एमजे अकबर का पाप ज्यादा है या कम यह कैसे तय होगा… या इस्तीफा देना ही हो तो कौन किसे दे?
आईएएस अधिकारी प्रदीप शर्मा भुज में काम कर रहे थे। उन्होंने 2004 में आर्किटेक्ट मानसी सोनी से एक गार्डन की लैंडस्केपिंग कराई। इस गार्डन का उद्घाटन नरेंद्र मोदी ने किया। इस समारोह के दौरान शर्मा ने मानसी सोनी का परिचय मुख्यमंत्री से कराया। दोनों ने ईमेल आईडी का आदान-प्रदान किया। महिला प्रदीप शर्मा के करीब थी इसलिए उसने उनके साथ यह जानकारी साझा की।
जल्द ही मोदी ईमेल से फोन कॉल पर आ गए और सुश्री सोनी के साथ नंबर का आदान-प्रदान हो गया। बात और आगे बढ़ी तथा मानसी सोनी को मुख्यमंत्री निवास पर आमंत्रित किया गया। वहां उसे उसकी इच्छा के विरुद्ध रोक कर रखा गया था। उसने शर्मा को सूचना दी। शर्मा ने बचने के लिए बीमारी का बहाना करने की सलाह दी।
एक डॉक्टर को बुलाया गया। मानसी सोनी किसी तरह निकल पाईं। इससे पहले वहां काफी कुछ हो चुका था और जाहिर तौर पर साहेब को शक था कि मानसी सोनी ने जो कुछ भी हुआ था, उसे रिकार्ड कर लिया है। कहने की जरूरत नहीं है कि ब्लैकमेल करने का जो तरीका आप उपयोग करते हैं उसका डर आपको अपने खिलाफ भी किए जाने का रहता है।
इसलिए मानसी सोनी का पीछा करने और उसपर नजर रखने के लिए दो स्वतंत्र टीम लगाई गई। दोनों एक दूसरे से आजाद थी। इसके साथ आईएएस अधिकारी प्रदीप शर्मा की भी खबर ली गई। इसमें उनका कैरियर नष्ट हो गया।
एक टीम का नेतृत्व अमित शाह ने किया था, जिसने सुश्री सोनी पर नजर रखने के लिए पुलिस के संसाधनों का उपयोग किया लेकिन साहेब दूसरी टीम के उपयोग में हमेशा एक कदम आगे रहते थे। मानसी सोनी बैंगलोर चली गई लेकिन वहां भी उनका पीछा किया गया। तब कहानी सार्वजनिक हो गई और इस मामले को ‘स्नूपगेट’ नाम मिला।
मानसी सोनी का परिवार दृश्य में आया और सबसे अपना काम करने को कहा। मामला धीरे-धीरे काल कवलित हो गया। लेकिन आईएएस अधिकारी प्रदीप शर्मा का कैरियर मोदी और शाह की प्रतिशोधी जोड़ी ने नष्ट कर दिया और मानसी सोनी ने मीटू का मौका हमेशा के लिए खो दिया…. ये लोग कुछ शीर्ष पदों पर कब्जा कर पाए और ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का नारा दिया। कैसी विडंबना है ।
वरिष्ठ पत्रकार और अनुवादक संजय कुमार सिंह की वॉल से. संपर्क : [email protected]