अमर उजाला अखबार में गुरुग्राम डेटलाइन से छपी एक खबर में रिपोर्टर लिखता है- ”यह जानकारी प्रदेश के पुलिस महानिदेश बीएस संधू ने दैनिक जागरण से बातचीत में दी.” इस लाइन के छपने से हंगामा मच गया है. लोग कह रहे हैं कि अमर उजाला वालों ने दैनिक जागरण की खबर नेट से चुराई और उसे बिना पढ़े बिना एडिट किए ही अखबार में चेंप दिया. फिलहाल अमर उजाला अखबार में दैनिक जागरण से बातचीत वाली खबर की न्यूज कटिंग ह्वाट्सअप और सोशल मीडिया पर जोरशोर से घूम रही है.
इसके पहले अमर उजाला वालों ने दिल्ली के बहुचर्चित बीएमडब्लू कांड में दोषी उत्सव भसीन पर शनिवार को आए फैसले की ख़बर में भसीन की जगह एक युवा फिल्म निर्माता संदीप कपूर की फोटो लगा दी. संदीप कपूर ‘अनारकली ऑफ आरा’ फिल्म के निर्माता हैं. अमर उजाला में भसीन की जगह अपनी हंसती हुई तस्वीर देखकर संदीप ने फेसबुक पर लिखा- ”When the research of journalists begins and ends with Google and they take Google as Gospel Truth, such blunders happen. My picture has been used by this paper without checking and re-checking. Such journalists bring disrepute to the entire community.”
कुल मिलाकर इन दिनों अमर उजाला कंटेंट के मोर्चे पर निचले स्तर पर गिर चुका है. इस अखबार की एक जमाने में साख हुआ करती थी लेकिन जबसे यह अखबार ब्रांडिंग, सरकुलेशन और मार्केटिंग वाले लोग चलाने लगे, तबसे इसका दम निकलने लगा है. शीर्ष स्तर पर न कोई देखने वाला है और न कोई दुरुस्त करने वाला. सब अपनी नौकरी बचाने और सेलरी लेने में लगे हैं.
reetu Panday
July 19, 2017 at 9:42 am
उदय कुमार और भपेंद्र कुमार का चेला मयंक तिवारी उधेड़ रहा गुड़गांव अमर उजाला की बखिया… गुड़गांव अमर उजाला, पत्रकारिता के इतिहास में इतने गिरावट का और जलालत भरा दिन कभी नहीं देखा था। जितना उदय कुमार और भपेंद्र कुमार के चहेते मयंक तिवारी के ब्यूरोचिफी में देख रहा है। 18 जुलाई 2017 अमर उजाला के गुड़गांव के पेज तीन पर शास्त्र लाइसेंस से संबंधित एक खबर छपी है जिसमे लिखा है कि डीजीपी ने दैनिक जागरण को बताया। यह तो होना ही था। मयंक की औकात स्ट्रिंगर से अधिक की नहीं थी फिर भी इनके लिए योग्य लोगों को दरकिनार कर दिया गया। टेस्ट में धांधली कर उन्हें पास कर चीफ सब प्रमोट किया गया। यही कारण है कि अमर उजाला से एक एक कर योग्य लोग जा रहे हैं। मयंक जैसे अयोग्य व भ्रष्ट को ब्यूरो चीफ बनाने से सीधा फायदा उदय कुमार व भपेंद्र कुमार को है संस्थान को नहीं। इसे लेकर अमर उजाला में दबी जुबान में चर्चा भी हो रही है। मयंक को कोई रोके नहीं इसे लेकर गुड़गांव ब्यूरो से एक रिपोर्टर को फरीदाबाद तो दूसरे को नोएडा भेज दिया गया। यह बात सभी जानते हैं कि मयंक को खुद लिखना नहीं आता तो वह अपने रिपोर्टर साथियों को क्या बताएगा। गलती पर गलती होने के बाद भी मयंक का कोई कुछ नहीं कर सकता। क्योंकि उदय और भपेंद्र का उस पर हाथ है। मयंक खुद ही कहता है कि मार्च तक उसका कोई कुछ उखाड़ नहीं सकता। भूपेंद्र और मयंक दोनों को ही उदय आशीर्वाद है। दोनों ही अयोग्य हैं। फिर भी आगे बढ़ रहे हैं। अब मयंक ब्यूरो चीफ की वह धांसू खबर भी पढ़ लीजिये.
Reetu
July 19, 2017 at 2:25 pm
गुड़गांव अमर उजाला, पत्रकारिता के इतिहास में इतने गिरावट का और जलालत भरा दिन कभी नहीं देखा था। जितना उदय कुमार और भपेंद्र कुमार के चहेते मयंक तिवारी के ब्यूरोचिफी में देख रहा है। 18 जुलाई 2017 अमर उजाला के गुड़गांव के पेज तीन पर शास्त्र लाइसेंस से संबंधित एक खबर छपी है जिसमे लिखा है कि डीजीपी ने दैनिक जागरण को बताया। यह तो होना ही था। मयंक की औकात स्ट्रिंगर से अधिक की नहीं थी फिर भी इनके लिए योग्य लोगों को दरकिनार कर दिया गया। टेस्ट में धांधली कर उन्हें पास कर चीफ सब प्रमोट किया गया। यही कारण है कि अमर उजाला से एक एक कर योग्य लोग जा रहे हैं।
मयंक जैसे अयोग्य व भ्रष्ट को ब्यूरो चीफ बनाने से सीधा फायदा उदय कुमार व भपेंद्र कुमार को है संस्थान को नहीं। इसे लेकर अमर उजाला में दबी जुबान में चर्चा भी हो रही है। मयंक को कोई रोके नहीं इसे लेकर गुड़गांव ब्यूरो से एक रिपोर्टर को फरीदाबाद तो दूसरे को नोएडा भेज दिया गया। यह बात सभी जानते हैं कि मयंक को खुद लिखना नहीं आता तो वह अपने रिपोर्टर साथियों को क्या बताएगा।
गलती पर गलती होने के बाद भी मयंक का कोई कुछ नहीं कर सकता। क्योंकि उदय और भपेंद्र का उस पर हाथ है। मयंक खुद ही कहता है कि मार्च तक उसका कोई कुछ उखाड़ नहीं सकता। भूपेंद्र और मयंक दोनों को ही उदय आशीर्वाद है। दोनों ही अयोग्य हैं। फिर भी आगे बढ़ रहे हैं।
Vc
July 22, 2017 at 6:25 am
भूपेंदर कुमार पाला बदलू है. पहले उदय कुमार से अपनी मनमानी कराता रहा. अब पंचाेली के केबिन के चक्कर मारता है. अब पंचाेली से साठगांठ में लगा है और उदय कुमार को इसकी जानकारी नहीं है.
Vc
July 22, 2017 at 6:52 am
भाई साहब भूपेंदर कुमार की अभी एक पोल खुली है. मालिकों की आंख में धूल झोंक रहा है. गुड़गांव में मयंक के साथ शहनवाज भी खबर का बडा दलाल हैं. मयंक अपने भाई के साथ दलाली करता है जो पंजाब केशरी में है. मयंक और शहनवाज छोटे अखबारों में भी दुकान चलाते हैं. भूपेंदर को पता है फिर भी खुद दलाली लेने के लिए दोनों को बढ़ावा दिया. यशलोक ने मुह खोला तो हटा दिया वहां से. उदय कुमार को हर बात में आगे करके काम करने वालों को भूपेंदर हटवा देता है.
sanju
July 26, 2017 at 8:59 am
कट पेस्ट में पारंगत मयंक तिवारी ने दैनिक जागरण की खबर पूरी की पूरी छाप दी। इतनी बड़ी गलती करने वाले चेले को बचाने के लिए उदय कुमार ने फिर से गोटियां बिछानी शुरू कर दी हैं। चेले को बचाने के लिए एक बार फिर कुछ लोगों की बलि चढ़ाने की तैयारी की जा रही है। मयंक पर कार्यवाही करना उदय की मजबूरी है लेकिन उसे अपनी मानेसर की फैक्ट्री भी बचानी है जिसका कर्ताधर्ता उसका चेला मयंक तिवारी है। मालिकान को कार्रवाई भी दिखा दी जाए और चेले का नुकसान भी न हो इसका रास्ता तैयार किया जा रहा है। मयंक को सजा के तौर पर फरीदाबाद भेजने की तैयारी की जा रही है। इससे होगा यह कि उसका मानेसर आना जाना बना रहेगा और उदय की निर्माणाधीन फैक्ट्री का काम भी चलता रहेगा। मालिकान को खुश करने के लिए उस रिपोर्टर को बर्खास्त किया जाएगा जिसकी गलती सिर्फ इतनी थी कि उसने जागरण में खबर जाने की सूचना उदय के चमचे मयंक तिवारी को दी थी।
sanju garg
July 26, 2017 at 9:09 am
भईया वास्तवर में अमर उजाला को इस स्थिति तक पहुंचाने में दरअसल उदय कुमार का हाथ है। उसने अयोग्य चमचों को मलाई खिलाई और योग्य लोगों को संस्थान के बाहर का रास्ता दिखाया गया। गुरुग्राम का ब्यूरो चीफ अपने चहेते मयंक तिवारी को बनाने के लिए उदय कुमार ने उस दिन से ही तैयारी कर लिया था जब दोनों ने मानेसर में फैक्ट्री डालने का योजना बनाया। उदय कुमार की बेटी के नाम से स्थिापित की जा रही इस फैक्ट्री में उनका चमचा मयंक तिवारी २५ प्रतिशत का हिस्सेदार बताया जा रहा है। मानेसर की इस फैक्ट्री निर्माण में प्रशासन कोई बाधा न बने इसके लिए मंयक तिवारी को गुडग़ांव का ब्यूरो बनवाया गया। मयंक के रास्ते की सबसे बड़ी बाधा गुडग़ांव में तैनात यशलोक सिंह था। दो साल पहले ही मयंक को गुडग़ांव की कमान देने की साजिश का सबसे पहला शिकार मलिक असगर हाशमी को बनाया गया। ओमप्रकाश कुशवाहा को प्रमोशन का लॉलीपॉप देकर गुडग़ांव भेजा गया। उसे उदय कुमार और भूपेंद्र की साजिश का पता चला तो बेचारे ने पोर्टल की राह पकड़ी। उदय और भूपेंद्र की साजिश मेें अब मयंक तिवारी के समकक्ष सीनियर सब स्तर के रिपोर्टर आ रहे थे। मयंक की पदोन्नति को उचित ठहराने के लिए पिछले साल सीनियर रिपोरटर्स को टेस्ट दिलाने का ड्रामा रचा गया। हुआ वही जो उदय कुमार एंड कंपनी चाहती थी। कॉपी में कई गलतियां होने के बावजूद मयंक को पास किया गया और गुडग़ांव का ब्यूरो बनाया गया। पंजाब केसरी की खबरें कापी पेस्ट कर अमर उजाला को गर्त में ढकेल रहा मयंक तिवारी कितनी बार अखबार में गलतियां छपवा चुका है यह पिछले तीन माह के अमर उजाला की खबरों को पढ़कर अंदाज लगाया जा सकता है।
sanju garg
July 26, 2017 at 9:10 am
कट पेस्ट में पारंगत मयंक तिवारी ने दैनिक जागरण की खबर पूरी की पूरी छाप दी। इतनी बड़ी गलती करने वाले चेले को बचाने के लिए उदय कुमार ने फिर से गोटियां बिछानी शुरू कर दी हैं। चेले को बचाने के लिए एक बार फिर कुछ लोगों की बलि चढ़ाने की तैयारी की जा रही है। मयंक पर कार्यवाही करना उदय की मजबूरी है लेकिन उसे अपनी मानेसर की फैक्ट्री भी बचानी है जिसका कर्ताधर्ता उसका चेला मयंक तिवारी है। मालिकान को कार्रवाई भी दिखा दी जाए और चेले का नुकसान भी न हो इसका रास्ता तैयार किया जा रहा है। मयंक को सजा के तौर पर फरीदाबाद भेजने की तैयारी की जा रही है। इससे होगा यह कि उसका मानेसर आना जाना बना रहेगा और उदय की निर्माणाधीन फैक्ट्री का काम भी चलता रहेगा। मालिकान को खुश करने के लिए उस रिपोर्टर को बर्खास्त किया जाएगा जिसकी गलती सिर्फ इतनी थी कि उसने जागरण में खबर जाने की सूचना उदय के चमचे मयंक तिवारी को दी थी।
Rita semwal
July 27, 2017 at 1:48 pm
आखिरकार मयंक तिवारी की गलतियों का खामियाजा एक उभरते हुए प्रतिभावान पत्रकार को भुगतना पड़ा . उदय कुमार और मयंक तिवारी की राजनीति में फंसे युवा पत्रकार ने इस्तीफा देकर पिंड छुड़ा लिया.
dinesh
July 28, 2017 at 7:40 pm
मयंक तिवारी के कारण अब भूपेंद्र कुमार उदय कुमार के ऊपर प्रबंधन ने कड़ाई करनी शुरू कर दी है। दोनों का गठबंधन अब टूटने वाला है। पूरे सिस्टम को कमजोर करने वाले उदय और भूपेंद्र के कारनामे एक गलती से सामने आ गए। दोनो एक दूसरे की नौकरी चला रहे थे। और दलाली की कमाई से घर भर रहे थे। किसी को कानोकान भनक तक नहीं थी। स्थानांतरण करना तो इनके बाये हाथ का खेल है। राजुल माहेश्वरी को कुछ भी रिपोर्ट देकर एक ब्यूरो से दूसरे ब्यूरो भेज देते हैं। भूपेंद्र कुमार तो किसी लायक नहीं। दिनभर गुरग्राम से delhi तक राजनीति करता है रिपोर्टर से। सूअर का बाल है इसकी आंख में। यही कारण था कि राकेश भट्ट भूपेंद्र को फटकने भी नही देते थे। उन्हें डेल्ही ब्यूरो से हटाने का उदय और भूपेंद्र ने बहुत प्रयास किया। उनके जम्मू जाते ही डेल्ही ब्यूरो खराब करने पर लग गए दोनों। भूपेंद्र और उदय कुमार ने अपने अधिकारों का गलत प्रयोग किया। अमर उजाला के नाम पर पैसे कमाए। राजुल माहेश्वरी को गुमरहा किया।
dinesh
July 30, 2017 at 7:29 pm
सीधे तौर पर मयंक की इस गलती के जिम्मेदार भूपेंद्र कुमार है। भूपेन्द्र ने उसे सिर चढा रखा था। मयंक की एक गलती से भूपेंद्र की योग्यता का पता मालिको को चल गया होगा। भूपेन्द्र जैसे कई नालायक संपादक अमर उजाला में होंगे। जो उदय और यशवंत व्यास के दम पर नौकरी कर रहे हैं।
Rita semwal
August 1, 2017 at 4:57 pm
मालिकान की आंखों में धूल झोंकने के लिए एक और साजिश रची गई जांच के लिए फर्जी कमेटी का गठन किया गया जिसमें उदय कुमार औरभूपेंद्र के चमचों को शामिल किया गया यह जांच सिर्फ मालिकान को दिखाने के लिए दिखावा है फैसला पहले ही हो चुका है जिसमें मयंक तिवारी को नोएडा बिठाया जाएगा जिसमें मयंक तिवारी की गलतियों पर पर्दा डालने का उदय कुमार भूपेंद्र करेंगे मामला ठंडा होने के बाद मयंक को गुडगांव या फरीदाबाद को वापस भेज दिया जाएगा