हरियाणा के सिरसा जिले के युवा पत्रकार धीरज बजाज का आत्महत्या कर लेना पत्रकारों में चर्चा का विषय है. सभी यही आपस में बात कर रहे हैं कि आखिर सुसाइड के पीछे कारण क्या रहा. कहते हैं कि धीरज बजाज ने मानसिक परेशानियों से तंग आकर आत्महत्या कर लिया. धीरज के ऐसा कदम उठाने से उनके परिवार और उन्हें चाहने वाले स्तब्ध हैं. धीरज इन दिनों ‘सच कहूं’ समाचार पत्र के ब्यूरो चीफ थे. साथ ही स्थानीय समाचार-पत्र ‘थर्ड वे’ के संपादक भी थे धीरज बजाज.
धीरज बजाज
बजाज ने बीते बुधवार की रात अपने एक मित्र के घर पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. शव के पास रखे उनके लैपटॉप में पांच अलग-अलग सुसाइड नोट टाईप किए हुए मिले. उसमें कहीं न तो आत्महत्या के कारणों का खुलासा किया गया और न ही किसी को जिम्मेदार ठहराया गया. सुसाइड नोट में उन्होंने अपने दोस्तों, डेरा सच्चा सौदा, अपने माता-पिता व पुलिस आदि के लिए सामान्य बातें लिखी हैं.
धीरज बजाज के परिवार में उनके बुजुर्ग माता-पिता, बीमार बड़ा भाई, धीरज बजाज की पत्नी व उनका एक बेटा है. रात को 9 बजे तक धीरज जब अपने घर नहीं पहुंचे तथा बार-बार फोन करने पर भी धीरज ने फोन नहीं उठाया, तो उनके परिजनों ने उनके मित्रों से फोन कर उनके बारे में पूछताछ की. जब यह सूचना गांव गए उनके मित्र को मिली तो उन्होंने अपने पड़ोसी अजय उप्पल को फोन कर उनके घर जाकर धीरज को देखकर आने को कहा.
इस पर अजय उप्पल रात करीब 11 बजे जब वहां गए, तो दरवाजा अंदर से बंद था और बार-बार दरवाजा खटखटाने के बाद भी जब दरवाजा नहीं खुला, तो अजय उप्पल छत की तरफ से नीचे गए. देखा कि छत पर लगे पंख से धीरज का शरीर फंदे पर लटका हुआ था. इस पर उन्होंने तुरंत उसे नीचे उतारा तो देखा कि धीरज की सांसे चल रही थी. इस पर उसने अपने आस पड़ोस के लोगों, धीरज के मित्रों को वहां बुलाया और डेरा सच्चा सौदा अस्पताल ले गए. वहां चिकित्सकों ने तुरंत उपचार करना शुरू कर दिया, लेकिन उपचार के दौरान ही धीरज की मौत हो गई. हंसमुख स्वभाव व सभी से प्रेम से मिलने वाले धीरज बजाज द्वारा इस प्रकार आत्महत्या करने से जिला के पत्रकारों को जहां सदमा लगा है तो वहीं शोक की लहर दौड़ गई है. सुबह सामान्य अस्पताल में पोस्टमार्टम कराने के बाद उनके शव का दोपहर को शिवपुरी में अंतिम संस्कार कर दिया गया. इस दौरान वहां शहर के सभी पत्रकारों सहित राजनेता, समाजसेवी संगठनों के पदाधिकारी उपस्थित थे.
धीरज बजाज का सुसाइड करना सोशल साइट्स और अखबारों के जरिए सब तक पहुंच गई. गुणी कलमकार धीरज बजाज के रुखसत होने के बाद उनके तमाम चाहने वाले खुद को हद से ज्यादा गमगीन, अकेला एवं ठगा सा महसूस कर रहे हैं. छोटी सी उम्र में पत्रकारिता के नये आयाम छूने वाला धीरज हमारे बीच एक ऐसा रिक्त स्थान पैदा कर गया जिसकी भरपाई निकट भविष्य सम्भव नहीं है. कलम के सिपाही धीरज ने खुद को खत्म करने से पहले बेशक इंटरनेट की सोशल साइट्स से स्वयं से जुड़ी तमाम लेखन सामग्री और फोटोज आदि सब रिमूव कर दिए हों लेकिन धीरज अपने हंसमुख स्वभाव अपने उल्लेखनीय कामों के कारण हम सबके दिलों में हमेशा हमेशा जिन्दा रहेंगे.
सच
December 7, 2014 at 8:24 pm
दुखद आज के दौर में पत्रकारों की आत्महत्या की खबर सुनने ही हद्रय व्यकुल हो जाता है । तमाम संस्थान मीडिया का कोर्स तो चला रही है लेकिन ये भूलती जा रही है की लोकतंत्र के इस चौथे खम्बे कहें जाने बाले मीडिया तन्त्र के नीचे न जाने कितने वेगुनाह लोगों की लाश दफन होती जा रही है ।