर न तो पढ़ सकते हैं और न ही देख सकते हैं! ऑनलाइन मीडिया ने अपने में प्रिंट, इलेक्ट्रानिक, रेडियो सभी माध्यमों को साहित कर लिया है। इसलिए यही वर्तमना और भविष्य का मीडिया है। अगले वर्ष तक भारत में ८० करोड़ लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करने लगेंगे। सरकारों-सत्ताओं को घेरने से लेकर ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार देने के मामले में डिजिटल मीडिया मंच सबसे आगे रहेगा।
आज असम की राजधानी गुवाहाटी के प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकारों से भेटवार्ता कार्यक्रम के तहत ऑनलाइन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उक्त विचार भड़ास ४ मीडिया के संस्थापक और संपादक यशवंत सिंह ने साझा किया! गुवाहाटी प्रेस क्लब में आयोजित इस कार्यक्रम में गुवाहाटी और असम, नार्थईस्ट में कार्यरत कई पत्रकारों ने शिरक़त किया! गुवाहाटी प्रेस क्लब के सचिव नव ठाकुरिया ने ऑनलाइन मीडिया के सार्थकता और रोज़गार के सन्दर्भ में सामना कर रहे चुनौतियों और उसके सामना करने के मसले पर भड़ास ४ मीडिया के संस्थापक और संपादक यशवंत सिंह से राय लिया!
बता दें कि गुवाहाटी प्रेस क्लब के पदाधिकारी देश विदेश के वरिष्ठ पत्रकारों और बुद्धिजीयों से ऑनलाइन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए नए नए विचार वस्तुओं पर विचार गोष्ठी लगातार आयोजित कराते रहते हैं और आज इस सिलसिले को जारी रखते हुए दिल्ली स्थित भड़ास 4 मीडिया के संस्थापक और संपादक यशवंत सिंह से ऑनलाइन मीडिया और इसकी सार्थकता, डिजिटल पत्रकरिता और दूसरे पहलुओं पर बातचीत की गई।
भड़ास ४ मीडिया को सफलतापूर्वक स्थापित कर चुके यशवंत सिंह ने बताया की डिजिटल मीडिया का भविष्य भारत में उज्जवल है पर इसमें काफी चुनौतियां भी हैं। अभी कमाई के लिहाज से डिजिटल या ऑनलाइन मीडिया ज्यादा सफल साबित नहीं हो पा रहा है। अगर कंटेंट मौलिक हो, पत्रकरिता सटीक, सच्ची, विश्लेषणात्मक और त्वरित हो तो ऑनलाइन मीडिया को रीडर हाथों हाथ लेते हैं।
हालाँकि यशवंत सिंह ने माना कि ऑनलाइन मीडिया के सामने चुनौतियां भी अनगिनत हैं और सरकार अभी तक डिजिटल मीडिया को उस तरह से मान्यता नहीं दी है जैसे प्रिंट व इलेक्ट्रानिक को। इसलिए इसकी लड़ाई लड़नी पड़ेगी। अगले कुछ वर्षों में सरकार डिजिटल मीडिया को रेगुलेट करने पर आमादा हो सकती है। डिजिटल मीडिया रोज़गार के नजरिये से शिक्षित युवाओं के लिए पत्रकारिता का सुलभ माधयम बन रहा है! डिजिटल मीडिया में किसी खबर को तुरंत पोस्ट करने के मामले में पारम्पारिक मीडिया अख़बार या टीवी की तुलना में ज्यादा आगे है। इस फॉर्मेट में सर्कुलेशन का झमेला या तमाम लोगों को रखने की जरुरत नहीं है!
वरिष्ठ पत्रकार यशवंत सिंह ने अपनी अनुभव साझा करते हुए बताया ब्लागिंग के शुरुआती दिनों में पहले हम लोग गूगल के एक टूल के जरिए ये जान पाते थे कि हम लोगों का ब्लाग दुनिया के किस किस हिस्से में पढ़ा गया है. हम देखते थे कि भड़ास ब्लाग तो अमेरिका, चीन, आस्ट्रेलिया, लंदन जाने कहां कहां पढ़ा जा रहा है. वहां बैठे हिंदी भाषी कमेंट करते. रिस्पांड करते. धीरे धीरे हम लोगों ने भड़ास ब्लाग को एक कम्युनिटी ब्लाग में डेवलप किया और हजार के करीब इसके मेंबर बने जिन्हें डायरेक्ट कंटेंट पोस्ट करने का राइट था. इस तरह यह हिंदी का दुनिया का सबसे बड़ा कम्युनिटी ब्लाग बना. उस ब्लागिंग के अनुभव ने मीडिया केंद्रित एक वेबसाइट शुरू करने की प्रेरणा दी और भड़ास4मीडिया डाट काम का शुरुआत की गई. तब मीडिया में नौकरी कर रहे लोग हम लोगों को हेय दृष्टि से देखते. कहते कि इसे कहीं मीडिया में नौकरी नहीं मिल रही तो ये मीडिया के खिलाफ खबरें लिख रहा है, ब्लागिंग कर रहा है. पर आज ऐसा वक्त है कि मीडिया का हर बड़ा नामवाला डिजिटल प्लेटफार्म पर मौजूद है.
अपनी बात कहने पहुंचाने के लिए उसे डिजिटल प्लेटफाम्स की मदद लेनी पड़ रही है. डिजिटल जर्नलिज्म आज पूरी ताकत से प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रानिक मीडिया को रिप्लेस कर रहा है. अखबारों के मुकाबले डिजिटल की ग्रोथ और रीच जबरदस्त तरीके से फैल रही है. टीवी के एक ही किस्म के कंटेंट से उबे युवाओं को डिजिटल प्लेटफार्म्स ने विविधता दी है. इसलिए आज धड़ाधड़ लोग केबल कनेक्शन कटा रहे हैं, डीटीएच के पेमेंट बंद कर चुके हैं. क्योंकि अब लोग स्मार्ट फोन पर खबरें पढ़ने से लेकर वेब सीरिज देखने तक का काम कर रहे हैं. डिजिटल मीडिया ने लोगों के पढ़ने के तरीकों और अनुभवों में आमूलचूल बदलाव कर दिया है.
संभावना जताई जा रही है कि आने वाले समय में लोग कि प्रिंट के बजाय डिजिटल माध्यम को पूरी तरह से अपना लेंगे. डिजिटल मीडिया ने अमेरिका-यूरोप के पारंपरिक मीडिया में बहुत तबाही मचाई है. पाठक और विज्ञापनदाता अखबारों से हटकर सोशल मीडिया व वेबसाइटों की ओर चले गए हैं. टेलीविजन को यू-ट्यूब, फेसबुक, मेटा कैफे, यूस्ट्रीम और डेली मोशन जैसी ऑनलाइन वीडियो स्ट्रीमिंग वेबसाइटें चुनौती दे रही हैं.
डिजिटल माध्यम में दर्शक खुद ब्राडकास्टर बन सकता है, बिना कोई पैसा खर्च किए. पर इलेक्ट्रानिक मीडिया में यह संभव नहीं. डिजिटल मीडिया में दर्शक आन डिमांड चीजों को देख सकता है. टीवी में यह संभव नहीं. अमेरिका और यूरोप में दर्जनों हिसाब अखबार बंद हो गए. न्यूज़वीक जैसी पत्रिका प्रिंट मीडिया को अलविदा कर पूरी तरह ऑनलाइन हो गई. कंपनी मैगजीन, गोल्फ मैगजीन, पीसी मैगजीन, गोल्फ वर्ल्ड, जेट मैगजीन, स्मार्ट मनी, स्पिन मैगजीन, एसक्यू मैगजीन, एल स्टाइल जी स्टाइल आदि ऐसी ही कुछ मिसालें हैं. बंद होने वाले कुछ अखबार ऐसे हैं जो सौ साल से भी ज्यादा समय से प्रकाशित हो रहे थे. जिन अखबारों का बंद होना खास तौर पर दुःखद था, वे थे बाल्टीमोर सन, डेट्रॉइट फ्री प्रेस, द रॉकी माउंटेन न्यूज और सिएटल पोस्ट इंटेलीजेंसर. बहुत से अखबार जैसे सान फ्रांसिस्को क्रॉनिकल, न्यूयॉर्क टाइम्स और वाशिंगटन पोस्ट ने अपने खर्चों पर जबरदस्त अंकुश लगाकर, शेयर या प्रॉपर्टी बेचकर या अमेजॉन के जेफ बेज़ोस जैसे उद्यमियों की आर्थिक मदद से संकट को टालने में कामयाब रहे. इन्होंने प्रतिद्वंद्विता करने की बजाए डिजिटल माध्यमों के साथ खड़े हो गए.
भारत के बारे में बात करें तो इसके लिए कंसल्टेंसी फर्म एर्न्स्ट एंड यंग इंडिया और फिक्की की वर्ष 2017 की एक रिपोर्ट से कुछ आंकड़े देना चाहूंगा ताकि पता चले कि यहां डिजिटल जर्नलिज्म का भविष्य़ क्या है.
-साल 2016 के मुक़ाबले 2017 में भारत में मीडिया-मनोरंजन बाज़ार 13 परसेंट ग्रोथ के साथ 1.5 लाख करोड़ का हो गया.
-साल 2016 के मुक़ाबले 2017 में प्रिंट मीडिया का रेवेन्यू 3 फीसदी बढ़ा, डिजिटल मीडिया का 28 फीसदी.
-साल 2016 के मुक़ाबले 2017 में प्रिंट रीडरशिप 11 फीसदी बढ़ी, डिजिटल सब्सक्रिप्शन में 50 फीसदी की ग्रोथ हुई.
-देश में लगभग 22 करोड़ लोग ख़बरों को डिजिटल माध्यम से पढ़ रहे हैं.
-देश में डिजिटल में 63 फीसदी लोग हिंदी, 30 फीसदी अन्य मातृभाषाओं और सात फीसदी लोग अंग्रेज़ी भाषा में कंटेंट पढ़ रहे हैं.
-हर बड़ा प्रिंट मीडिया हाउस अब डिजिटल पर जोर देते हुए अपने मल्टीलिंग्वुल न्यूज़ एप जारी कर दिए हैं. ये न्यूज़ एप देश की 12 प्रमुख भाषाओं में विकसित किये जा रहे हैं.
-भारत में सिर्फ 38 फीसदी जनसंख्या ही अखबार या मैगज़ीन पढ़ती है. पर डिजिटल इंफ़्रास्ट्रक्चर की रफ्तार बता रही है कि 2020 तक देश में 80 करोड़ जनता इंटरनेट से जुड़ जाएगी.
-2020 तक भारत में जनसंख्या का लगभग 53 फीसदी हिस्सा हाई स्पीड ब्रॉडबैंड इस्तेमाल कर रहा होगा.
-पेटीएम, गूगल पे जैसी मोबाइल वॉलेट सेवाओं में ज़बरदस्त विस्तार हुआ है. एक बड़ी आबादी का पैसा अब बटुए में नहीं, मोबाइल में रहता है. इससे डिजिटल सब्सक्रिप्शन बढ़े हैं.
-इंफ़्रास्ट्रक्चर के मामले में डिजिटल ने प्रिंट को पीछे छोड़ दिया है. डिजिटल मीडिया की वृद्धि के लिए माहौल अनुकूल है. इंटरनेट डेटा लगातार सस्ता हुआ है. इंटरनेट यूजर्स, डाउनलोड स्पीड, औसत डेटा खपत जबरदस्त तरीके से बढ़ी है. वहीं अखबार वितरण एक बड़ी चुनौती है. अखबारी कागज़ महंगे हुए है. प्रिंटिंग मशीनों के रखरखाव और क्रूड आयल के बढ़ते दाम से प्रिंट मीडिया का खर्च बढ़ रहा है.
-खबर के लिए अखबार संभालकर रखना के मुकाबले इंटरनेट लिंक रखना आसान है. इंटरनेट बुकमार्क-आर्काइव सुविधा देता है.
-डिजिटल में तुरंत रिएक्शन देने का स्पेश है. प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी यह स्पेस नहीं.
-डिजिटल मीडिया में पालिटिक्स, लाइफ़स्टाइल, ऑटोमोबाइल, तकनीक, खेल, सिनेमा की खबरें रीयल टाइम में मिल जाती हैं. पर प्रिंट मीडिया में ऐसा नहीं है. टीवी पर रीयल टाइम में खबरें चल भी जाएं तो जरूरी नहीं कि उपभोक्ता उस वक्त टीवी के सामने बैठा हो.
-विज्ञापन एजेंसियां भी अब ज्यादा से ज्यादा पैसा डिजिटल माध्यम पर खर्च कर रही हैं. इसके चलते डिजिटल के मुकाबले प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया का रेवेन्यू शेयर घटता जा रहा है.
ऐसे में मेरा तो साफ मानना है कि डिजिटल न्यूज़ पोर्टल आने वाले समय की ज़रूरत बन जायेंगे और प्रिंट-इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को काफ़ी पीछे छोड़ देंगे.
भड़ास 4 मीडिया के संस्थापक और संपादक यशवंत सिंह ने आज ये तमान जानकारिया और प्रिंट मीडिया, ब्लॉगिंग से लेकर ऑनलाइन मीडिया तक के सफर के अनुभव को विस्तार से गुवाहाटी प्रेस क्लब में आयोजित ऑनलाइन कार्यक्रम में साझा किया! ऑनलाइन भेटवार्ता के गुवाहाटी प्रेस क्लब के इस कार्यक्रम में गुवाहाटी में कार्यरत कई राष्ट्रीय और प्रांतीय टीवी, प्रिंट, ऑनलाइन मीडिया और फ्रीलान्स पत्रकारों में प्रमुख रूप से वरिष्ठ पत्रकार रूपम बरुआ, लेखक जगदिनदरा रायचौधरी, वन्य जीव क्षेत्र के कार्यकर्ता और पर्यावरण से जुड़े पत्रकार सौम्य दीप दत्ता, ऑनलाइन मीडिया से संगीता सैकिया, दूरदर्शन समाचार गुवाहाटी से सेवाली कलिता और ज़ी मीडिया से नार्थईस्ट वरिष्ठ सवांददाता अंजनील कश्यप के अलावा युवा पत्रकार मुकुट रॉय, बनजीत ठाकुरिया, हीरकजयोति भटटा ने भाग लिया !
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নতুন প্ৰজন্মৰ সাংবাদিক সকলক উদ্দেশ্যি তেওঁ কয় যে সাংবাদিকতাৰ ধাৰা সলনি হলেও ই সদায় জীয়াই থাকিব। সাংবাদিক সকলে যি মাধ্যমতে কাম নকৰক কিয় নিজক প্ৰতিষ্ঠা কৰিবলৈ অধ্যাৱসায় কৰিবই লাগিব।অনলাইন মাধ্যমৰ সুবিধা লৈ পৃথিৱীৰ ইমূৰৰ পৰা সিমূৰলৈ নিজৰ তথ্য আৰু ধ্যান-ধাৰণা প্ৰচাৰেৰে উদীয়মান সকলে নিজৰ পৰিচয় নিশ্চিত কৰিব বুলিও সিঙে আশা প্ৰকাশ কৰে।
इससे पहले इस आयोजन को लेकर गुवाहाटी प्रेस क्लब की तरफ से पूरे नार्थ ईस्ट में एक प्रेस रिलीज जारी किया गया था जो इस प्रकार है-
Media watchdog to interact with city scribes
Guwahati: Senior online journalist and media watchdog Yashwant Singh will interact with the city-based scribes on 18 October 2019 at 4 pm in Guwahati Press Club through video conferencing, where he is expected to highlight the future course of journalism. A former print journalist Yashwant will also highlight the emerging troubles ahead of newspapers and news channels as the mainstream media has started losing its credibility and market to a larger extent in the days of internet.
Before starting his online venture (www.bhadas4media.com) in 2008,
Yashwant used to work for Dainik Jagran, Amar Ujala, Inext, etc. A pass out from Allahabad University (graduation) and Banaras Hindu University (Bachelor of Journalism & Mass Communication), Yashwant lives in New Delhi and continues to be critical to critical media mafia.
গুৱাহাটী প্ৰেছ ক্লাবত সংবাদ পৰ্যবেক্ষকৰে বর্তালাপৰ আয়োজন
গুৱাহাটী: আগশাৰীৰ সংবাদ পৰ্যবেক্ষক তথা জ্যেষ্ঠ অনলাইন সংবাদিক যশৱন্ত সিনহাই গুৱাহাটী প্ৰেছ ক্লাবৰ সদস্য-সাংবাদিক সকলৰ সৈতে ১৮ অক্টোবৰৰ ৪ বজাত এক অনুষ্ঠানত মিলিত হব। বৰ্তমান ইণ্টাৰনেটৰ যুগত সংবাদপত্ৰ আৰু news channel ৰ দুৰৱস্থা সম্পর্কত মত বিনিময় কৰাৰ লগতে
সিনহাই অনলাইন সাংবাদিকতাৰ ভৱিষ্যতৰ ওপৰত বাৰ্তালাপ কৰিব। অনলাইন সংবাদ
মাধ্যমৰ লগত জড়িত হোৱাৰ পূৰ্বে সিনহাই প্ৰখ্যাত সংবাদপত্ৰ ‘দৈনিক জাগৰণ’, ‘অমৰ উজ্জ্বলা’ত কাম কৰিছিল । দিল্লী নিবাসী সিনহা বেনাৰস্ হিন্ধু বিশ্ববিদ্যালয়ৰ সাংবাদিকতাৰ স্নাতক । অনুষ্ঠানত প্ৰেছ ক্লাবৰ সদস্য, বিশেষকৈ ডিজিটেল মাধ্যমৰ সাংবাদিক সকলৰ উপস্থিতি কামনা কৰা হ’ল।