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आज के अखबारों से लगता है, खेल पलट रहा है, उल्टी गिनती शुरू हुई

प्रधानमंत्री कांग्रेस के खिलाफ 1974 का मामला निकाल लाये और कहा कांग्रेस पर कभी भरोसा नहीं किया जा सकता, अखबारों ने बिना जवाब छाप भी दिया ;अभी भी जिताऊ मुद्दा तलाश रहे हैं

संजय कुमार सिंह

इतवार को दिल्ली में इंडिया गठबंधन की रैली थी और मेरठ में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की। आज के अखबारों में दोनों की खबरें हैं पहले पन्ने पर हैं और द हिन्दू में नहीं है तो दिलचस्प खबर है। हालांकि वह दूसरे अखबारों में भी है। आज दोनों रैलियों की खबर और शीर्षक के साथ वह सब बताउंगा जो कहा और पूछा जाना चाहिये पर पूछा नहीं जाता है। पूछा जाता, जवाब नहीं भी होता तो लगता कि पांच-दस साल राज करने के बाद फिर से वोट मांगने वाले से वह सब पूछा तो गया जो पूछा जाना चाहिये था, आपको या मुझे पूछना था। आप जानते हैं कि नरेन्द्र मोदी जो वादे करके सत्ता में आये थे वो नहीं के बराबर पूरे हुए हैं, दस साल में उन्होंने एक भी प्रेस कांफ्रेंस नहीं की और एकतरफा ‘मन की बात’ करते रहे। 2014 में जीत कर आये थे तो कहा था ‘…. झोला उठाकर चल दूंगा’। उसके बाद ना चौराहे पर आये और ना झोला उठाकर गये अपने मुंह मियां मिट्ठू बनते रहे और विज्ञापनों के रूप में अखबारों – मीडिया का मुंह बंद कर रखा है। कुछेक को छापों – गिरफ्तारी से डराने धमकाने की कोशिश की गई और भ्रष्टाचार मामले में भी उनकी सरकार पीएमएलए का केस करती है। उसमें जमानत के प्रावधन का लाभ मुश्किल से मिलता है और तब तक मनमानी तो चलती ही है दूसरे को बदनाम भी किया जाता है। फिर भी मोदी गारंटी दे रहे हैं।

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दूसरी ओर राहुल गांधी ने ‘लोकतंत्र का चीरहरण’ करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की गारंटी दी है। इस तरह ईडी और सीबीआई की कार्रवाई ने इंडिया गठबंधन की सफल रैली करवा दी और आज अगर कई अखबारों में इसकी खबर पहले पन्ने पर है तो इसका कारण राहुल गांधी की धमकी या चेतावनी को भी माना जा सकता है। वैसे, ‘खबर’ यह भी है कि इंडिया गठबंधन की रैली की खबर को आज कई अखबारों में मोदी की रैली से ज्यादा महत्व मिला है। अमर उजाला ने नहीं दिया है तो भी इंडिया गठबंधन की खबर को पहले पन्ने पर बराबर में लगभग उतनी ही जगह दी है। कल मैंने लिखा था कि दिल्ली में रैली की खबर सिर्फ हिन्दुस्तान टाइम्स में पहले पन्ने पर लीड थी। आज की खास बात यह है कि प्रधानमंत्री ने कहा कि 10 साल का उनका कार्यकाल ट्रेलर है फिल्म अभी बाकी है।

1. हिन्दुस्तान टाइम्स

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आज इंडिया गठबंधन की रैली की खबर चार कॉलम में लीड है तो मोदी की रैली की खबर लगभग बराबर में बराबर शीर्षक (एक में बोल्ड एक में लाइट तो एक में बड़े फौन्ट का अंतर है) के साथ दोनों खबरें छपी हैं। शीर्षक है, इंडिया गठबंधन के नेताओं ने दिल्ली में आयोजित संयुक्त रैली में मुख्यमंत्रियों की गिरफ्तारी की निन्दा की। जवाबी शीर्षक है, मोदी नहीं रुकेगा, भ्रष्टाचार पर कार्रवाई जारी रहेगी : प्रधानमंत्री। आप जानते हैं कि पहले हेमंत सोरेन और फिर अरविन्द केजरीवाल की गिरफ्तारी भाजपा की राजनीति और रणनीति का भाग है जो दूसरे अर्थों में अपने ही बिछाये जाल में फंस जाना है और इसमें मामला न सिर्फ गिरफ्तारी है बल्कि जमानत भी नहीं होने देना है। इसके लिए पीएमएलए के तहत मामला दर्ज करने से लेकर वसूली हो चुके मामले में जमानत होने देना हो तो पीठ दर्द के आधार पर जमानत का विरोध नहीं करने जैसे उदाहरण और आरोप हैं। इसी व्यवस्था के तहत पहले हेमंत सोरन की गिरफ्तारी हुई और बढ़ते हुए अरविन्द केजरीवाल की गिरफ्तारी हो गई। सुप्रीम कोर्ट में अर्जेन्ट सुनवाई की अपील पर रात में सुनवाई नहीं हुई, हेमंत सोरेन की ही तरह पीठ बनी पर अपील वापस ले ली गई। कल तक जमानत नहीं हुई थी।

इससे सरकार की मुश्कलें बढ़ रही हैं। दुनिया भर में बदनामी हो रही है। जर्मनी के बाद अमेरिका ने भी टिप्पणी की। अपने अधिकारी को बुलाकर एतराज करने पर भी नहीं माना और फिर संयुक्त राष्ट्र ने भी टिप्पणी की, ‘आशा है कि सभी के अधिकार सुरक्षित रहेंगे’हालत ऐसी हो गई है नौकरशाह से राजनेता बनाये गये विदेश मंत्री से मामला संभला नहीं और उपराष्ट्रपति को भी इस मामले में सरकार का बचाव करना पड़ा। जो उनका काम नहीं है। चुनाव के समय तो बिल्कुल नहीं। ऐसे में नरेन्द्र मोदी अगर कह रहे हैं कि वे नहीं रुकेंगे और भ्रष्टाचार पर कार्रवाई जारी रहेगी तो वे आरोपों का जवाब दे रहे हैं, बचाव कर रहे हैं और भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई को मुद्दा बना रहे हैं क्योंकि अभी तक उनके पास कोई जिताऊ मुद्दा ही नहीं है। 2019 में पुलवामा संयोग हो या प्रयोग 14 फरवरी को हो गया था।

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यही नहीं, मोदी सरकार पर आरोप है कि उसने सभी संवैधानिक संस्थाओं को नियंत्रण में ले लिया है और तमाम संस्थान निष्पक्ष नहीं हैं। चुनाव के समय विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी और आयकर नोटिस, खाता फ्रीज किये जाने पर जवाब चुनाव आयोग और आयकर विभाग को देना चाहिये तो मोदी जी दे रहे हैं। यह अलग बात है कि टाइम्स ऑफ इंडिया जैसे अखबार आयकर विभाग के सूत्रों के हवाले से अनाम अधिकारियों के बयान से कार्रवाई की पुष्टि करते हैं। यही आरोपों की पुष्टि करता है। लेकिन अखबारों के लिए यह मुद्दा नहीं है। चुनाव आयोग ने अभी तक कुछ नहीं कहा है। कहा भी हो तो अखबारों ने नहीं छापा है जैसे मोदी जी का दावा (प्रचार) छप रहा है। जहां तक भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई की बात है, भाजपा को वाशिंग मशीन पार्टी और उसके नेता को डिटर्जनेट कहा जाने लगा है। इसलिए उसे अभी रहने देता हूं।

2. टाइम्स ऑफ इंडिया

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यहां भी दोनों खबरें लगभग बराबर हैं। पहले इंडिया ब्लॉक की ही खबर है और पहला कॉलम छोड़कर चार कॉलम में है। बराबर में दूसरी खबर नरेन्द्र मोदी की रैली की है। यह तीन कॉलम में है। दोनों के साथ दो कॉलम की लगभग बराबर फोटो है। पहली खबर का शीर्षक है, इंडिया ब्लॉक ने लेवल प्लेइंग फील्ड, गिरफ्तार नेताओं की रिहाई की मांग की। मुझे लगता है कि यह बहुत ही जरूरी है और इसे शीर्षक में लिखना इंडिया समूह का समर्थन है। वैसे यह निष्पक्ष चुनाव के लिए बुनियादी जरूरत है। इसलिए जायज भी है। देखऩा है कि इस मांग और शीर्षक का असर चुनाव आयोग पर होता है कि नहीं। अखबार में खबर का इंट्रो है, शक्ति प्रदर्शन के मौके पर विपक्षी नेताओं ने मैच फिक्सिंग का आरोप लगाया। एक खबर बताती है कि सुनीता केजरीवाल ने रैली में अरविन्द केजरीवाल की छह गारंटी पढ़कर सुनाई और यह गारंटी इंडिया ब्लॉक की ओर से पूरे देश के लिए है। ये गारंटी हैं – (1) दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा (2) गरीबों को फ्री बिजली (3)  देश भर में 24 घंटे बिजली (4) सभी फसल पर एमएसपी (5) देश के प्रत्येक जिले में मल्टी स्पेशियलिटी अस्पताल और (6) सबको मुफ्त इलाज।

यहां भी नरेन्द्र मोदी की खबर का शीर्षक है, मैं डरने वाला नहीं, भ्रष्ट के खिलाफ कार्रवाई जारी रहेगी : प्रधानमंत्री। इंट्रो है, भ्रष्टाचारियों के खिलाफ युद्ध के चलते आज बड़े-बड़े भ्रष्टाचारी जेल में हैं। प्रधानमंत्री की रैली की खबर का शीर्षक कई अखबारों में लगभग यही है। इसके दो मायने हैं। एक तो यही कि उन्होंने जो बोला उसमें सबसे खास यही था। अगर यही सबसे खास है तो जाहिर है कि प्रधानमंत्री के पास बोलने के लिए कुछ नहीं है और अगर कुछ खास है, बोला और उसे महत्व नहीं दिया गया है तो इसका मतलब हुआ कि प्रधानमंत्री को अब लोग महत्व नहीं दे रहे हैं और मान रहे हैं कि उनके पास बोलने के लिए कुछ खास नहीं है। यह उल्टी गिनती शुरू होने की तरह है।

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3. द हिन्दू

छह कॉलम में इंडिया गठबंधन की खबर की लीड है। मोदी की मेरठ रैली की खबर पहले पन्ने पर प्रमुखता से नहीं है लेकिन कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को देने के कांग्रेस सरकार के फैसले पर प्रधानमंत्री की टिप्पणी प्रमुखता से है। हालांकि यह दूसरे अखबारों में भी है। खबरों के अनुसार पीएम मोदी की यह प्रतिक्रिया सूचना के अधिकार (आरटीआई) रिपोर्ट के बाद आई है, जिसमें खुलासा हुआ है कि कैसे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने 1974 में (इमरजेंसी से पहले और तब विरोधियों को पता नहीं चला था। नरेन्द्र मोदी तब 24 साल के थे) कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को सौंप दिया था। आरटीआई रिपोर्ट को आंखें खोलने वाली और चौंकाने वाली’ बताते हुए पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा कि इस कदम से लोग ‘नाराज’ हैं और कांग्रेस पर कभी भरोसा नहीं किया जा सकता है। अखबार ने लिखा है कि लोकसभा चुनाव में इसे महत्व मिल गया है। नरेन्द्र मोदी ने इसे 75 वर्षों के कांग्रेस के काम करने का तरीका कहा है। इस संबंध में आरटीआई भाजपा के तमिलनाडु प्रमुख के अन्नामलाई ने दाखिल की थी। मोदी ने गये साल अगस्त में भी यह मुद्दा उठाया था।

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आप जानते हैं कि 2014 से 2024 तक देश के प्रधानमंत्री रहे नरेन्द्र मोदी ने सत्ता में आने से पहले तो कहा था कि देश नहीं बिकने दूंगा और जो बेचा सो बेचा टाटा का एयर इंडिया वापस टाटा को देने का महान काम भी किया है। ऐसे में 1974 में इंदिरा गांधी ने क्या किया उसकी चर्चा करके अब वे बता रहे हैं कि खुद कुछ ढंग का किया या नहीं पहले के प्रधानमंत्रियों की कथित देश विरोधी गतिविधियों का भी पता नहीं लगा पाये और अंतिम समय में ये सब बाते पता चल रही हैं और प्रचारक अखबारों के जरिये उनका प्रचार भी कर रहे हैं। संभव है द हिन्दू ने दो घटिया प्रचार में कम या ज्यादा घटिया प्रचार को ज्यादा  महत्व दिया हो। वैसे, हिन्दू ने पहले पन्ने पर इंडिया गठबंधन की खबर के साथ यह भी बताया है कि भाजपा के अनुसार रैली असर छोड़ने में नाकाम रही। वैसे इसकी सत्यता का पता इसी से चल जाता है कि रैली न सिर्फ पहले पन्ने पर है, नरेन्द्र मोदी की रैली से ज्यादा महत्व पाई है। यह अलग बात है कि ज्यादा प्रभाव के लिए ही कच्चातिवु द्वीप का मामला उठाया गया हो। कांग्रेस ने उसका जवाब भी दिया है लेकिन अखबारों में मोदी का आरोप ज्यादा है और जिसे मौका मिला वह चुनावी बांड का मोदी का बचाव भी प्रचारित कर रहा है।

4. इंडियन एक्सप्रेस

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फ्लैग शीर्षक है, रैली में इंडिया ने चुनाव आयोग से लेवल प्लेइंग फील्ड सुनिश्चत करने की मांग की। मुख्य शीर्षक है, विपक्ष ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव को लेकर खतरे की घंटी बजाई, चुनाव आयोग से आगे बढ़कर कार्रवाई करने के लिए कहा। अगर भाजपा मैच फिक्सिग से चुनाव जीतती है, संविाधान बलती है तो इससे पूरे देश में आग लग जाएगी : राहुल गांधी। दोनों खबरों की प्रस्तुति यहां भी लगभग टाइम्स ऑफ इंडिया जैसी है और शीर्षक भी लगभग वैसा ही है। बहुत संभावना है कि प्रधानमंत्री ने यहां भी कुछ खास नहीं है। शीर्षक है, विपक्ष भ्रष्ट को बचाने की कोशिश कर रहा है, कार्रवाई होगी इस बात का कोई मतलब नहीं है कि कोई कितना बड़ा है। कहने की जरूरत नहीं है कि भ्रष्टाचारियों को न सिर्फ भाजपा में शामिल किया गया है बल्कि उनके खिलाफ मामले भी खत्म कर दिये हैं। पर वह अलग मुद्दा है। इंडियन एक्सप्रेस में पहले पन्ने पर आज भी उसकी एक एक्सक्लूसिव खबर है जो ध्यान खींचती है। इसके अनुसार पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों ने कहा है कि  विपक्ष के खिलाफ आईटी, ईडी की कार्रवाई चुनावों में लेवल प्लेइंग फील्ड को बाधित कर सकती है। इसके साथ एक्सप्रेस एक्सप्लेन्ड भी है। इसमें बताया गया है कि चुनाव आयोग क्या कर सकता है। 

5. द टेलीग्राफ

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फ्लैग शीर्षक है, केजरीवाल के खिलाफ कार्रवाई एकता रैली का आधार बनी। मुख्य शीर्षक है, गिरफ्तारी पीड़ित इंडिया ‘सबसे बड़ी अदालत’ में। यह तीन कॉलम में है। अखबार ने इसके साथ तीन कॉलम में एक खबर छापी है जिसका शीर्षक एक ही कॉलम में है और इस तरह कहा जा सता है बराबरी पर रखते हुए भी छोटी पार्टी और एक राज्य में सीमित होने के कारण कम महत्व दिया है। आप जानते हैं कि अखबार कोलकाता का है इसलिए बंगाल की खबर को ज्यादा महत्व मिला है। इस खबर का शीर्षक है, ममता की महुआ के क्षेत्र से भाजपा को ‘200’ सीटें जीतने की चुनौती। मोदी जी की मेरठ की खबर सिंगल कॉलम में अलग शीर्षक के साथ है। इससे पता चलता है कि मेरठ रैली में नरेन्द्र मोदी ने जो और बातें कहीं होंगी उनमें एक यह है तो और क्या कुछ कहा होगा। शीर्षक है, मंदिर, 370 जुबान पर मोदी ने ‘ट्रेलर’ दिखाया।  

पेश है, लखनऊ डेटलाइन से पीयूष श्रीवास्तव की खबर का शुरुआती अंश। अनुवाद मेरा है लेकिन मेरठ में प्रधानमंत्री का भाषण हिन्दी में ही हुआ होगा और यह पहले हिन्दी से अंग्रेजी किया गया होगा और मैं फिर अंग्रेजी हिन्दी कर रहा हूं तो भाव में थोड़ा अंतर रह सकता है, उसका ख्याल अवश्य रखें। बेहतर होगा, चाहें तो यू ट्यूब पर उपलब्ध वीडियो से यह अंश सुन लें। मैं यह बताने के लिए अनुवाद कर रहा हूं कि आप हिन्दी और अंग्रेजी की रिपोर्टिंग का अंतर समझ सकें। संपादकों को भी पता चले कि उनके शिष्य भाषण के किन अंशों को छोड़ देते हैं और जो रिपोर्ट करते हैं वह कितना लचर और फूहड़ होता है।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि उनके कार्यकाल में देश ने पिछले 10 वर्षों में जो देखा वह सिर्फ ट्रेलर था । उन्होंने अपने पसंदीदा विषयों – राम मंदिर, धारा 370 और तत्काल तीन तलाक पर बात की। मेरठ में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए, मोदी ने कहा: “आपने मेरे शासन के पिछले 10 वर्षों में केवल ट्रेलर देखा है, लेकिन हमें आने वाले वर्षों में आगे बढ़ना है। मैं 2029 में एक रिपोर्ट के साथ आपके पास आने के लिए पहले से ही तैयार हूं।” उन्होंने कहा, “लोग कहते थे कि (अयोध्या में) राम मंदिर बनाना असंभव होगा। लेकिन आपने देखा है कि न केवल मंदिर बनाया गया, बल्कि राम लला ने इस साल अवध में होली भी खेली, जैसे मथुरा में होली खेली जाती है।” मोदी ने कहा, “लोगों ने सोचा कि तत्काल तीन तलाक के खिलाफ कानून संभव नहीं होगा, लेकिन हमने इसे बनाया और हजारों मुस्लिम महिलाओं की जान बचाई।” यहां यह तथ्य है कि कम से कम एक हिन्दू महिला की दशा नहीं सुधरी। यह भेदभाव प्रधानमंत्री के स्तर पर क्यों स्वीकार्य होना चाहिये?

ऐसा ही दावा 370 के बारे में है। “लोगों ने यह भी सोचा था कि धारा 370 कभी खत्म नहीं होगी लेकिन हमने ऐसा किया और आज जम्मू-कश्मीर बढ़ रहा है।” सच्चाई यही है कि मणिपुर से खबरें नहीं बढ़ी हैं। हालात बेहतर होने की रिपोर्ट नहीं है औऱ चुनाव नहीं कराये जा सके हैं। द टेलीग्राफ में छह कॉलम में छपी एक खबर का शीर्षक है, नोटबंदी काले धन को सफेद में बदलने का एक तरीका था : जज। खबर में बताया गया है कि सुप्रीम कोर्ट की जज वी नागरत्न ने यह बात कही है और वे 2027 में मुख्य न्यायाधीश बनने के रास्ते में हैं। उन्होंने यह शिकायत भी की है कि काले धन पर इनकम टैक्स की बाद की कार्रवाई का क्या हुआ। यह खबर हैदराबद के नरसार यूनिवर्सिटी में आयोजित कार्यक्रम में उनके भाषण पर आधारित है जो 30 अप्रैल का है। इससे संबंधित खबरें पहले भी छप चुकी हैं। सोशल मीडिया में तो हैं ही। इसे नरेन्द्र मोदी के ट्रेलर पर प्रतिक्रिया के रूप में भी देखा जा सकता है।

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6. अमर उजाला हिन्दी अखबारों में कुछ खास नहीं है इसलिए रहने देता हूं। अमर उजाला में यह खास जरूर है कि यहां मोदी की रैली बाईं तरफ है इंडिया की रैली दाईं तरफ। यह हिन्दी-अंग्रेजी का अंतर होता तो नवोदय टाइम्स में भी ऐसा ही होता पर वहां अंग्रेजी अखबारों की तरह इंडिया को पहले या बाईं तरफ रखा गया है। अमर उजाला की खासियत उसकी खबर, ‘चुनावी बॉन्ड के खिलाफ जो नाच रहे हैं … पछतायेंगे भी’ है। यह खबर आज मेरे किसी अखबार में प्रमुखता से नहीं है। मुझे नहीं पता कि जिस योजना को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक कह दिया उसके बारे में प्रधानमंत्री के ऐसा कहने से उनकी कैसी महानता का प्रदर्शन होता है। आप जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हुए खुलासे पर गृहमंत्री अमित शाह ने बचाव में न सिर्फ झूठ बोला बल्कि वसूली को दान बताते हुए सांसदों की संख्या से जोड़ दिया। इलेक्टोरल बांड का उपयोग वसूली के लिए किया गया है इसलिए यह गलत और बुरा तो है ही पार्टी चाहती है कि किससे धन मिला वह सार्वजनिक नहीं हो तो इस कथित सफेद धन का भी कोई मतलब नहीं है। बैंकों को जानकारी रहने का कोई मतलब नहीं है जब उनका काम नहीं है कि वे ऐसे मामलों में कार्रवाई करें। फिर भी इलेक्टोरल बांड का बचाव असल में उसे वसूली कहे जाने से रोकने के लिए भी हो सकता है। पर वह मुद्दा नहीं है। मुद्दा कांग्रेस को आयकर नोटिस और उसपर कांग्रेस की प्रतिक्रिया है।

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