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एक्सपायरी दवा बेचने के आरोपों से घिरी zydus कैडिला कंपनी को हाईकोर्ट से तात्कालिक राहत

दवा व्यवसाय में भारत की पांचवें नंबर की कंपनी को अपने ही बर्खास्त किए हुए कर्मचारी के खिलाफ हाईकोर्ट जाना पड़ गया. दवा कंपनी का नाम है zydus कैडिला. कर्मचारी का नाम है विनय तिवारी.

ज्ञात हो कि विनय कुमार तिवारी को zydus Cadila ने बिना सूचना, बिना किसी चार्ज शीट और बिना तफ्तीश के १ नवंबर, २०२१ को बर्खास्त किया. इसके बाद विनय कुमार तिवारी ने अपनी व्यथा सुनाते हुए कंपनी के कुछ वर्तमान और निवर्तमान लोगों को सहायता लेने हेतु मेल लिखा.

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इससे नाराज होकर विनय को कंपनी की तिकड़ी निलेश शर्मा ( ZSM), शशांक गौर (BM) और ललित आहूजा (NSH) ने नौकरी से निकलवा दिया. वे यहीं तक नहीं रुके. विनय और उनकी माता जी के ऊपर अहमदाबाद कोर्ट में केस भी कर दिया. इससे भी दिल नहीं भरा तो विनय तिवारी को बदमाशों द्वारा भेज कर जान से मारने की धमकी दिलवाया. दूसरे प्रदेश में कई फर्जी केसों में फंसा देने की धमकी दिलवाया.

ऐसा इसलिए क्योंकि विनय तिवारी ने कंपनी के अंदर चलने वाले माफियाराज के खिलाफ आवाज उठाई. गलत तरीके से कामकाज कर आम लोगों के जीवन को खतरे में डालने की साजिश में शामिल नहीं हुए और इसके खिलाफ मुखर होकर बोले. विनय तिवारी द्वारा किए गए कई खुलासों के बाद कंपनी घबराकर खुद हाई कोर्ट चली गई और वहां से तात्कालिक राहत पाने में कामयाब हो गई है. हाईकोर्ट ने कंपनी के पक्ष में जो आर्डर दिया है, उससे संबंधित एक खबर का प्रकाशन एक अखबार ने किया है, देखें-

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ज्ञात हो कि zydus कैडिला खुद कई आरोपों से घिरी हुई है.

1-इस कंपनी के ऊपर उनके ही कर्मचारियों, मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव ने सैलरी के आधे भाग को जबरदस्ती लेने का आरोप लगाया गया है.

2- हिमाचल प्रदेश में एक मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव ने कंपनी पर एक्सपायरी दवा सप्लाई करने का आरोप लगाया है.

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3- एक कोर्ट का ऑर्डर भी प्राप्त हुआ है जिसमें एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट, हैदराबाद द्वारा १५ दिसंबर, २०१० को STC No.८१८/१० के अंतर्गत एस.नरेश कुमार, उपश्रम आयुक्त, हैदराबाद विरुद्ध श्री पंकज बी.पटेल S/O आर. बी.पटेल, Zydus Cadila ( A Division of Cadila health Care), Swapnalok Complex, SD Road,Sec – bad के प्रकरण में श्री पंकज बी पटेल को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा २०५ एवं २५१ में दोषी पाया गया. उपरोक्त धाराओं के साथ धारा ५ सपठित २२(१),७ सपठित २३(b), ७ सपठित २३(c), ७ सपठित २३(d), ४(१)(a) सपठित नियम १४, सपठित ४(१)(b) सपठित नियम १५ विक्रय संवर्धन कर्मचारी अधिनियम के अंतर्गत दोषी पाया गया. पंकज बी पटेल पर रुपए ५०० मात्र प्रति धारा जुर्माना किया गया. जुर्माना अदा न करने पर ७ दिन के साधारण कारावास की सज़ा सुनाई है. इसके पक्ष में कोर्ट के ऑर्डर की प्रति संलग्न है-

लेकिन यहां सवाल यह उठता है कि अगर खुद के दामन पे ही छीटें हों तो दूसरे को दोष देना कहां उचित होगा. कंपनी की छवि खराब करने वाले असली लोगों की पहचान करने की जगह कंपनी के हितचिंतक कर्मचारियों को बर्खास्त कराया जा रहा है और उन्हें बोलने से रोकने के लिए कोर्ट का सहारा लिया जा रहा है.

पंकज भाई पटेल कंपनी के सर्वेसर्वा हैं लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि वो अपने ही कंपनी के ३ वरिष्ठ कर्मचारी निलेश शर्मा (ZSM), शशांक गौर(BM) और ललित आहूजा( NSH) को किस हद तक जा कर बचाना चाहते हैं… पूरे मामले को देख कर ये प्रतीत होता है कि ये तीन व्यक्ति कानून, नियम, सिद्धांत और पटेल साहब की कंपनी से भी ऊपर हैं. देखना है कि कंपनी के कर्ताधर्ता अपने असली दुश्मनों और असली मित्रों की शिनाख्त शीघ्र कर पाते हैं या नहीं.

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