मदन मोहन सोनी-
सोशल मीडिया प्लेटफार्म x पर दिव्या त्रिपाठी नामक एक यूजर ने भारतीय क्रिकेटर मोहम्मद शमी और सिराज की तस्वीर लगाकर पूछा कि अगर सभी मुसलमान पाकिस्तान चले जाते तो मोहम्मद शमी और सिराज वहीं के बॉलर होते।
शायद यह ट्वीट पत्रकार अर्चना तिवारी को चुभ गया और उन्होंने repost कर जवाब दिया कि गेंद नहीं इनके हाथों में बम होते बम, सहमत तो आपको होना ही चाहिए।
द राजधर्म के नाम पर चलने वाले एक डिजिटल चैनल की खुद को संपादक बताने वाली जर्नलिस्ट अर्चना तिवारी की सोच और उनके एजेंडे को समझने की जरूरत है।
क्या भारतीय मीडिया में सफलता का एकमात्र रास्ता भड़काऊ बयान या पोस्ट ही रह गया है। क्या साफ सुथरी और सांप्रदायिक सौहार्द वाली पत्रकारिता का दौर समाप्त हो गया है ? सबसे दुर्भाग्य की बात तो ये है कि जाति, धर्म के नाम पर बात बात में फसाद खड़े करने वाले ऐसे तथाकथित पत्रकारों की संख्या निरंतर बढ़ती ही जा रही है।
हालांकि अर्चना तिवारी के इस Repost पर लताड़ लगाने वालों की भी कमी नहीं रही। किसी ने उनको जवाब देते हुए लिखा कि शोएब अख्तर, वसीम अकरम, वकार यूनुस के हाथ में बम थें क्या ? अगर सभी मुसलमान पाकिस्तान चले जातें तो एपीजे अब्दुल कलाम पाकिस्तान के वैज्ञानिक होते और सिर्फ पाकिस्तान की परमाणु संपन्न देश बन पाता, भारत नहीं।