Connect with us

Hi, what are you looking for?

सुख-दुख

रेलवे स्टेशन पर पान खाने गए यशवंत पहुंचा दिए गए कोतवाली!

Yashwant Singh : रात मेरे साथ कहानी हो गयी। ग़ाज़ीपुर रेलवे स्टेशन पर पान खाने गया लेकिन पहुंचा दिया गया कोतवाली। हुआ ये कि स्टेशन पर मंदिर के इर्द गिर्द कुछ संदिग्ध / आपराधिक किस्म के लोगों की हरकत दिखी तो एसपी को फोन कर डिटेल दिया। उनने कोतवाल को कहा होगा। थोड़ी ही देर में मय लाव लश्कर आए कोतवाल ने मंदिर के पास वाले संदिग्ध लोगों की तरफ तो देखा नहीं, हम दोनों (मेरे मित्र प्रिंस भाई) को तत्काल ज़रूर संदिग्ध मानकर गाड़ी में जबरन बिठा कोतवाली ले गए। मुझे तो जैसे आनंद आ गया। लाइफ में कुछ रोमांच की वापसी हुई। कोतवाल को बताते रहे कि भाया हम लोगों ने तो संदिग्ध हरकत की सूचना दी और आप मैसेंजर को ही ‘शूट’ कर रहे हो।

<script async src="//pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script> <script> (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({ google_ad_client: "ca-pub-7095147807319647", enable_page_level_ads: true }); </script><p>Yashwant Singh : रात मेरे साथ कहानी हो गयी। ग़ाज़ीपुर रेलवे स्टेशन पर पान खाने गया लेकिन पहुंचा दिया गया कोतवाली। हुआ ये कि स्टेशन पर मंदिर के इर्द गिर्द कुछ संदिग्ध / आपराधिक किस्म के लोगों की हरकत दिखी तो एसपी को फोन कर डिटेल दिया। उनने कोतवाल को कहा होगा। थोड़ी ही देर में मय लाव लश्कर आए कोतवाल ने मंदिर के पास वाले संदिग्ध लोगों की तरफ तो देखा नहीं, हम दोनों (मेरे मित्र प्रिंस भाई) को तत्काल ज़रूर संदिग्ध मानकर गाड़ी में जबरन बिठा कोतवाली ले गए। मुझे तो जैसे आनंद आ गया। लाइफ में कुछ रोमांच की वापसी हुई। कोतवाल को बताते रहे कि भाया हम लोगों ने तो संदिग्ध हरकत की सूचना दी और आप मैसेंजर को ही 'शूट' कर रहे हो।</p>

Yashwant Singh : रात मेरे साथ कहानी हो गयी। ग़ाज़ीपुर रेलवे स्टेशन पर पान खाने गया लेकिन पहुंचा दिया गया कोतवाली। हुआ ये कि स्टेशन पर मंदिर के इर्द गिर्द कुछ संदिग्ध / आपराधिक किस्म के लोगों की हरकत दिखी तो एसपी को फोन कर डिटेल दिया। उनने कोतवाल को कहा होगा। थोड़ी ही देर में मय लाव लश्कर आए कोतवाल ने मंदिर के पास वाले संदिग्ध लोगों की तरफ तो देखा नहीं, हम दोनों (मेरे मित्र प्रिंस भाई) को तत्काल ज़रूर संदिग्ध मानकर गाड़ी में जबरन बिठा कोतवाली ले गए। मुझे तो जैसे आनंद आ गया। लाइफ में कुछ रोमांच की वापसी हुई। कोतवाल को बताते रहे कि भाया हम लोगों ने तो संदिग्ध हरकत की सूचना दी और आप मैसेंजर को ही ‘शूट’ कर रहे हो।

Advertisement. Scroll to continue reading.

कोतवाली में नीम के पेड़ के नीचे चबूतरे पर मेरा आसन लगा और गायन शुरू हो गया- ना सोना साथ जाएगा, ना चांदी जाएगी…। पुलिस वालों ने मेडिकल कराया जिसमें कुछ न निकला। अंततः एक स्थानीय मित्र आए तो उनके फोन से फिर एसपी को फोन कर इस नए डेवलपमेन्ट की जानकारी दी। एसपी भौचक थे सुनकर। उन्होंने फौरन कोतवाल को हड़काया। सीओ को कोतवाली भेजा। आधे घंटे में खुद भी प्रकट हो गए।

तब तक दृश्य बदल चुका था।

Advertisement. Scroll to continue reading.

शहर कोतवाल सुरेंद्र नाथ पांडेय हम लोगों के चरण छूकर माफी मांग रहा था। उनका अधीनस्थ दरोगा जनार्दन मिश्रा जो बदतमीजी पर आमादा था, कोतवाली लाए जाते वक्त, गायब हो चुका था। हम लोगों ने नीम के पेड़ के नीचे पुलिस जुल्म के खिलाफ ऐतिहासिक अनशन शुरू कर देने की घोषणा की। माफी दर माफी मांगते रुवांसे कोतवाल को हम अनशनकारियों ने आदेश दिया कि फौरन तुलसी रजनीगंधा की व्यवस्था कराओ, तब अनशन खत्म करने पर विचार किया जाएगा। कोतवाल ने अल्फा बीटा गामा चीता कुक्कुर सियार जाने किसको किसको आदेश देकर फौरन से पेशतर उच्च कोटि का पान ताम्बूल लेकर हाजिर होने का हुक्म सुनाया।

सीओ को हम लोग कम भाव दिए क्योंकि निपटना कोतवाल से था।

Advertisement. Scroll to continue reading.

कप्तान आए तो मेरा पुलिस, जनता, पत्रकरिता और सरोकार पर भाषण शुरू हुआ जो अनवरत आधे घंटे तक चला। मैं रुका तो मेर साथ अनशनकारी मित्र प्रिंस का उग्र भाषण शुरू हुआ। कप्तान सोमेन वर्मा माफी मांगने लगे और कोतवाल को जमकर लताड़ने लगे। अगले घण्टे भर तक सुलहनामे की कोशिश चलती रही। मेरी एक ही शर्त थी कि अगर मेरे दोस्त प्रिंस ने माफ कर दिया तो समझो मैंने भी माफ कर दिया वरना ये कोतवाली का धरना सीएम आवास तक पहुंचेगा। एसपी ने प्रिंस भाई के सामने हाथ जोड़ा और पुलिस विभाग की तरफ से मांफी मांग कर उन्हें गले लगाया। साथ ही साथ वहां हाथ बांधे खड़े कोतवाल की जमकर क्लास लगाई- ‘तुम नहीं सुधर सकते… चीजों को ठीक नहीं कर सकते हो तो कम से कम रायता तो न फैलाया करो…’।

मैंने कहा- ‘इसके पास वसूली उगाही से फुरसत हो तब न सकारात्मक काम करे… ऐसे ही लोग विभाग के लिए धब्बा होते हैं जो राह चलते किसी शख्स से बदतमीजी से बात करते हुए उसे थाने-कोतवाली तक उठा लाते हैं, जैसा आज हुआ’।

Advertisement. Scroll to continue reading.

कोतवाल बेचारे की तो घिग्घी बंधी थी। एसपी और सीओ माफी पर माफी मांग अनशन से उठने का अनुरोध करते जा रहे थे। हम लोग जेल भेजे जाने की मांग पर यह कहते हुए अड़े थे कि अरेस्टिंग और मेडिकल जैसे शुरुआती दो फेज के कार्यक्रम हो चुके हैं, तीसरे फेज यानि जेल भेजे जाने की तरफ प्रोसीड किया जाए।

इसी बीच बाइक से आए एक पुलिस मैन ने कोतवाल के हाथों में चुपके से कुछ थमाया तो कोतवाल ने हाथ जोड़ते हुए मुझे तुलसी रजनीगंधा का पैकेट दिखाया। मैं मुस्कराया, चॉकलेट को मुंह से कट मारने के बाद सारे दुख भूल जाने वाले विज्ञापन के पात्र की तरह। उधर प्रिंस भाई का भी भाषण पूरा हो चुका था और पूरा पुलिस महकमा सन्नाटे में था। अनुनय विनय की चौतरफा आवाजें तेज हो चुकी थीं। अंततः आईपीएस सोमेन वर्मा के बार बार निजी तौर पर मांफी मांगने और आइंदा से ऐसी गलती न होने की बात कही गयी तो मैंने उनसे बोतल का पानी पहले प्रिंस भाई फिर मुझे पिला कर अनशन खत्म कराने का सुझाव दिया जिसे उन्होंने फौरन लपक लिया।

Advertisement. Scroll to continue reading.

आंदोलन खत्म करने का एलान करते हुए नीम के पेड़ के चबूतरे से उठ कर मैं सीधे कोतवाल की तरफ मुड़ा और उसके हाथ से तुलसी रजनीगंधा झपटते हुए कहा- ”तुम यहां आंख के सामने से निकल लो गुरु, वर्दी न पहने होते तो दो कंटाप देता, लेकिन ये तुलसी रजनीगंधा मंगा कर तुमने थोड़ा अच्छा काम किया है इसलिए जाओ माफ कर रहा हूं। बस ध्यान रखना आगे से कि पैदल चलने वाला हर व्यक्ति सामान्य ही नहीं होता इसलिए किसी आम आदमी से बदतमीजी करने से पहले सौ बार जरूर सोचना।”

कोतवाल सिर झुकाए रहा।

Advertisement. Scroll to continue reading.

कप्तान ने हम लोगों का जब्त मोबाइल और लाइसेंसी रिवाल्वर वापस कराया। एक दोस्त रिंकू भाई की कार पर सवार होने से पहले कोतवाली के गेट पर बंदूक लिए खड़े संतरी से जोरदार तरीके से हाथ मिलाते हुए उन्हें इस कोतवाली का सबसे बढ़िया आदमी होने का खिताब दिया और उन्हें ‘जय हिंद’ कह कर सैल्यूट ठोंकते हुए घर वापस लौट आया।

अभी सो कर उठा तो सबसे पहले रात का पूरा वृत्तांत यहां लिखा ताकि भड़ास निकल जाए। आज रोज से ज्यादा एनर्जेटिक फील कर रहा हूं क्योंकि वो मेरा प्रिय गाना है न – ‘वो जवानी जवानी नहीं जिसकी कोई कहानी न हो’। दिक्कत ये है कि मैं पूरी जिंदगी में एक नहीं बल्कि हर रोज एक कहानी चाहता हूं और जिन-जिन दिनों रातों में कोई कहानी हो जाया करती है उन उन दिनों रातों में ज्यादा ऊर्जा से भरा जीवंत महसूस करता हूँ।

Advertisement. Scroll to continue reading.

कह सकते हैं मेरे साथ हर वक्त कहानी हो जाया करती है, कभी इस बाहरी दुनिया में घटित तो कभी आंतरिक ब्रम्हांड में प्रस्फुटित।

फिर मिलते हैं एक कहानी के बाद।

Advertisement. Scroll to continue reading.

जै जै

भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह की एफबी वॉल से. संपर्क : [email protected]

Advertisement. Scroll to continue reading.

उपरोक्त एफबी पोस्ट पर आए सैकड़ों कमेंट्स में से कुछ चुनिंदा पढ़ने के लिए नीचे दिए शीर्षक पर क्लिक करें…

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

0 Comments

  1. अशोककुमार शर्मा

    July 4, 2017 at 3:55 am

    वेदों पुराणों में भगवान विष्णु के इसी तरह के कृत्यों को लीला कहा गया है। विष्णु जी की हेल्प योगमाया नामक शक्ति करतीं थीं । तुम्हारी हेल्प परिस्थितियां कर देतीं हैं।
    यशवंत तुम पर गर्व करने लायक जिस तरह नई लीलाएं रच लेते हो, उनकी विविधता देखते हुए लगता है घर में बहू रानी (अरे छोटे भाई की पत्नी भाभी नहीं कहलाती) को भी लीलाएं झेलनी पड़ती होंगी। मुमकिन है कि दोनों लोग लीलाएं करते हो।
    सो, प्यारे इन लीलाओं पर ‘यशवंत-लीला’ नाम से किताब क्यों नहीं लिखते। याद करो। संग्रह करो। छाप डालो।

  2. sushil gangwar

    July 6, 2017 at 11:29 am

    Chaliye koi nahi .. Esa hota rahta hai bhai .. ye police hai .. ye kisi ko bhi under bitha dete hai .. puchte baad me hai .. ye hi to rona hai ..

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement