वाराणसी के पत्रकार रंजीत गुप्ता को काशी पत्रकार संघ ने मंत्री पद से हटा दिया है। इस बारे में काशी पत्रकार संघ के सूत्रों का कहना है रंजीत गुप्ता किसी अखबार में नहीं थे फिर भी वे मंत्री पद पर मौजूद थे, इसलिए उन्हें सदस्यों की सहमति से बाहर का रास्ता दिखाया गया है। वहीं रंजीत गुप्ता का कहना है संघ की तरफ से उन्हें कोई अधिकृत पत्र अब तक नहीं मिला है और इस तरह से बिना नोटिस दिए निकाला जाना गलत है। वे संघ के पत्र का इंतजार कर रहे हैं।
लंबे समय तक राष्ट्रीय सहारा अखबार से जुड़े रहे रंजीत गुप्ता के बारे में संघ के सूत्रों का दावा है कि रंजीत गुप्ता कई दशक से ऐसे समाचारपत्र के नाम पर सदस्यता हासिल किये हुए थे, जिनका मालिक सुब्रत राय स्वयं वित्तीय अनियमितता के चलते तिहाड़ जेल में बन्द थे। दावा है कि उसी समाचार पत्र में श्री रंजीत गुप्ता वर्षोंं पहले प्रसार विभाग में कार्यरत होते हुए निकाले गये थे। आरोप है कि वे इस सच को छुपाते हुए अब तक संघ में न केवल अपनी सदस्यता बरकरार रखने में कामयाब रहे बल्कि मंत्री भी बन गये। संघ की सदस्यता से रंजीत गुप्ता समेत आधा दर्जन लोगों को बाहर का रास्ता दिखाया गया है।
चर्चा है कि रंजीत गुप्ता ने अपने समर्थकों बीबी यादव और जितेन्द्र श्रीवास्तव को आगे करके वर्तमान पदाधिकारियों के विरुद्ध 90 लोगों का हस्ताक्षर कराकर अविश्वास प्रस्ताव लाने की मुहिम छेड़ दी थी जिसे काशी पत्रकार संघ के अध्यक्ष सुभाष सिंह ने चुनौती के रूप में स्वीकार किया। सदस्यों की भावनाओं का आदर करते हुए सुभाष सिंह अध्यक्ष के निर्देश पर संघ के महामंत्री डॉ. अत्रि भारद्वाज ने साधारण सभा की बैठक बुलाई। इसमें सदस्यता पर अंतिम फैसला करने के लिए सदस्यों की रायशुमारी कराई गई। इसका परिणाम रहा कि क्लब के मंत्री रंजीत गुप्ता के समर्थन में पूर्व अध्यक्ष बीबी यादव व जितेन्द्र कुमार श्रीवास्तव के समर्थन में जिन 90 पत्रकार साथियों ने हस्ताक्षर किया था, उनमें से 9 लोगों ने भी रंजीत को पत्रकार नहीं माना।
सदस्यता को लेकर संघ में साधारण सदस्यों के द्वारा आधा दर्जन से अधिक सदस्यों के नामों पर बारी-बारी से चर्चा हुई और इन्हें हमेशा के लिए संघ से निकाल दिया गया। इससे पहले संघ के अध्यक्ष रह चुके प्रदीप कुमार ने बैठक में सवाल किया कि 2017 में 2005 के पत्र पर चर्चा क्यों। उन्होंने कहा कि इस बारे में रंजीत जी को बुलाकर पक्ष रखने का मौका देना चाहिए। वरिष्ठ पत्रकार योगेंद्र ने भी रंजीत पक्ष मे अपनी बात रखी। अध्यक्ष रह चुके संजय अस्थाना ने भी कहा कि रंजीत पुराने सदस्य हैं। सदस्यता को लेकर संघ में साधारण सदस्यों के द्वारा आधा दर्जन से अधिक लोग क्यों निकाल दिए गये। बताया जा रहा है कि संघ की नियमावली में लिखा है कि लगातार दस साल तक सदस्य रहने वाला सदस्य स्वतंत्र सदस्य हो सकता है। नियमावली में यह भी लिखा है कि चुनाव दो साल पर होगा, पदाधिकारी का कार्यकाल दो साल का होगा।
काशी पत्रकार संघ की तानाशाही से मर्माहत रंजीत गुप्ता का कहना है यह एक साजिश है, चंदन रूपानी की हार का बदला लिया जा रहा है। रंजीत गुप्ता का कहना है कि संघ के अध्यक्ष सुभाष सिंह ने सदन और कार्यसमिति से सच को छुपाया है। वह 2005 में राष्ट्रीय सहारा के स्नेह रंजन के पत्र का हवाला दे रहे हैं कि मैं सम्पादकीय टीम में नहीं था जबकि 2009 में जब मुझे निकाला गया तो सहारा के मालिक जे.बी.राय ने पत्र में स्टाफ रिपोर्टर लिखा है। सदस्यता रद्द करने से पहले नोटिस भी नहीं दिया गया, जबकि अन्य लोगों को दिया गया। साधारण सभा मे पक्ष रखने का मौका भी मुझे नहीं दिया गया। मैं फिलहाल काशी पत्रकार संघ के नोटिस का इंतजार कर रहा हूँ।
शशिकांत सिंह
पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट
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