भड़ासी यशवंत को एक बोतल दारू पर बिकने वाला कहने वाला ज़ी मीडिया के कर्मचारियों का काल बन गया है। इंक्रीमेंट काल में कोरोना को खुलेआम चुनौती दे रहा है। ऐसे चेले सदा अपने गुरूघंटालों के लिए मुसीबत रहे हैं। कुछ दिन पहले ही भड़ास ने कलस्टर-2 के नेपोलियन की लापरवाही का चिट्ठा उजागर किया था, लेकिन ‘पामेलियन’, अरे वही! जो कुत्ते की एक प्रजाति है, रहता अप-टू-डेट है, लगता अनुशासित है पर मालिकों को सबसे ज्यादा खतरा ऐसे ही चाटुकार ‘पामेलियन’ के कारण रहता है, मालिक सोए रह जाता है और चोर बोटी फेंककर हाथ साफ कर जाता है! इतिहास गवाह रहा है कि विपत्ति में ऐसे कुत्ते मेरा मतलब है, ऐसे चेले कभी काम नहीं आते।
हाल ही में इसका कोरोना टेस्ट ग्रेटर नोएडा के GIMS में हुआ, रिपोर्ट निगेटिव आई, खूब फोटो खिंचाई, 5 फीट से लेकर 50 मीटर दूर तक हर एंगल से फोटो खिंचाई, नेपोलियन, रमेश जी और रमेश सर के ‘केतू’ को टैग करके गुणगान किया। उसके बाद से ये चाटुकार लगातार ऑफिस आ रहा है। जबकि ऑफिस सील है। इसके पास कोई काम नहीं है। काम कम भौकाल ज्यादा है। ठीक से हिन्दी लिखने नहीं आती और यशवंत को अंग्रेजी का पाठ पढ़ाने चला है ! चलो नहीं आती उसे अंग्रेजी ! लेकिन कलस्टर-2 के नेपोलियन की लापरवाही के चलते ये 20-25 लोग कोरोना पाजिटिव आए कि नहीं! ये हमारे पत्रकार साथी हैं, जो गलत डिसीजन का खामियाजा भुगत रहे हैं।
मेरा मकसद ‘नेपोलियन’ को आगाह करना था लेकिन ‘पामेलियन’ बीच में कूद पड़ा। बिल्डिंग सील होने के बाद भी अब ये लगातार ऑफिस आता है, सुना है कि ये कहता फिरता है कि इसका नोएडा अथाॅरिटो कुछ नहीं बिगाड़ सकती, ये ऑफिस आएगा, इसी का उदाहरण बनाकर पेश किया जाएगा। कर्मचारियों को जल्द ऑफिस आने का दबाव बनाया जाएगा। ये अलग बात है कि इसके बाॅस घरों में दुबके हैं, ये ऑफिस में दुम हिलाने पहुंच जाता है। 14 दिन के क्वारंटाइन पीरियड को सीरियस नहीं लिया, ऊपर से ऑफिस आकर अटेंडेंस लगाकर बड़ी गलती कर बैठा है। ये ‘नेपोलियन’ को मुसीबत में झोंक चुका है। ज़ी मीडिया पर ऐसे कई राहु-‘केतू’ निगलने को अमादा हैं!!
अच्छी खबर ये है कि हमारे 15 साथी स्वस्थ होकर अस्पताल से डिस्चार्ज हो चुके हैं।
लेखक ज़ी मीडिया के पंचम तल का कर्मचारी है।