Connect with us

Hi, what are you looking for?

प्रिंट

अपने बनाये चुनाव आयुक्तों से अपने नियमों के अनुसार चुनाव कराती सरकार, मददगार अखबार और एजेंसियां

संजय कुमार सिंह  

दिल्ली के रामलीला मैदान में आज इंडिया समूह की रैली है। इसकी तुलना अगर दिल्ली में हो सकने वाली किसानों की रैली को रोकने के लिये किये सरकारी उपायों से की जाये तो आप समझ सकते हैं कि चुनाव के समय सरकार के लिए यह रैली कितनी महत्वपूर्ण होगी। रोक नहीं पाने की मजबूरी में क्या हाल होगा आदि आदि। भले इसमें भाग लेने वाले लोग दिल्ली के ही हों, देश भर के विपक्षी नेता बोलने के लिए आयेंगे, बोलेंगे। ऐसे में आज की इस रैली का महत्व बताने की जरूरत नहीं है। पर खबर? दिल्ली के मेरे छह अखबारों में सिर्फ हिन्दुस्तान टाइम्स ने इसे पहले पन्ने पर लीड बनाया है। दूसरे अखबारों में यह खबर पहले पन्ने पर नहीं दिखी। यह स्थिति तब है जब आज छह अखबारों की लीड अलग-अलग है। एक ही खबर ऐसी है जो दो अखबारों में लीड है। दूसरे शब्दों में आज इंडियन एक्सप्रेस और नवोदय टाइम्स की लीड एक है। खबर है, देश भर में हो रहे लोकसभा चुनाव से पहले सरकारी पार्टी की शाखा के रूप में काम कर रहे है ईडी ने दिल्ली के मंत्री यानी आम आदमी पार्टी के एक और नेता, कैलाश गहलोत से पूछताछ की। इंडियन एक्सप्रेस की खबर बड़ी सी फोटो के साथ है। कैप्शन में इंडिया समूह की रैली की सूचना भी है।

आप जानते हैं कि केंद्र की भाजपा सरकार आम आदमी पार्टी के खिलाफ किस बात की जांच करवा रही है और मामला क्या है। ऐसे में संक्षेप में यह बताना पर्याप्त होगा कि सरकार अपने एक विभाग की कथित जांच और पूछताछ की लीक की जाने वाली खबरों से विपक्षी दलों में से एक को भ्रष्ट और खुद को ईमानदार साबित करने का प्रयास कर रही है। विपक्षी दल भाजपा को वाशिंग मशीन कहते हैं पर उसे वह प्रमुखता नहीं मिलती है जो छापे की खबर को मिलती है। छापे की खबर का नवोदय टाइम्स का शीर्षक है, गहलोत से पांच घंटे पूछताछ। उपशीर्षक है, मंत्री बोले – कोई घोटाला नहीं, समय के साथ हो जायेगा स्पष्ट। मुझे लगता है कि यह पर्याप्त परिपक्व जवाब है और सरकार अगर चुनाव के समय अपने अधिकारों का बेजा उपयोग कर रही है तो अखबारों का काम है कि वे उसे कामयाब न होने दें। इस लिहाज से इंडियन एक्सप्रेस ने शीर्षक में ही आम आदमी पार्टी की प्रतिक्रिया और आरोप को भी छापा है जो भाजपा जैसी राजनीति करना चाहती है उसमें खलल है। और इसीलिए उसने आम आदमी पार्टी के आरोप के जवाब में कहा है और इंडियन एक्सप्रेस ने उसे भी छापा है। भाजपा ने कहा है कि आम आदमी पार्टी की सरकार भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी हुई है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

मुद्दा यह है कि इससे दिल्ली की जनता को नुकसान क्या है या बगल के गाजियाबाद में डबल तो छोड़िये, ट्रिपल इंजन की सरकार का फायदा क्या है? सड़क, पार्क, अस्पताल, स्कूल, बिजली, बत्ती किसी से भी तुलना की जाये तो अंतर साफ दिखाई देता है। इलेक्टोरल बांड अलग से। आम तौर पर अखबारों से यह गायब है पर इंडियन एक्सप्रेस में आज खबर है कि दान देने वालों में दूसरे नंबर की कंपनी मेघा इंजीनियरिंग ने बांड खरीदे और सरकारी व पीएसयू के प्रमुख ठेके प्राप्त किये। नौ बार में उसने 966 करोड़ के बांड तब खरीदे जब उसे ठेके मिले। इन 966 करोड़ में भाजपा को 584 करोड़ रुपये मिले हैं। इसमें आम आदमी पार्टी का नाम नहीं है। यानी एक रुपया भी नहीं। अब आम आदमी पार्टी भ्रष्ट हो या नहीं अथवा उसे पैसे क्यों नहीं मिले से ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि भाजपा को 584 करोड़ क्यों मिले? निश्चित रूप से ज्यादा सांसद या सरकार में होने के कारण मिले तो भष्टाचार है। पार्टी को जवाब इसपर देना है या आम आदमी पार्टी के कथित भष्टाचार की जांच करानी है और इसमें महाठग सुकेश चंद्रशेखर के आरोप शामिल हैं। इसकी चर्चा मैं कल कर चुका हूं। 

यही नहीं, इंडियन एक्सप्रेस में आज गोवा की एक खबर है। इसके अनुसार दो महिला खिलाड़ियों की दुर्व्यवहार और मारपीट की शिकायत पर फुटबॉल फेडरेशन के सदस्य को गिरफ्तार किया गया है। यह कानून व्यवस्था का सामान्य मामला नहीं है और बताता है कि कैसे लोगों को कैसे काम में रखा गया है। इसके मुकाबले पहलवान लड़कियों की शिकायत और उसपर कार्रवाई याद कीजिये। सरकार का काम यह सुनिश्चित करना है कि यह सब नहीं हो, शांति सुरक्षा का माहौल हो तो वह अपराधियों, जेल में बंद लोगों की शिकायतों पर मंत्रियों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है। इलेक्टोरल बांड से साबित होता है कि देश भर के उद्योग धंधों से वसूली के माहौल में उनका क्या हाल होगा और काम पर कितना असर पड़ा होगा। यह सब ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के प्रचार के बीच किया गया है और दिलचस्प यह है कि आर्थिक घोटालों की जांच मीडिया संस्थान के खिलाफ भी चल रही है जहां पैसे ज्यादा होते ही नहीं हैं और चूंकि मीडिया संस्थान सरकार के खिलाफ खड़ा रहा है इसलिए कारण समझना मुश्किल नहीं है। अखबारों से ऐसा लगता नहीं है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

और बात इतनी ही नहीं है। जहां भ्रष्टाचार नहीं है, मामला नहीं है या इलेक्टोरल बांड मिल गया है वहां दूसरी तरह से परेशान किया जा रहा है और इसमें चुनाव के समय आयकर विभाग की वसूली है। और वसूली भी 1994-95 की तथा 2014-15 से लेकर 2021 तक की। कांग्रेस ने कहा है कि जिस ढंग से गणना करके उसपर जुर्माना लगाया गया है वैसे ही भाजपा पर लगाया जाये तो उसकी देनदारी और ज्यादा होगी। पर उससे कोई मांग नहीं है। या उसकी सूचना नहीं है। जिन संस्थाओं का काम इसे देखना और रोकना है उनकी नालायकी या सहभागिता है कि सारे मामले सुप्रीम कोर्ट तक जाते हैं और चंदे के पैसे पर अगर जुर्माना लगाया जायेगा तो जो कमाता नहीं है वह चंदे से ही चुकायेगा। यानी यह जुर्माना तो जनता पर ही है। जनता के लिए जनता से जुर्माना वसूलने का कोई मतलब नहीं है। फिर भी रोज नई मांग नए नोटिस आ रहे हैं और टाइम्स ऑफ इंडिया ने इस खबर को लीड बनाया है। इसके अनुसार कांग्रेस से कुल 3500 करोड़ रुपये के टैक्स की मांग की गई है। खबर में बताया गया है कि पार्टी ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की है। मेरा मानना है कि जो लोग अब कांग्रेस पर जुर्माना लगा रहे हैं उन्हें अपने विभाग के उन अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई करनी चाहिये जिन्होंने तब ऐसा नहीं किया। वैसे भी, यह व्यवस्था कैसे चलेगी कि किसी व्यक्ति या संस्थान या कॉरपोरेट पर 30 साल पुराना बकाया निकाल दिया जाये। अगर बकाया बताई जा रही राशि सही है तो तबके अफसर के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने का कोई कारण नहीं है और अभी की मांग गलत हो तो राहुल गांधी कह चुके हैं कि लोकतंत्र का चीर हरण करने वालों के खिलाफ सत्ता बदलने पर कार्रवाई होगी।

मुझे लगता है कि भाजपा शासन में की जा रही यह कार्रवाई हताशा में की जा रही लगती है। और हार से बचने के लिए जो भी कुछ किया जा सकता है किया जा रहा है। यह अलग बात है कि सरकार जो वायदे करके सत्ता में आई थी उसे पूरे भी कर दिये होते तो 10 साल बाद सरकार बदलना सामान्य ही है। भाजपा ने जब कुछ किया ही नहीं है और हालत यह है कि उसके पास अपना किया बताने के लिए भी नहीं है (मंदिर बनाया तो जज को ईनाम देकर, 370 हटाया तो फायदा क्या हुआ) तो वह जीतने की उम्मीद कैसे करे। इसलिए वह सख्त होने का ढोंग करके, इलेक्टोरल बांड पर चुप रहकर और ध्यान दूसरी ओर मोड़ने जैसी कोशिशें कर रही है। लाल कृष्ण आडवाणी को भारत रत्न देना और कल उनके स्वस्थ नहीं होने के कारण आज उनके घर जाकर यह सम्मान देने का निर्णय भाजपा के आडवाणी समर्थकों को साथ रखने की कोशिश है और यह वैसे ही है जैसे चौधरी चरण सिंह को यह सम्मान देकर उनके पोते का दिल जीता गया था। भाजपा की चिन्ता बताने वाली खबर आज द टेलीग्राफ में लीड है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

खबर के अनुसार महाराष्ट्र और कर्नाटक में पार्टी की मुश्किलें तगड़ी हैं और पार्टी के आंतरिक सर्वेक्षण से पता चला है कि दोनों राज्यों की 76 सीटों में पिछली बार भाजपा और उसके सहयोगियों को 66 सीटें मिली थीं। जमीनी रिपोर्ट करती है कि इस प्रदर्शन को दोहराना बेहद मुश्किल है। ऐसे में आज टेलीग्राफ को कोट बहुत कुछ कहता है। यह दिल्ली की मंत्री अतिशि का बयान है और इसके अनुसार, भाजपा को इन दो मजबूत महिलाओं का वीडियो देखकर डर लगेगा जो अपने पति के खिलाफ उपयोग में लाये गये केंद्रीय एजेंसियों के बर्बर अधिकारों से नहीं डरी हैं। यह फोटो आज के अखबारों के लिए महत्वपूर्ण है और इंडियन एक्सप्रेस ने ही छापा है। इसका कैप्शन है, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन के साथ शनिवार को दिल्ली के रामलीला मैदान में इंडिया समूह की रैली से एक दिन पहले। कल्पना ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी से भी मुलाकात की। अरविन्द केजरीवाल 21 मार्च से ईडी की हिरासत में हैं जबकि हेमंत सोरेन 31 जनवरी से हिरासत में हैं।

सीएए कानून

Advertisement. Scroll to continue reading.

ऐसी स्थिति में भाजपा की कोशिशें अपनी जगह और राहुल गांधी की चेतावनी अपनी जगह। कुल मिलाकर चुनाव दिलचस्प हो रहा है और लेवल प्लेइंग फील्ड नहीं होने के बावजूद मामला टक्कर का लगता है। देखना है जिम्मेदार लोग क्या करते हैं औऱ क्या होता है। चुनाव बहुत लंबा चलेगा और इस बीच बहुत कुछ हो सकता है। आज अभी तक दो अखबारों की लीड की चर्चा ऊपर नहीं हुई है। ये हैं, द हिन्दू – सीएए नियम खारिज आवेदनों के भविष्य को लेकर शांत हैं। उपशीर्षक है, अधिकार प्राप्त समिति की जांच में अगर पेश दस्तावेज ठीक न लगें या सुरक्षा क्लीयरेंस से संबंधित कोई प्रतिकूल रिपोर्ट हो तो सीएए आवेदन खारिज किये जा सकते हैं। सीएए नियमों में प्रक्रिया की समीक्षा का कोई उल्लेख नहीं है। दूसरा अखबार अमर उजाला है, अमेरिका में राजदूत रहे तरणजीत व आप से आए सुशील को भाजपा ने बनाया प्रत्याशी। अखबार ने उपशीर्षक में बताया है कि यह भाजपा उम्मीवारों की आठवीं सूची है और इनमें बीजद से आए महताब व कांग्रेस से आई परनीत कौर को उतारा गया है और सनी देओल का टिकट कट गया।

भाजपा निर्विरोध जीती

Advertisement. Scroll to continue reading.

द हिन्दू में आज एक दिलचस्प खबर है। इस खबर के अनुसार अरुणाचल प्रदेश की 60 में से 10 विधानसभा सीटें भाजपा ने बिना चुनाव लड़े जीत ली है। नामांकन खत्म होते ही ऐसा हुआ है यानी यहां कोई और नामांकन नहीं है। पहली नजर में यह खबर पढ़कर लगा कि भाजपा शायद ऐसा ही देश भर में करना चाहती है और इसीलिए कहा जाता है इस बार भाजपा जीत गई तो चुनाव नहीं होंगे। चुनाव के समय एख विपक्षी दल के कई नेता जेल में और दूसरे के खाते फ्रीज और आयकर नोटिस का मतलब यही है कि संस्थाओं पर सरकार का कब्जा है और चुनाव नहीं होंगे। लेकिन खबर पढ़ने से पता चला कि भाजपा ने इस मामले में भी कुछ नया नहीं किया है और इससे पहले कांग्रेस 2014 में 11 सीटें निर्विरोध जीत चुकी है। यानी यहां भी और इस मामले में भी भाजपा कांग्रेस से पीछे है। लेकिन प्रचार याद कीजिये।

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement