फेम इंडिया और एशिया पोस्ट नाम पत्रिकाओं की तरफ से ‘मीडिया के सरताज वर्ष 2017’ के लिए किए गए सर्वे में भड़ास वाले यशवंत का भी नाम आया है. फेम-इंडिया-एशिया पोस्ट सर्वे में न्यू मीडिया कैटगरी में एक प्रमुख सरताज के तौर पर यशवंत सिंह को चिन्हित किया गया.
इस संबंध में फेम इंडिया मैग्जीन की वेबसाइट पर एक खबर का प्रकाशन किया गया है, जो नीचे साभार प्रकाशित किया जा रहा है. फिलहाल इस उपलब्धि के लिए सोशल मीडिया पर यशवंत को लोग बधाई दे रहे हैं.
मीडिया को बेबाकी से आइना दिखाते हैं यशवंत सिंह (फेम इंडिया-एशिया पोस्ट सर्वे 2017-मीडिया के सरताज)
Posted by fameindia On April 20, 2017
हिन्दी भाषी राज्यों में जो भी शख्स मीडिया से जुड़ा हो वह कम से कम भड़ास4मीडिया और उसके कर्ता-धर्ता यशवंत सिंह को जरूर जानता होगा। बेबाक, बेलौस और बेलाग। यशवंत सिंह की ये तीन खूबियां उन्हें औरों से अलग बनाती हैं। उन्हें एक ऐसे निडर पत्रकार के तौर पर जाना जाता है जो किसी युनियन या संगठन के पचड़ों में पड़े बगैर भी देश के हर मीडियाकर्मी के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ खड़ा है।
मूल रूप से गाजीपुर के यशवंत सिंह ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से ग्रैजुएशन करने के बाद बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। लखनऊ में दैनिक जागरण से पत्रकारिता की शुरुआत की। फिर अमर उजाला से जुड़े। अमर उजाला के लिए बनारस, कानपुर और आगरा में काम किया। इसके बाद दोबारा दैनिक जागरण से जुड़े और मेरठ, कानुपर व दिल्ली में काम किया। जागरण समूह के आई-नेक्स्ट की लॉन्चिंग टीम का भी हिस्सा रहे। उन्होंने देखा कि पत्रकारिता में हर जगह कई बुराइयों ने डेरा जमा लिया है और जिस उद्देशय के लिये पत्रकारिता शुरु की थी वो कहीं है ही नहीं।
जब पत्रकारिता उबाऊ लगने लगी तो कुछ दिन दिल्ली में एक मोबाइल वैल्यू एडेड सर्विस कंपनी में वाइस प्रेसीडेंट (मार्केटिंग एंड कंटेंट) के पद पर काम किया। मन में मैली हो रही पत्रकारिता को आइना दिखाने की इच्छा दबी थी, वह नौकरी भी छोड़ दी और मई 2008 में मीडिया की खबरों का पोर्टल भड़ास4मीडिया.कॉम शुरु किया। यह अपनी तरह का पहला पोर्टल था जो हर आम मीडियाकर्मी की समस्या को तरजीह देता था व उनसे जुड़े मुद्दों को प्रमुखता से उठाता था। जल्दी ही यह काफी लोकप्रिय हो गया।
यशवंत सिंह की पहचान उनके बागी तेवरों की वजह से भी है। इसकी वजह से उन्हें कई बार उन मीडिया संस्थानों का निशाना भी बनना पड़ा जो अपने उद्देश्यों से भटके हुए थे। कई बार उनपर मुकदमे भी हुए और उन्हें जेल तक जाना पड़ा, लेकिन बेहद पॉजिटिव सोच रखने वाले यशवंत सिंह ने इस मौके को भी एक अवसर के तौर पर इस्तेमाल किया और जेल में मौजूद कुव्यवस्थाओं और भ्रष्टाचार को दूर करने के लिये एक किताब -‘जानेमन जेल’ लिख डाली। उनकी यह किताब खूब बिकी और प्रशासन ने कई सुधार भी किये।
यशवंत सिंह ने भारतीय पत्रकारों के बीच अपनी पैठ बना रखी है। पत्रकार भले ही दुनिया के लिए लड़ते हैं, लेकिन पत्रकारों के लिए लड़ने वाला ये अगुवा पत्रकार माने जाते हैं। कई पत्रकार युनियनों और समाजसेवी संगठनों ने इन्हें समय-समय पर सम्मानित भी किया है। इंडियन मीडिया वैल्फेयर एसोसिएशन की ओर से इम्वा अवॉर्ड, ‘इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च एण्ड डाक्यूमेटेशन इन सोशल साइन्सेंस’ (आईआरडीएस) अवॉर्ड आदि प्रमुख हैं।
हर मीडियाकर्मी की भलाई और जीवन के हर क्षेत्र में सुधार की सोच रखने वाले यशवंत सिंह फेम-इंडिया-एशिया पोस्ट सर्वे में न्यु मीडिया के एक प्रमुख सरताज के तौर पर पाये गये हैं।
ashok chaudhary
April 21, 2017 at 3:53 pm
बधााई
Ashok thapliyal
April 22, 2017 at 7:51 am
Priy yashu bhai
Fame India Asia new media kay sartaaj Kay liye badhaee…..aapnay last 8 yrs Kay dauran ham jaisay patrkaron kee sookhti batti jalaye rakhi….
Aap hamesha aabad raho, yahi dua hai…
kunvar sameer shahi
April 23, 2017 at 7:29 pm
Bahut bahut badhai ho bade bhiya..accha laga ..samachar padhkar ki aapka sanghrash aur jajba ham sabke liye aur takat ban rha hai..jai hind
vijay singh
April 24, 2017 at 3:00 pm
बहुत बधाई यशवंत भाई