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उत्तर प्रदेश

यूपी में जंगलराज : अखिलेश यादव के राज में अपराधियों का मनोबल चरम पर

यूपी के बुलंदशहर में दिल्ली-कानपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर बंधक बनाकर मां-बेटी से गैंगरेप और लूटपाट कोई पहली घटना नहीं है। इसके पहले भी एक-दो नहीं हजार से भी अधिक ऐसे मामले है, जिसमें गैंगरेप, लूट, हत्या, डकैती, बच्चियों संग बलातकार जैसी वारदाते हुई है। इन घटनाओं में संलिप्त अपराधियों को धर दबोचने के बजाय सपाई गुंडों संग मिलकर पैसा बनाने में जुटे पुलिसकर्मी कार्रवाई के नाम पर सिर्फ और सिर्फ खानापूर्ति ही की है। चार-छह घटनाओं को छोड़ दें तो हरेक घटनाओं में निर्दोषों की गिरफ्तारी दिखाकर पुलिस न सिर्फ वाहवाही लूटी बल्कि अवैध वसूली का कुछ हिस्सा सत्ताई कुनबे को पहुंचाकर न मलाईदार थानों में तैनाती के साथ तरक्की का तगमा भी हासिल कर ली या करने वाले है।

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यूपी के बुलंदशहर में दिल्ली-कानपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर बंधक बनाकर मां-बेटी से गैंगरेप और लूटपाट कोई पहली घटना नहीं है। इसके पहले भी एक-दो नहीं हजार से भी अधिक ऐसे मामले है, जिसमें गैंगरेप, लूट, हत्या, डकैती, बच्चियों संग बलातकार जैसी वारदाते हुई है। इन घटनाओं में संलिप्त अपराधियों को धर दबोचने के बजाय सपाई गुंडों संग मिलकर पैसा बनाने में जुटे पुलिसकर्मी कार्रवाई के नाम पर सिर्फ और सिर्फ खानापूर्ति ही की है। चार-छह घटनाओं को छोड़ दें तो हरेक घटनाओं में निर्दोषों की गिरफ्तारी दिखाकर पुलिस न सिर्फ वाहवाही लूटी बल्कि अवैध वसूली का कुछ हिस्सा सत्ताई कुनबे को पहुंचाकर न मलाईदार थानों में तैनाती के साथ तरक्की का तगमा भी हासिल कर ली या करने वाले है।

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खास यह है कि अखिलेश के निर्देश पर अवैध वसूली में दिन-रात जुटे पुलिसकर्मी दिखावा के तौर पर ऐसे लोगों पर अपना कहर ढहा रहे है जिन्हें कुछ साल पहले यही भ्रष्ट पुलिसकर्मी उनका नाम अपराधियों की सूची में शामिल कर रखे है। कई ऐसे संभ्रांतों पर भी कार्रवाई की गयी है जिनका अपराध से कोई वास्ता ही नहीं है। जबकि सरकार के मंत्री, विधायक सहित अन्य जनप्रतिनिधियों ने अपने-अपने इलाके में पुलिस संग निर्दोषों पर तांडव कर रहे है और असल अपराधी अभी भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं। क्योंकि अखिलेश यादव पुलिस को तो अल्टीमेटम दे रहे है लेकिन सपाई गुंडों एवं माफिया विधायकों के संरक्षण  में पल-बढ़ रहे अपराधियों को कब अल्टीमेटम देंगे? शायद दे भी नहीं पायेंगे, क्योंकि अब तक यूपी में जितने भी महत्वपूर्ण पदों पर अधिकारियों की नियुक्ति हुई है वह जाति-धर्म तथा वोट के सियासत पर हुई है। और जब विसात ही गलत हाथों में है तो भ्रष्टाचार से लेकर गुंडागर्दी तो होगी ही।

सच तो यह है कि इन सपाई गुंडों पर दंगा कराने से लेकर लूट, हत्या, चोरी-डकैती जैसे संगीन मामले तो है ही बलात्कार की भी दर्जनों वारदातें दर्ज हैं। मतलब साफ है इस सरकार में न तो आदमी सुरक्षित है ना ही किसी की जान। कभी इनके काले कारनामों को उजागर करने वाले पत्रकारों पर कहीं फर्जी मुकदमें दर्जकर घर-गृहस्थी लूटवा रहे है तो कहीं जिंदा जलाकर मार डाल रहे है तो कभी रंगदारी न देने पर व्यापारी की गोली मारकर हत्या व लूट कर ली जाती है। भ्रष्ट मंत्रियों के काले कारनामे बढ़ते जा रहे हैं और टैकस के रूप में जुटाई गयी जनता की गाढ़ी कमाई को झूठ रुपी विकास के दावे को करोड़ों-अरबों कुछ समाचार पत्रों में इस्तहार के नाम पर लूटा रही है। कानू-व्यवस्था का यह हाल है कि अब हाइवे भी सुरक्षित नहीं है। सपाई गुंडे, माफियाओं एवं जनप्रतिनिधियों के संरक्षण में पल-बढ़ रहे हौसलाबुलंद बदमाश चलती कार को रोककर पहले पूरे परिवार को बंधक बनाते है और डेढ़ घंटे तक मां-बेटी संग बलातकार करते है। लेकिन चंद फर्लांग की दूरी पर मौजूद पुलिस चौकी के सिपाहियों को चीख तक नहीं सुनाई दी।

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लापरवाही की हद तो तब हो गयी जब हो हल्ला मचने के 24 घंटे बाद चिर निद्रा से जागे अखिलेश यादव ने गृह सचिव को झकझोरा तो डीजीपी मौके पर पहुंचे। आनन-फानन में डीजीपी ने संबंधित क्षेत्रिय अधिकारियों को अल्टीमेटम दे दिया कि दो घंटे में कार्रवाई नहीं हुई तो बर्खास्तगी भी तय यानी फिर किसी निर्दोष की बलि चढ़ना पक्का। क्योंकि पुलिस कोई जादू की छड़ी तो है नहीं कि तत्काल अपराधियों को ढूढ़ ही लेगी। ऐसा इसलिए क्योंकि बुलंदशहर में जहां वारदात हुई है वहां मौके से पुलिस सोने की चेन तक नहीं उठा सकी। ऐसे में सवाल यही है क्या बगैर सबूतों के अपराधियों को पकड़ेगी अखिलेश की पुलिस? फिरहाल लचर कानून व्यवस्था व फर्जी कार्रवाईयों का ही नतीजा है कि शातिर अपराधियों में पुलिस का खौफ नहीं रह गया है। परिणाम यह है कि रोजाना बलात्कार की 10-15, लूट की 15-20, हत्या की 16-20 घटनाएं सामने आ रही है।

ताज्जुब है कि कानून के रखवाले पुलिस वाले ही आम आदमियों के भक्षक बन गए है। कानून का स्थान सपा के माफिया जनप्रतिनिधियों के आगे पूरी तरह से दम तोड़ रही है। अपराधियों व अवांछनीय तत्वों का जैसे राज छा गया है। गोली चलाना मामूली बात हो गयी है। रंजिश में हत्या राजनीति के चलते हत्या हो रही है। ताबड़तोड़ छिनैती, हत्या व लूट की वारदाताओं से व्यापारी दहशत में है और शाम ढलते ही दुकान की शटर गिरा देते है। खासकर महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध। अवैध खनन, जमीनों पर अवैध कब्जे, फर्जी मुकदमों की तो मानों बाढ़ आ सी गयी है। हालात यहां तक बिगड़ चुके है कि लोग अब तो यूपी का नाम ही बदल डाले है कोई इसे दबंगों का प्रदेश बता रहा तो कोई गुंडाराज। यूपी के ये नाम अब हर सख्श की जुबा पर तो है ही पुलिस-अपराधी गठजोड़ का आरोप भी चर्चा-ए-खास है।

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बहरहाल, बड़ा सवाल तो यही है कि कल तक मां-बेटी के सम्मान की रक्षा के लिए सड़क पर उतरने की दुहाई देने वाले स़ड़कों से नदारद है। खासकर जिस सरकार में विकास व महिलाओं की सुरक्षा के बूते फिर से सत्ता में आने का दावा कर रहे है उनसे भी यही सवाल है कि क्या अपराध के ‘उत्तम प्रदेश‘ के लिए वोट मांगेंगे अखिलेश? क्या मान लिया जाएं कि यूपी में रहने वाले परिवार की सुरक्षा भगवान भरोसे है? क्योंकि हैवानियत की ऐसी तस्वीर शायद ही कहीं मिले जहां हाइवे पर भी सुरक्षित नहीं है परिवार? यूपी की सियासत व लचर सिस्टम का ही तकाजा है कि हर वारदात के बाद पुलिस लकीर पर लाठी पिटती ही नजर आती है।

जहां तक बुलंदशहर की घटना का सवाल है तो वह बेहद शर्मनाक है। गुंडई की हद यह है कि शनिवार को दिल्ली-कानपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर नोएडा से शाहजहांपुर जा रहे कार सवारों को गुंडों ने रोककर सरेराह ज्वैलरी और कैश लूट लिया। कार सवार मां-बेटी के साथ सड़क किनारे खेत में ले जाकर दंरिदों ने मां के सामने बेटी का बलात्कार और बेटी के सामने मां को हवस का शिकार बनाया। ताज्जुब इस बात का है कि डेढ़ घंटे तक बुलंदशहर की कोतवाली देहात के पास दरिंदे वारदात को अंजाम देते रहे और पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगी। दो घंटे तक परिवारवालों को बंधक बनाकर रखा गया। किसी तरह परिवार ने नोएडा पुलिस को फोन किया तब जाकर बुलंदशहर पुलिस ने पीड़ितों से संपर्क किया।

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परिवार का दावा है गहने और कैश मिलाकर डेढ़ लाख रुपये की लूट हुई है। यह सब करने के बाद डकैतों ने परिवार के सभी लोगों के हाथ पैर बांध दिए थे जिससे किसी तरह निकल कर पुलिस को सूचना दी गयी। पहली बार 100 नंबर पर फोन किया लेकिन जवाब नही मिला। बाद में मामला बढ़ता देख कोतवाली इंचार्ज को थाने से हटा दिया गया। हैरानी की बात ये है कि घटनास्थल से पुलिस चौकी कुछ ही दूरी पर थी। इस हृदयविदारक घटना के दो दिन बीतने के बाद भी आरोपी नहीं पकड़ा जाए तो ये गुंडाराज नही तो क्या है। कहा जा सकता है अखिलेश यादव के राज में कानून व्यवस्था चरमरा गई है। अपराधियों का मनोबल अपने चरम पर है। पुलिस के मुताबिक पीड़‍ित परिवार दो बड़े भाई शनिवार रात को मां की तेहरवीं करने घर जा रहे थे। एसेंट कार में दोनों भाई, दोनों पत्नी और बड़े भाई का बेटा और और छोटे भाई की 11 साल की बेटी थी। दर्जनभर बदमाशों ने हथियार के बल पर गाड़ी पर लोहे की भारी वस्तु फेंककर भ्रम फैलाया कि गाड़ी में कोई खराबी आ गई है। जब गाडी रुकी तो गुंडों ने इस वीभत्स वारदात को अंजाम दिया। 

यूपी पुलिस की दरिंदगी की सारी सीमाएं पर हो चुकी है। आइएएस अमृत त्रिपाठी, आईपीएस अशोक शुक्ला, कोतवाल संजयनाथ तिवारी जैसे भ्रष्ट लूटेरा, हत्यारे पुलिसकर्मी सपाई गुंडों के साथ मिलकर जनता को लूट रहे है। कानपुर में पुलिसिया दरिंदगी का आलम यह है कि वहां जब एक रिक्शाचालक ने पुलिस की अवैध वसूली का विरोध किया तो उसके गरीब रिक्शाचालक संग वो अमानवीय व्यवहार किया कि सुनकर लोगों के रोंगटे खड़े हो गए। जानकारी के मुताबिक शहर के मूलगंज थाना इलाके में पुलिसकर्मी ई-रिक्शा चालकों से अवैध वसूली कर रहे थे। पुलिसकर्मियों ने गुंडों की तरह हफ्ता बांध रखा है। जिसे इन गरीबों को अपनी मेहनत की कमाई से देना पड़ता है। लेकिन इस पीड़ित रिक्शाचालक ने खुलेआम चल रही पुलिस की गुंडागर्दी का विरोध कर दिया। बस फिर क्या था ‘साहब लोगों‘ का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। उसके साथ वहीं मार-पिटाई शुरू कर दी। उसको किसी जानवर की तरह बांध कर थाने ले आए और हवालात में बंद कर दिया। लेकिन पूरी घटना का वीडियो किसी ने अपने मोबाइल में कैद कर सोशल मीडिया में वायरल कर दिया। अब इस घटना को लेकर डीजीपी मुख्यालय तक हड़कंप मचा हुआ है। फिलहाल रिक्शा चालक को छोड़ दिया गया है। लेकिन इसके बाद कई सवाल खड़े हो गए हैं कि आम जनता आखिर क्या करे।

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यूपी के पत्रकार सुरेश गांधी का विश्लेषण.

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