Anmol : कल आयी। वैसे आई क्या, लेने जाना पड़ा। डाक वाले ने फ़ोन कर दिया पोस्ट ऑफिस से। बताया कि पार्सल आया है, लेना हो तो ले जाओ नहीं तो वापस कर देंगे। मतलब घर देने आने तक की जहमत नहीं उठाना चाहते। अब क्या कहें इसे? 3 किमी दूर है घर से पोस्ट ऑफिस। खैर एक मित्र से बोल दिया, और वो ले आया। उसके घर के रस्ते में ही पोस्ट ऑफिस पड़ता है।
अब पुस्तक के बारे में थोड़ा सा। लगभग साढ़े चार सौ पृष्ठ हैं। अभी पढ़ी तो नहीं, बस बीच बीच से देखी है, इंडेक्स देखा है, थोड़ा थोड़ा बीच बीच से पढ़ा भी है। पूरी बात तो पढ़ने के बाद ही बता पाउँगा। मगर जितना देखा है उसके हिसाब से मेरी तरफ से सभी विज्ञान प्रेमियों के लिए मोस्ट रिकमान्डेड बुक है ये। इसलिए नहीं कि इसमें बहुत सारी जानकारियाँ हैं, इसलिए भी नहीं क्योंकि यह किताब आधुनिक विज्ञान को समझाती हुई नहीं, बल्कि आधुनिक विज्ञान को चुनौती देती हुई किताब है। इसलिए भी नहीं क्यूँकी इसमें जो भी लिखा है वह बहुत बढ़िया और मानने योग्य ही है। बल्कि केवल इसलिए क्योंकि यह किताब इस विषय की बाकी किताबों से अलग है। चूँकि यह किताब आधुनिक विज्ञान से परिचय कराने वाली नहीं है बल्कि यह किताब लेखक का मूल ग्रन्थ है। इसमें कई सारे नए विचारों और नए सिद्धांतों से परिचय होगा। जरुरी नहीं कि वो सारे विचार या सिद्धांत ठीक ही हों, मगर एक विज्ञान पाठक को नए विचारों से भर देने वाली किताब है ये। कम से कम एक बार हर सिद्धान्त को, जो वह जानता है, एक बार दुबारा सोंचनें के लिए प्रेरित कर देगी। बाकी विज्ञान का पाठक अन्धविश्वासी नहीं होता। उसके पास किसी चीज को मानने या न मानने का पूर्ण अधिकार होता है।
साथ में यह भी कि यह लेखक का मूल कार्य है। मूल शोध है। भले ही वह सही हो या न हो, इसका फैसला तो बाद में हो सकेगा। मगर उसने काम किया है। मेहनत की है। कम से कम उसकी किताबें खरीदकर उसकी थोड़ी सी मदद तो कर ही सकते हैं ताकि वह आगे के अपने शोध कार्य को जारी रख सके। और अपने कार्य को और आगे बढ़ा सके। इस किताब में पहले आइन्स्टीन और उनका समीकरण, ग्रुत्वकर्षण, क्वांटम सिद्धांत इत्यादि सब सिद्धांत है। और उसमें लेखक की तरफ से संशोधन भी है। कई सारे सिद्धांतों को बदलने का प्रयास है। और बाद में लेखक का नया सिद्धांत निर्वात सिद्धांत है। ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति और विकास को नए प्रकार से समझाया गया है। मतलब ये कि विचारों और सोंचने की शक्ति को नए आयाम देने के लिए यह एक पढ़ने लायक किताब है।
Anmol : जीवन के लिए अनुकूलन उत्पन्न होना और अनुकूलन होने के कारण जीवन उत्पन्न होना, दोनों में अंतर है। पहला किसी परम शक्ति की कल्पना करने को प्रोत्साहित करता है, वहीँ दूसरा इसका स्पष्टीकरण सम्भावना (Probability) से प्रदान कर देता है। इस बात के समर्थन में एक तर्क यह भी हो सकता है कि अबतक हजारों ग्रहों की खोज की जा चुकी है, अरबों से ज्यादा ग्रहों के होने की सम्भावना जताई जा चुकी है, मगर फिरभी अबतक एक भी ग्रह में जीवन के प्रमाण नहीं मिले न ही किसी पारग्रही ने कोई सम्पर्क का प्रयास किया। अरबों ग्रह हैं। हर जगह का अलग अलग वातावरण है। पृथ्वी पर जीवन के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ थीं इसीलिए पृथ्वी पर जीवन पनपा। बाकियों में में नहीं थीं, इसलिए वहाँ नहीं पनप सका। वहीँ अगर किसी और ग्रह में भी अनुकूल परिस्थितियाँ होंगी, वहाँ भी जीवन होगा। इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं। यही तो प्रायिकता है। अगर जीवन के लिए ही पृथ्वी का वातावरण अनुकूल किया गया होता, तो एक सवाल यह भी है कि औरों पर क्यूँ नहीं किया गया? और जब उनपर जीवन नहीं, फिर वो किसके लिए बनाये गए? क्यूँ बनाये गए?
अनमोल के फेसबुक वॉल से.
Almit Mission : ब्रह्मांड को जानना और समझना बेहद आसान है लेकिन विदेशियों के अपने-अपने अनेक मनगढंत सिद्धांतों ने जिन्हें वो प्रमाणित भी कर लेते हैं से, इसे ऐसा उलझा दिया है कि जिन्हें अन्य ब्रह्मांडविद् सच मानकर आज खुद सिर पकड़कर बैठे हैं कि अब इसे सुलझाए कैसे। उनके लिए ब्रह्मांड उसी तरह था, जैसे एक कहानी में पांच अंधों के द्वारा हाथी का वर्णन, जिसमें कोई भी अंधा ये नही बता पाया था कि हाथी होता कैसा है। इसलिए परमाणुवाद, गुरुत्वाकर्षण, क्वांटम तथा मूलकण थ्योरी, सापेक्षता, बिग-बैंग, स्ट्रिंग थ्योरी, ब्लैकहोल, जैसे तमाम सिद्धांतों और हजारों ब्रह्मांडविदों के होने के बाद भी ब्रह्मांड का रहस्य आज भी ज्यों का त्यों ही बना हुआ है। क्यों? ये दुनिया को हैरान करने वाला तथ्य है। यदि इनका कोई सिद्धांत सच होता तो वो ब्रह्मांड का एक झटके में फैसला कर देता लेकिन वो 50 वर्षों में भी कुछ नही कर पाए। जबकि भारत के लोगों का मानना है कि विदेशी अकल लगाते हैं और हम उनकी नकल मारते हैं। क्योकि हमारे अदंर अकल मारने की काबीलियत नही, केवल नकल मारने की है। क्योंकि भगवान ने हमें पृथ्वी पर भेजा तो है लेकिन भेजा नही है। इसलिए हम फालतु बहस करने में अपना समय खराब करते हैं। यदि आप ब्रह्मांड को जानना चाहते हैं तो जानिए उसे नए सिंद्धांतों के साथ इस ग्रंथ से।
Title – ब्रह्मांड एक अंतिम खोज
Page – 424
ISBN – 978 81 928027 1 8
Publisher – almit books, faridabad.
Rs.- 325, घर बैठे मगाएं वी. पी. (वी. पी. खर्च मुक्त) द्वारा 20% छूट पर केवल 260 रू. में, किताब मिलने पर ही पैसे दें।
कॉल करें – 09045564710
Almit Mission के फेसबुक वॉल से.