Vikas Mishra-
मेरे जन्मदिन पर अनुपम उपहार… भाई साहब आप किताब क्यों नहीं लिखते..? सर आपको किताब लिखनी चाहिए..? आपकी किताब कब आ रही है..? पिछले कई सालों से अपने मित्रों और शुभेच्छुओं की तरफ से कुछ ऐसे ही सवालों का सामना कर रहा था। इन सभी सवालों का जवाब अब आपके सामने है। मेरी पहली किताब- ‘बखरी.. कहानी घर आंगन की’ प्रकाशित होकर आ गई है। शाम को ही भावना प्रकाशन के नीरज जी किताबों की ये अनुपम भेंट लेकर घर पहुंचे और खुशियों से हमारा भंडार भर दिया।
बखरी..ये शब्द पूर्वांचल और बिहार के लिए अनजाना नहीं है। बखरी यानी गांव का वो बड़ा घर, जिसमें बड़े दिल वाले भी रहते हैं। जिनके लिए चौखट की मर्यादा से बढ़कर कुछ नहीं है। पश्चिमी यूपी और मध्य प्रदेश में इसके लिए बाखर शब्द प्रचलित है। तो ये कहानी हमारे ही घर परिवार की है। गांव में हमारे घर को ही लोग बखरी कहते थे और इस उपन्यास की कहानी इसी बखरी के इर्द गिर्द मंडराती है। थोड़ी ही देर में ये कहानी आपको अपने आसपास की लगने लगेगी, अपनी लगेगी, अपने घर परिवार की लगेगी। कहीं आपको गुदगुदी लगेगी तो चेहरे पर मुस्कान आएगी तो कहीं आंख भी नम होगी।
इस उपन्यास में कोई काल्पनिक कहानी नहीं है। सारे पात्र असल है। कहानी असल है। रिश्ते असल हैं। कुछ भी सायास नहीं है, सब अनायास है। प्यार, परिवार और संस्कार… सब कुछ। किताब के बारे में मैं ज्यादा नहीं कहूंगा, लेकिन ये रचना आपकी अपेक्षाओं के मानदंडों पर अगर खरी उतरती है तो मुझे अपनी इस मेहनत की मजूरी मिल जाएगी।
फेसबुक पर परिवार और नाते-रिश्तों से जुड़ी मेरी रचनाओं को सभी मित्रों ने बहुत प्यार और सम्मान दिया, साथ में बल भी दिया कि मैं परिवार को आधार बनाकर एक उपन्यास लिखूं। ये काम मेरे लिए बहुत आसान नहीं था। 9-10 घंटे की नौकरी के बाद दिमाग सूख जाता था। कभी मूड बनता तो फेसबुक पर पोस्ट लिख देता था, लेकिन किताब का काम शुरू नहीं हुआ। फिर मेरे कुछ प्रियजनों ने पहल की।
साहित्यकार, व्यंग्यकार मित्र अर्चना चतुर्वेदी लट्ठ लेकर पीछे पड़ीं कि आप लिखना शुरू कीजिए। आजतक में साहित्य तक के मेरे साथी जयप्रकाश पांडेय जी हर बार वाशरूम जाते वक्त टोक देते- किताब का काम कहां तक पहुंचा..? मेरी पत्नी, बेटे समन्वय, भानजी रुचि समेत परिवारजनों ने भी प्रेरित किया तो किताब पूरी भी हो गई। सोने पर सुहागा ये भी हुआ कि किताब के प्रकाशन के लिए मुझे भटकना नहीं पड़ा। भावना प्रकाशन के नीरज मित्तल जी ने बाहें पसारकर इस किताब की अगवानी की और इसे प्रकाशित किया। पद्मश्री लोकगायिका मालिनी अवस्थी, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के मेरे पहले बॉस संजीव पालीवाल, छोटे भाई और प्रसिद्ध कवि-गीतकार आलोक श्रीवास्तव ने किताब की भूमिका लिखी। इस प्यार और सम्मान के लिए मैं इन लोगों का आभारी हूं।
संयोग ये है कि आज मेरा जन्मदिन है और आज जन्मदिन पर भावना प्रकाश ने मेरी पुस्तक प्रकाशित करके अनुपम उपहार दे दिया है। फेसबुक पर मेरे मित्र भी मेरे जन्मदिन पर ये किताब खरीदकर मुझे उपहार दे सकते हैं। अगर किताब पसंद आई तो मेरी तरफ से उनके लिए ये रिटर्न गिफ्ट होगा। आप अपने स्वजनों को भी ये किताब गिफ्ट कर सकते हैं या फिर उन्हें खरीदने के लिए प्रेरित कर सकते हैं, उनका पैसा व्यर्थ नहीं जाएगा।
ये किताब अमेजन पर उपलब्ध है। कीमत 350 रुपये है, 70 रुपये का डिस्काउंट है। 280 रुपये में मिलेगी। इसका लिंक है-
https://www.amazon.in/Bakhari-Kahani-Ghar-Aangan-Ki/dp/8176674605/
इसके अलावा आप भावना प्रकाशन से डायरेक्ट इसे खरीद सकते हैं। कीमत 275 रुपये होगी। इसके लिए बस करना ये होगा कि आपको 9312869947 नंबर पर पेमेंट करना होगा। क्यूआर कोड भी है इसका, जो मैं अटैच कर रहा हूं। पेमेंट का स्क्रीन शॉट और अपना पता आप-9312869947- पर व्हाट्सएप कर दें। किताब आप तक पहुंच जाएगी। जो लोग एक से ज्यादा किताबें मंगवाना चाहते हों उनके लिए ये विकल्प सस्ता पड़ेगा। फिर भी कोई दिक्कत आती है तो नीरज मित्तल जी से- 8800139684 और 9312869947 पर संपर्क कर सकते हैं।
जन्मदिन की पूर्व संध्या पर आईआईएमसी के दिल्ली वाले साथियों का मिलन का कार्यक्रम बन गया था। संगीता ने अपने घर पर ये आयोजन रखा था। संजोग ये भी था कि आज ही शाम पांच बजे मेरी पहली किताब छपकर आई- बखरी… कहानी घर आंगन की।
किताबों के विमोचन, अनावरण के लिए लोग बड़े बड़े आयोजनों की सोचते हैं, लेकिन मेरे लिए 28 साल पुराने मेरे 11 मित्रों का समागम का अवसर ही बहुत बड़ा था। किताब की पहली प्रति मैंने भगवान को अर्पित की। एक और प्रति श्रीमती जी ने भगवान को अर्पित की। इसके बाद मित्रों के बीच किताब का अनावरण हुआ। पहली प्रति संगीता तिवारी को और दूसरी अमरेंद्र किशोर को। ये दोनों मेरे बहुत खास मित्र हैं। संगीता सहपाठी है तो कुछ बहन वाला भी रिश्ता है, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के मेरे करियर की गाइ़ भी रही है। अमरेंद्र किशोर की आठ किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। बहुत बड़ा लिक्खाड़ है।
इसके बाद सभी साथियों के साथ किताब को लेकर तस्वीरें खिचाई गईं। सुप्रिय प्रसाद, सुभाष, संगीता अमरेंद्र, अमन, राजीव रंजन, उत्पल, प्रमोद चौहान, पवन जिंदल, अनीता के साथ महफिल का आनंद आ गया। प्रभात सर ने किताब के एक चैप्टर का पाठ किया तो ये मेरे लिए बहुत ही अनमोल क्षण था।
जिस उत्साह के साथ सहपाठी मित्रों ने इस किताब की अगवानी की, उससे मैं अभिभूत हूं। सबके लिए मैंने किताब में कुछ लिखा तो लेखक वाली फीलिंग आई। मित्रों ने तत्काल पेमेंट भी किया। सार ये था कि अगर मित्र किताब नहीं खरीदेंगे तो क्या दुश्मन खरीदेंगे..?
मेरी पहली किताब अब आपके सामने है। ये बखरी आपकी है, इस बखरी में वर्णित कहानियां आपकी हैं, ये परिवार आपका है। मैं चाहता हूं कि जिन लोगों ने मेरी फेसबुक पोस्ट को चाहा और सराहा है, वो ये किताब जरूर पढ़ें। ये उन्हें अपने आसपास की ही लगेगी। किताब खरीदने के सारे विकल्प मैंने इससे पहले वाली पोस्ट में लिख दिए हैं। फिर भी अमेजन का लिंक मैं शेयर कर रहा हूं। अगर आप ये किताब पढ़ेंगे तो मेरे लिए जन्मदिन पर ये आपकी तरफ से अनुपम भेंट होगी। अगर किताब आपको पसंद आई तो मेरी तरफ से ये आपके लिए रिटर्न गिफ्ट होगा।
Link – https://www.amazon.in/Bakhari-Kahani-Ghar-Aangan-Ki/dp/8176674605/