योगी के शहर में करप्शन धड़ल्ले से!
गोरखपुर। उत्तर प्रदेश सरकार जहां भ्रष्टाचार को मिटाने के लाख दावें कर रही हो, वही योगी के शहर में ही स्थिति बिल्कुल उलट है. हम बात कर रहे हैं खाद्य एवं यह रसद विभाग की। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के अंतर्गत सरकार द्वारा गेहूं ₹2 किलो प्रति किलो तथा चावल ₹3 प्रति किलो कि दर से लाभार्थियों को मिलना तय हुआ है। लेकिन योगी के शहर में धड़ल्ले से नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। यहां कोटे की दुकानों पर ₹3 प्रति किलो गेहूं तथा ₹4 किलो चावल एवं मिट्टी का तेल ₹35 प्रति लीटर की दर से कोटेदारों के द्वारा खुलेआम लाभार्थियों को वितरित किया जाता है।
यह सब मुख्यमंत्री के शहर का हाल है, जो मुख्यमंत्री प्रदेश में घूम-घूम कर भ्रष्टाचार खत्म करने की बात कर रहे हैं। गोरखपुर के जिला पूर्ति अधिकारी उनकी नाक के नीचे ही बैठकर मोटी मलाई काट रहे हैं और मुख्यमंत्री को गुमराह करने का काम कर रहे हैं। तमाम शिकायतें डीएम से लेकर जिला पूर्ति अधिकारी के कार्यालय में पड़ी हुई है लेकिन उस पर ध्यान देने वाला आज कोई नहीं! कागजों में कोरम पूरा कर दिया जाता है।
अगर राशन की दुकानों पर अचौक निरीक्षण कर लिया जाए तो दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा। लेकिन इतनी जहमत कौन करें? क्योंकि जो मोटा कमीशन खाने को मिल रहा है जिला पूर्ति अधिकारी के व्हाट्सएप नंबर पर भी इसकी शिकायत की गई लेकिन वो भी कान में तेल डाल कर बैठे हैं।
इससे साफ प्रतीत होता है कि कमीशन का एक हिस्सा इनके पास भी आता है। मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि जिस दिन कोटे की दुकानों पर राशन बंटता हो, उस दिन अगर इमानदारी से सप्लाई इंस्पेक्टर उस दुकानदार के वहां जाए और वहां के लाभार्थियों से बुलाकर पूछताछ करे तो सभी कोटेदारों की कलई खुल जाएगी। लेकिन इतनी जहमत कौन उठाए? क्योंकि उसमें एक हिस्सेदारी इनकी भी है।
गोरखपुर की मीडिया ने कभी भी सच्चाई प्रकाशित करने की कोशिश नहीं की क्योंकि जनहित के मुद्दों में कुछ मिलता नहीं है। साहब राशन वितरण के बाद पहुंचते हैं और चाय नाश्ता करके कमीशन लेकर नौ दो ग्यारह हो जाते हैं।
मुख्यमंत्री जी, जो अधिकारी आप को गुमराह कर रहे हैं, यह अपना नहीं, आप की छवि को धूमिल करने का काम कर रहे हैं। अगर सच में आपने भ्रष्टाचार मिटाने की ठानी है तो इन सब बिंदुओं पर आप अपने विश्वसनीय अधिकारियों को लगाकर जांच कराइए। तब पता चल जाएगा कि अधिकारी कितनी ईमानदारी और निष्ठा से आपके प्रति और आपके सरकार के प्रति काम कर रहे हैं।
लेकिन यहां तो इस स्थिति बिलकुल विपरीत है। अगर उपरोक्त बिंदुओं की सत्य जांच हो जाए तो अधिकारियों की कलई खुल जाएगी। जो गरीबों के पसीने की गाढ़ी कमाई अपनी जेब में डाल रहे हैं वह सामने आ जाएंगे। कोटेदारों से बात करने पर वे कहते हैं कि क्या करें, ऊपर तक देना पड़ता है। सवाल है कि आखिर योगी जी आपके शहर में ऊपर तक कौन ले रहा है… यह एक बड़ा प्रश्न है?
योगी जी, क्या सरकार बनने के बाद एक भी राशन कोटे की दुकानदारों के यहां औचक निरीक्षण हुआ… अगर हुआ तो उसमें क्या हुआ? अगर सही में अचौक निरीक्षण हुआ होता तो शायद आज गोरखपुर की तमाम राशन की दुकानें सील हो चुकी होतीं! लेकिन इतनी जहमत कौन उठाए?
कई सालों से अपनी कुर्सी पर जमे जमाए कोटेदार यह जान चुके हैं कि इस सरकार में भी थोड़ी मोड़ी मलाई खिला देंगे और काम चल जाएगा। अगर उनके कोटे की दुकानों की निरंतर जांच हो और भ्रष्टाचार में लिप्त होने पर तुरंत उनका लाइसेंस कैंसिल कर दिया जाए तो मैं समझता हूं कि कोटेदारों में भ्रष्टाचार को लेकर एक खौफ पैदा हो जाएगा। उनके जेहन में यह डर बन जाएगा कि अगर वे गलत दर के हिसाब से राशन वितरण करेंगे तो उनका भी लाइसेंस तुरंत कैंसिल हो जाएगा।
अगर इस तरह की व्यवस्था योगी जी आपके शहर में हो जाती है तो गरीबों की बहुत ही दुआ मिलेगी। नहीं तो वह दिन दूर नहीं जब यह अधिकारी आपको ले डूबेंगे।
भ्रष्ट अधिकारी अपनी छवि बनाने के लिए आपको मुंगेरीलाल के जो हसीन सपने दिखा रहे हैं इन सपनों से जागिए और सत्यता की जांच कराकर इस गोरखपुर की जनता को न्याय दिलाने का काम कीजिए। गोरखपुर की जनता को न्याय का इंतजार रहेगा।
अनुपम श्रीवास्तव
युवा पत्रकार
गोरखपुर
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