यशवंत सिंह-
भड़ास हमले के बीच में है। इसे सिक्योरिटी लेयर दिया गया है। आप कोई भी लिंक क्लिक कर पढ़ने जाएँगे तो क्लाउडफ्लेयर तुरंत ये चेक करेगा कि आप कहीं स्पैम तो नहीं हैं, कहीं बॉट तो नहीं हैं। इसलिए इस सिक्योरिटी को सहजता से लीजिए। डिजिटल दौर जितना आगे बढ़ेगा, इसमें काम करने की मुश्किलें भी उतनी ही बढ़ेंगी। नोएडा के साइबर क्राइम थाना को एफ़आईआर के लिए मेल किया लेकिन दर्ज नहीं हुआ। एफ़आईआर नहीं दर्ज होना सामान्य बात है। दर्ज हो गई होती तो ये बड़ी बात होती। साइबर अपराध की एफआईआर दर्ज कराने के लिए एक ऑनलाइन वेबसाइट है सरकार की। इसमें मोबाइल नंबर वैलिडेट करना होता है। हम ओटीपी का इंतज़ार करते रह गए। फिर बेटे से कहा तुम ऑनलाइन कंप्लेन फाइल कर दो। वो भी बोला ओटीपी ही नहीं आ रहा है। सही भी है। otp आ जाएगा तो बहुत से लोग साइबर अपराध का मुक़दमा दर्ज करा देंगे। फिर अपराध का डेटा तो बढ़ेगा ही, साइबर क्राइम देखने वाले विभाग के लोगों को काम भी करना होगा। इसलिए न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी।
हम लोगों की वेबसाइट का सर्वर अभी तक मुंबई में था। सर्वर के लेवल पर भी दिक़्क़त होने लगी तो समझ आया बहुत सुनियोजित तरीक़े से हर जगह अटैक किया जा रहा है, दबाव में लिया जा रहा है, ख़रीदा जा रहा है। पूरी रात आज सर्वर ट्रांसफ़र का काम हुआ। नये अमेरिकी सर्वर में कई क़िस्म के बॉट अटैक से निपटने की सुविधा है।
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