Ajay Prakash : हम सबकुछ पश्चिम से उधार का लेते हैं। कला, साहित्य, सिनेमा, प्रतिरोध, संघर्ष, आधुनिकता, विचार सबकुछ। फिर भी कुछ बचा रह जाता है तो चीन—जापान की ओर हाथ बढ़ा लेते हैं। और अब हमें उधार के तानाशाह की जरूरत पड़ने लगी है। हमारे पास उदाहरण के लिए अपना एक तानाशाह तक नहीं है। बहुत से लोग मोदी की तुलना हिटलर से करने के लिए दस जुगत करते हैं। उसकी फोटो, उसका एक्शन, उसका तरीका और उसकी पेशगी सबकुछ बड़ी करीने से जुटाते हैं, फिर सजाते हैं और अपनी काबिलियत के हिसाब से अभिव्यक्ति के अलग—अलग माध्यमों में उसको पेश करते हैं। उनका यह महती प्रयास सिर्फ इसलिए होता है कि वह मुल्क को बता सकें कि हमारे देश में एक हिटलर पैदा हो गया है और फासीवाद आ गया है।
मानो हिटलर के पुनर्जन्म और फासीवाद के भारत में आ बसने की ब्रेकिंग न्यूज इन्हीं लोगों को किट्टी पार्टी बुलाकर दी गयी हो। पर सवाल वही क्या अपने देश में ऐसा कोई अत्याचारी, निर्मम, हिंसक और जनद्रोही नहीं पैदा हुआ जिसका उदाहरण दिया जा सके, जिससे आप मोदी या दूसरे जिसको भी तानाशाह रूप में दिखाना चाहते हैं दर्शा सकें।
जिस देश के सबसे साक्षर राज्य के सबसे चर्चित मंदिर का पुजारी 21वीं सदी में कहता है कि मंदिर में पीरियड वाली महिलाएं न जाएं उसके लिए मैं पीरियड चेकिंग मशीन लगाउंगा, जिस देश के मंत्रियों—सांसदों से मिलना स्वर्ग की सीढ़ी चढ़ने जैसा हो, जिस देश की न्यायपालिका में भ्रष्टाचारियेां की भरमार हो पर आज भी उनपर लिखना मानहानि—जेल जाने का प्रमाणपत्र हो, जिस देश में विद्रोहियों पर लिखना देशद्रोह हो, उस देश में हमें अपना ओरिजिनल तानाशाह नहीं मिल रहा। आश्चर्य है कि जिनके धर्मग्रंथ अमानवीयता और अत्याचारों को धार्मिक कृत्य बताते रहे हों, इंसानों को जानवरों के बराबर भी बराबरी देना ईश्वरीय आदेशेां की अवहेलना कहते रहे हों और जातीय अत्याचारों के खिलाफ उठने वाली आवाजों को ‘इज्जत पर उंगली’ बताकर रौंद देते हों, क्या वह देश इतना मासूम है कि आपको खोजे से एक तानाशाह नहीं मिल रहा है।
हद हो गर्इ् नकलचीपने की। थोड़ी तो खोजबीन करो, हिटलर के बाप मिल जाएंगे। अगर नहीं मिलें तो चुप करो और मान लो कि भारत में हिटलर नहीं पैदा होते, भारत में मोदी और मनमोहन ही पनपते हैं। लग्गी लगाकर हिटलर को इस देश में क्यों बुलाना चाहते हो भाई। हर दूसरे वाक्य में फासीवाद का टेर क्यों लेना? जरा एक बार ओरिजिनल सोचो तो सही, एक अरब के इस देश में एक करोड़ समस्याएं एक साथ झर आएंगी। पकड़ लेना कोई सिरा और लग जाना अपने लाइन—लेंथ के हिसाब से काम में, लेकिन झुट्ठे हिटलर और फासीवाद का माला जपकर काहे स्पेस खराब कर रहे हो। जगह खाली करो कि जनता आती है!
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