Yashwant Singh : ग़ज़ब है यूपी का हाल। अपराधी भाग गया हिरासत से तो खिसियानी पुलिस अब बुजुर्ग और निर्दोष को कर रही परेशान। मेरे बुजुर्ग चाचा रामजी सिंह का फोन ग़ाज़ीपुर की नन्दगंज थाने की पुलिस ने छीना। बिना कोई लिखा पढ़ी किए ले गए। अब बोल रहे फोन हिरासत में लिया है। शर्मनाम है यह सब। जो पुलिस वाले नशे में होकर अपराधी को भगाने के जिम्मेदार हैं, उनको तो अरेस्ट किया नहीं होगा, एक बुजुर्ग को ज़रूर घर से उठा ले गए और फोन छीन लिया। चाचाजी फिलहाल लौट आए हैं, लेकिन फोन पुलिस ने रख लिया। यही है मोदी-योगी राज का स्मार्ट और डिजिटल इंडिया। राह चलते आदमी का फोन पुलिस छीन ले जाए और पूछने पर कहे कि फोन हिरासत में लिया है। माने बिना लिखा पढ़ी किसी का भी फोन छीनकर हिरासत में लेने का अधिकार है पुलिस को? यूपी की पुलिस कभी न सुधरेगी।
चाचा का मोबाइल पुलिस वालों ने लौटा दिया. गाजीपुर के एसपी का फोन आया था. पर सवाल ये है कि क्या पुलिस होने का मतलब यही होता है कि आप किसी भी सीनियर सिटीजन को उठा लो और फिर उनको यहां-वहां घुमाने के बाद छोड़ते हुए फोन छीन लो. जब फोन के बारे में पूछा जाए तो कह दीजिए कि फोन हिरासत में है. बिना लिखत पढ़त आपका फोन कैसे ले सकते हैं पुलिसवाले? डिजिटल इंडिया के इन दिनों में जब फोन आपके लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज है, आपकी वर्चुवल / आनलाइन पर्सनाल्टी की तरह है मोबाइल फोन, इसमें सारे मेल, सारे पेमेंट डिटेल्स, सारे कार्ड्स, सारे सोशल मीडिया साइट्स, सारे कांटैक्ट्स, सारे आफिसियल और परसनल डिटेल्स होते हैं तो आप पुलिस वाले इन्हें यूं ही छीन कर कैसे ले जा सकते हो और और पूछने पर तपाक से कैसे कह दोगे कि फोन आपका हिरासत में लिया गया है? मने कुछ भी कर दोगे और कुछ भी कह दोगे? कोई नियम-कानून आपके लिए नहीं है? अपराधी आप पुलिस वाले खुद ही हिरासत से भगा दीजिए और इसका बदला किन्हीं दूसरे निर्दोषों से लीजिए?
गाजीपुर के पुलिस कप्तान सोमेन वर्मा को मुझे यह समझा पाने में काफी मुश्किल हुई कि आपका थानेदार किसी का फोन यूं ही कैसे छीन कर ले जा सकता है? आपको किसी आदमी पर शक है, उसकी बातचीत या उसके मैसेजेज पर शक है तो आप उसके फोन नंबर सर्विलांस पर लगवा लो, सीडीआर निकलवा लो, सारे मैसेज पता करवा लो, सारे फोन सुन लिया करो… चलो ये सब ठीक, देश हित का मामला है, अपराध खोलने का मामला है, अपराधी पकड़ने का मामला है, कर लो ये सब, चुपचाप. लेकिन आप किसी का फोन कैसे छीन लेंगे? और, पूछने पर कहेंगे, पूरी दबंगई-थेथरई से, कि हम फोन चेक कर रहे हैं? ऐसे कैसे फोन छीनकर चेक कर सकते हैं आप लोग? आपने अगर फोन छीनकर आपके लोगों ने इसी फोन से अपराधियों को फोन कर दिया, इसी फोन से अपराधियों को मैसेज कर दिया और फिर बाद में यह कह कर फोन वाले को फंसा दिया कि इस फोन से तो अपराधियों को काल किया गया है, मैसेज किया गया है तो फिर हो गया काम… इस तरह से आप लोग किसी भी निर्दोष को फंसा सकते हैं.
देश में अभी निजता की बहस चल ही रही है. किसी के फोन में देखना तक अनैतिक होता है. किसी के फोन को बिना पूछे उठाना गलत माना जाता है. आप पुलिस वाले तो किसी दूसरे का पूरा का पूरा फोन ही छीन लेते हो? ये इस लोकतंत्र में किस किस्म का निजता का अधिकार है? या फिर ये निजता का अधिकार सिर्फ बड़े शहरों के बड़े लोगों के लिए है?
ट्विटर पर यूपी पुलिस, डीजीपी, सीएम योगी आदि को टैग करते हुए जब मैंने ट्वीट किया और कई साथियों ने इस ट्वीट पर यूपी पुलिस व गाजीपुर पुलिस से जवाब मांगा तो गाजीपुर पुलिस सक्रिय हो गई. रात में ही चाचा का फोन नंदगंज थाने से शहर कोतवाली मंगवा लिया गया और मुझे इत्तला किया गया कि फोन आ चुका है, किसी को भेज कर मंगवा लें. मेरे अनुरोध करने पर शहर में रहने वाले साथी Sujeet Singh Prince और Rupendra Rinku भाई रात करीब एक बजे गाजीपुर कोतवाली जाकर चाचा का फोन ले आए.
सवाल ये भी है कि क्या हम आप अगर ट्विटर और एफबी पर सक्रिय हैं, तभी जिंदा रहेंगे, वरना पुलिस आपके साथ कोई भी सलूक कर जाएगी? ऐसा देश मत बनाइए भाइयों जहां किसी निर्दोष और किसी आम नागरिक का जीना मुहाल हो जाए. क्या फरक है सपा की अखिलेश सरकार और भाजपा की योगी सरकार में? वही पुलिस उत्पीड़न, वही अराजकता, वही जंगलराज. जिसका जो जी कर रहा है, वह उसे धड़ल्ले से कर रहा है, बिना सही गलत सोचे.
हमारे गांव का एक अपराधी गाजीपुर शहर में पुलिस हिरासत से फरार हो गया. बताया जाता है कि पुलिस वाले जमकर पीने खाने में मगन थे और उसी बीच वह भाग निकला. जो पुलिस वाले उसे पेशी पर लाए थे, उन्हें करीब दो घंटे बाद पता चला कि पंछी तो उड़ चला. मुझे नहीं मालूम गाजीपुर के पुलिस कप्तान ने इन लापरवाह, काहिल और भ्रष्ट पुलिस वालों को गिरफ्तार कराया या नहीं, जो अपराधी को भगाने के दोषी हैं. इन पुलिस वालों ने कितने पैसे लेकर अपराधी को भगाया, इसे जांच का विषय बनाया या नहीं, मुझे नहीं मालूम. पर पुलिस विभाग शातिर अपराधी के भाग जाने के बाद उसे खोजने-पकड़ने के चक्कर में अब उन निर्दोषों को परेशान करने लगा जिनका इस शख्स से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं.
खिसियानी बिल्ली खंभो नोचे के क्रम में पुलिस वाले भागे हुए अपराधी को पकड़ने के नाम पर मेरे गांव पहुंचे और मेरे बुजुर्ग चाचा रामजी सिंह को उठा ले गए. वे उन्हें गाजीपुर शहर उनके बड़े वाले पुत्र यानि मेरे कजन के घर पर ले गए. उनका बड़ा पुत्र गांव छोड़कर गाजीपुर शहर में गांव की किचकिच / राजनीति से बचने के लिए सपरिवार किराये पर रहने लगा. वहां जब उनका बड़ा बेटा नहीं मिला तो पुलिस वाले चाचा को छोड़ तो दिए पर जाते-जाते उनका फोन ले गए. उस फोन को ले जाकर उन्होंने उसमें सेव सभी नामों पर मिस काल मारने लगे. जिसका भी पलट कर फोन आए, उससे फोन पर ही पूछताछ करने लगते.
अरे भाई गाजीपुर पुलिस! आजकल की पुलिसिंग बहुत एडवांस है. कहां बाबा आदम के जमाने के इन तौर-तरीकों / टोटकों में अटके पड़े हो और अपनी कीमती उर्जा यूं ही खर्च कर रहे हो. आजकल अव्वल तो शातिर अपराधी फोन पर बात नहीं करते. दूसरे, पुलिस के लोग अब तकनीकी रूप से काफी ट्रेंड किए जाने लगे हैं ताकि वे सारे आयाम को समझ कर अपराधी को बिना भनक लगे दबोच सकें. साइबर अपराध बढ़े हैं और इसी कारण इसको हैंडल करने के लिए ट्रेंड पुलिस वालों की भी संख्या बढ़ाई जा रही है. पर यूपी में लगता है कि पुलिस अब भी बाहुबल और बकैती को ही अपराध खोलने का सबसे बड़ा माध्यम मानती है.
भाई एडवोकेट Prateek Chaudhary की एक पोस्ट पढ़ रहा था जिसमें उन्होंने लिखा है कि अलीगढ़ में एक थाने में एक लड़की को 12 दिन तक लगातार गैर-कानूनी रूप से रखा गया. उस पर शायद अपनी भाभी की हत्या का आरोप था. जब हो-हल्ला हुआ तो उसे 12 दिन के बाद जेल भेजा गया. बताइए भला. एक लड़की को आप 12 दिन तक हवालात में रखते हो! ये कहां का नियम कानून है. आप रिमांड पर लो. पूछताछ करो. पर ये क्या कि न कोर्ट में पेश करेंगे न जेल भेजेंगे, बस हवालात में रखे रहेंगे! वो भी एक लड़की को! क्या इन्हीं हालात में (गाजीपुर में मेरे चाचाजी वाले मामले और अलीगढ़ में लड़की वाले मामले में) पुलिस वाले उगाही और बलात्कार जैसी घटनाएं नहीं करते?
योगी सरकार को यूपी में पुलिसिंग दुरुस्त करने के लिए बहुत सख्त कदम उठाने की जरूरत है अन्यथा सरकार बदलने के बावजूद जनता के कष्ट कम न हो सकेंगे. अखिलेश यादव के राज में जो जंगलराज था, वही हालात आज भी जमीन पर है. खासकर छोटे और पिछड़े जिलों में तो पुलिस विभाग का बुरा हाल है. वहां पुलिस का मतलब ही होता है गरीबों को प्रताड़ित और शोषित करने वाले. निर्दोष जनता से बदतमीजी करने के आरोपी / दोषी पुलिस वालों को बिना देर किए सस्पेंड-बर्खास्त करने में कतई हिचकने-झिझकने की जरूरत नहीं. शायद तभी ये सुधर सकें.
मेरे चाचा के फोन छीने जाने वाले मामले में डॉ Avinash Singh Gautam और Avanindr Singh Aman समेत ढेरों साथियों ने ट्विटर पर तुरंत सक्रियता दिखाई, इसके लिए इन सभी का दिल से आभार.
भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह की एफबी वॉल से. yashwant@bhadas4media.com
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Comments on “अपराधी को हिरासत से भगाने वाली गाजीपुर पुलिस ने निर्दोष बुजुर्ग का मोबाइल फोन छीन लिया!”
पुलिस वाले तो छोले व रासगुले पर मस्त हो गए… उनको तो 2 घण्टे बाद पता चला कि शातिर अपराधी राजेश दुबे जिसे वे लोग लेकर आये थे, अब भाग गया… मतलब कि पुलिस वाले 2 घण्टे बाद सपने से जमीन पे आये…
ये up की पुलिस है सर. सीधी बात इसकी समझ में कहां आती है.
डिजिटल इंडिया है सर इसीलिए और शायद पुलिस के पास डिजिटल फ़ोन नहीं होगा इसलिए छीन लिए होंगे।
सीधे और गरीब की बात सुनना तो दूर, उनसे तमीज़ से बात ही नही करती हमारी पुलिस।
उत्तर प्रदेश में सरकार बदली है, पुलिस का चरित्र नहीं। यहां की पुलिस खुद को भगवान मानती है और कुछ मुझ जैसे या आप जैसे लोग हैं, जो इनको इनकी औकात बता देते हैं। Prateek Chaudhary
चाचा को एक तहरीर देनी चाहिए चाहिए कि किसी अपराधी को फोन या एसएमएस गया होगा तो वो जिम्मेदार नहीं होंगे और अगर उनके बैंक आदि से कोई गलत ट्रांजेक्शन हुआ तो उसकी जिम्मेदार पुलिस होगी। Dhirendra Pandey
यूपी पुलिस की गुंडई चालू आहे। पिछले 10 दिनों से एक पीड़ित महिला थाने जाकर रिपोर्ट लिखाने की कोशिश कर रही है लेकिन थानाध्यक्ष उसे भगा देता है। जब महिला सीओ से मिली तो महिला सीओ ने थानाध्यक्ष को एफआईआर लिखने को निर्देशित किया लेकिन जब महिला थाने पहुंची तो यह कह कर भाग दिया कि मैं नहीं दर्ज करता मुकदमा चाहे सीओ कहें या कोई और… Dev Nath
सही कहा आपने यशवंत जी…इस मामले में उत्तर प्रदेश बड़ी ही दयनीय स्तिथि है। यहां सारे नियम-कानून कुछ रसूखदार और पुलिस वालों की पैर की जूती मात्र बनकर रह गये हैं। थानेदार छोड़ो एक मामूली हवलदार भी वहां वर्दी का ऐसा रौब जमाता है मानो राज्य का मुख्यमंत्री हो । चाहे अखिलेश सरकार रही हो या योगी जी पुलिस वालों की दबंगई किसी से छुपी नहीं है। Vinod Vidrohi
पुलिस एक गुंडातंत्र में बदल चुकी है। लाइलाज मर्ज है इनमें व्याप्त भ्रष्टाचार। कानून का शिकंजा इनपर भी कसा जाना चाहिए। DrMandhata Singh
जनता को परेशान करना ही इनका इमान है। Purushottam Asnora
ये सिस्टम के नुमाइंदे अपने लिए सारे नियम कानून ताक पर रख देते हैं
Up पुलिस का वादा अपराध हो ज्यादा… Shakti Singh
आज सबसे अधिक डर पुलिस और देशभक्तों से लगता है यह किसी की बात सुनना ही नहीं चाहते। S.K. Misra