बच्चों का आधा टिकट और वरिष्ठ नागरिकों की छूट खत्म करने वालों ने आयुष्मान कार्ड का वादा किया, लेकिन अखबारों में सिर्फ प्रशंसा है, विपक्ष का यह सवाल, पिछले वादों का क्या हुआ? दब गया है। घोषणा पत्र में कुछ होता तो समझिये अखबारों ने क्या नहीं बताया होगा।
संजय कुमार सिंह
आज के अखबारों में भाजपा के घोषणा पत्र की खबर लीड है। आइये आज इसी को देखते हैं। किसने, कैसे, क्या छापा की चर्चा में आप घोषणा पत्र को भी जान जायेंगे। यहां यह याद रखना जरूरी है कि कांग्रेस के घोषणा पत्र में प्रधानमंत्री को मुस्लिम लीग की छाप दिखी थी और वे अयोध्या के कार्यक्रम में कांग्रेस के शामिल नहीं होने को धार्मिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर उसका जवाब है लेकिन सोशल मीडिया को भी प्रभावित करने की कोशिशें चल रही हैं। इस क्रम में ट्वीटर (अब एक्स) के मालिक यहां इलेक्ट्रिक कारें बनाने की संभावना तलाशने के लिए आम चुनाव के बीच में भारत के दौरे पर होंगे। वरिष्ठ पत्रकार प्रशांत टंडन ने लिखा है, ट्वीटर सोशल मीडिया का प्रभावशाली प्लेटफॉर्म है और चुनाव पर भी असर डाल रहा है। चुनाव आयोग को इलॉन मस्क की भारत यात्रा को चुनाव के बाद तक लिये स्थगित कराना चाहिये।
यही नहीं, खबर यह भी है कि सरकार ने दो यू ट्यूब चैनल बंद करा दिये हैं। प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने न सिर्फ इसकी निन्दा की है बल्कि यू ट्यूब चैनल को ब्लॉक करने के आदेश का कारण भी बताने के लिए कहा है। प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने इसे तुरंत खत्म करने की मांग की है। यहां मुद्दा यह है कि यू ट्यूब चैनल (या उन्हें चलाने वाले) अगर कुछ गलत कर रहे हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिये। कार्रवाई नहीं करके सरकारी दबाव डालकर चैनल ब्लॉक करने या उसकी रिपोर्ट हटवाने का मतलब कोई भी समझ सकता है कि रिपोर्ट सरकार को परेशान करने वाली है इसलिए सरकारी ताकत का बेजा इस्तेमाल किया जा रहा है और यह ऐप्पल के अलर्ट में उपयोग किये जाने वाले शब्दों तक पर लगाया गया है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि सरकार इसके लिए बाकायदा नियम बनाना चाहती है और फैक्ट चेक यूनिट बनाकर किसी खबर को फेक या गलत बताकर उसके आदेश पर खबरें हटवाने की स्थायी व्यवस्था करने की कोशिश कर चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया है।
इंडियन एक्सप्रेस
यह खबर पांच कॉलम में लीड है। घोषणा पत्र जारी किये जाने के मौके पर प्रधानमंत्री ने जो कहा वह मुख्य शीर्षक है। इसके साथ घोषणापत्र की खबर एक्सप्रेस एक्सप्लेन्ड में है। इसके अनुसार, 10 साल से, घोषणापत्र में निरंतरता का संकेत है : कल्याण का विस्तार और संरचना तथा संरचना का उन्नयन। इसका उपशीर्षक है, एनआरसी का कोई उल्लेख नहीं, यूसीसी का लक्ष्य दोहराया गया। मुख्य शीर्षक है, वैश्विक अशांति के बीच भारत को स्पष्ट बहुमत वाली स्थिर सरकार की जरूरत : मोदी।
हिन्दुस्तान टाइम्स
यहां घोषणापत्र की खबर को महत्व दिया गया है और मुख्य शीर्षक घोषणा पत्र पर आधारित है। इस मौके पर प्रधानमंत्री और मुख्य प्रचारक के भाषण को अलग से तीन कॉलम में छापा गया है। चार कॉलम की मुख्य खबर का शीर्षक है, मोदी की गारंटी वाले घोषणा पत्र में यूसीसी, सीएए, एक चुनाव के साथ। भाषण की खबर का शीर्षक है, हम फोकस रिफॉर्म (सुधार), परफॉर्म (प्रदर्शन), ट्रांसफॉर्म (बदलाव) पर रखेंगे : मोदी।
इंडियन एक्सप्रेस ने घोषणा पत्र के बारे में चाहे जो बताया हो हमें इस तथ्य का याद रखना चाहिये कि देश में गैर कांग्रेसी सरकारों के सबसे बड़े, बहुप्रचारित, ईमानदार और सबसे ज्यादा प्रशंसक तथा ईमानदार की छवि रखने वाले नरेन्द्र मोदी का सच यही है कि वे भ्रष्टाचार दूर करने के वादे पर सत्ता में आये थे, जिन्हें भ्रष्टाचारी बताया उनमें से किसी का भ्रष्टाचार साबित नहीं हुआ और झूठे आरोप लगभग साबित हो चुके हैं। इसके बावजूद 100 दिन में कालाधन वापस लाने, 50 दिन में सपनों का भारत बनाने और झोला उठाकर चल दूंगा जैसी छवि गढ़ने का जो हुआ सो हुआ अब यह कहा जा रहा है कि ट्रेलर है, स्टार्टर है और फिल्म तो 2047 तक चलेगी आदि आदि। ऐसे में रिफॉर्म, परफॉर्म, ट्रांसफॉर्म पर ध्यान देने की बात करके तीसरे कार्यकाल की उम्मीद करना जनता को कुछ ज्यादा ही भोला समझना है।
हिन्दुस्तान टाइम्स के शीर्षक से लग रहा है कि घोषणा पत्र में कुछ है नहीं। अगर घोषणा पत्र में कुछ और हो जो इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण है तो शीर्षक वही होना चाहिये था। अगर वाकई कुछ हुआ तो उसका पता दूसरे अखबारों से भी चल जायेगा। यहां एक और बात महत्वपूर्ण है, नरेन्द्र मोदी ने जब कांग्रेस के घोषणा पत्र में मुस्लिम लीग की छाप देखी थी और मीडिया ने उसे पूरा प्रचार दिया था तो भाजपा के घोषणा पत्र पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया को भी वैसा ही प्रचार या महत्व दिया जाना चाहिये। हिन्दुस्तान टाइम्स में यह लीड के साथ सिंगल कॉलम में है। खबर के अनुसार विपक्षी दलों ने इसे जुमला पत्र कहा है और भाजपा से मांग की है कि वह अपने पुराने वायदे बताये। जाहिर है, जनहित में अखबारों के लिए जो मुद्दा होना चाहिये उसे कांग्रेस को पूछना और बताने के लिए कहना पड़ रहा है।
टाइम्स ऑफ इंडिया
मुख्य शीर्षक है, “भाजपा मोदी के रिकार्ड के भरोसे, रेवड़ी की पेशकश नहीं, 2047 तक विकसित देश की प्रतिज्ञा”। इसके साथ कई छोटी खबरें हैं पर विपक्ष की प्रतिक्रिया नहीं है। इंट्रो है, घोषणापत्र में वन नेशन, वन पॉल, वन रॉल का वादा। आप जानते हैं कि प्रधानमंत्री ऐसे जुमले बनाने के विशेषज्ञ हैं और तमाम नारे व नाम हिन्दी में है। यहां तक कि विदेश मंत्रालय भी ग्लोबल प्रवासी रिश्ता पोर्टल और प्रवासी रिश्ता पोर्टल जैसे हिन्दी के नाम और पोर्टल चला रहा है। यही नहीं ऑपरेशन इनसानियत, ऑपरेशन समुद्र मैत्री, पहले पड़ोस जैसी योजनाएं विदेश मंत्रालय की हैं। ऐसे में पॉल के साथ रॉल का मतलब मतदाता सूची से है या जनगणना रजिस्टर में नाम वाली सूची से यह पहले पन्ने पर जितनी खबर है उससे पता नहीं चला। हिन्दी में हमलोग अग्रेजी शब्द का उपयोग करते हैं तो एक बार उसकी हिन्दी सबसे पहले लिख देते हैं जैसे ऊपर लिखा है। लेकिन टाइम्स ऑफ इंडिया ने चुनाव घोषणा पत्र के वादे – वन नेशन, वन पॉल, वन रॉल का मतलब अंग्रेजी में भी नहीं लिखा है।
इसके साथ जो खबरें हैं उनमें एक शीर्षक, उच्च विकास, निम्न मुद्रास्फीति पर फोकस है। इसमें बताया गया है कि किस क्षेत्र में क्या है। मैं आपको संबंधित क्षेत्र बता देता हूं आप समझ जायेंगे कि कौन से क्षेत्र छोड़ दिये गये है। जो क्षेत्र हैं उनमें रक्षा (डिफेंस) और नेशनल सुरक्षा, शिक्षा, अर्थव्यवस्था, शासन, आवास, कृषि और विनिर्माण शामिल है। एक खबर का शीर्षक है, यूसीसी, सीएए एजंडा में है, एनआरसी पर कुछ नहीं। आयुष्मान भारत 70 साल से ऊपर सबको कवर करेगा। अंदर एक खबर होने की सूचना है, भाजपा ने पेपर लीक के खिलाफ सख्त कार्रवाई का प्रण किया। परीक्षा के प्रश्नपत्र और उसमें भी नौकरी की परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक होना भारत में एक गंभीर समस्या है और लंबे समय से है। इसमें भ्रष्टाचार की भी भूमिका है और इस कारण रोजगार देने में भी दिक्कत है। सरकार के ट्रेलर और स्टार्टर में यह नहीं था। दावा है कि 2024 जीतने के बाद फिल्म चली तो उसमें रहेगा।
द हिन्दू
घोषणापत्र पेश करने के मौके पर प्रधान प्रचारक का भाषण लीड है, घोषणा पत्र की खबर तीन कॉलम में है। इसका शीर्षक है, भाजपा के घोषणापत्र में एनआरसी नहीं है, कहा सीएए लागू करेगी। मुख्य खबर का शीर्षक है, भाजपा के घोषणापत्र के लोकार्पण पर मोदी ने कहा, एक मजबूत सरकार की जरूरत है।
द टेलीग्राफ
पहले पन्ने पर दो कॉलम की खबर है एक कॉलम में कवर की फोटो और एक कॉलम में शीर्षक है, एक सिविल कोड, एक चुनाव एनआरसी पर चुप्पी।
अमर उजाला
मोदी की गारंटी के प्रचार और घोषणा पत्र को भी मोदी की गारंटी कहे जाने के बावजूद अमर उजाला ने घोषणा पत्र को भाजपा का वादा कहा है और पहले के वादों (जुमलों) के बारे में विपक्ष के सवाल की खबर यहां पहले पन्ने पर शीर्षक के साथ सिंगल कॉलम की सात लाइनों में है। मुख्य शीर्षक है, समान नागरिक संहिता, एक देश एक चुनाव, 70 साल के बुजुर्गों को आयुष्मान कार्ड। आप जानते हैं कि वरिष्ठ नागरिकों को रेल यात्रा में मिलने वाली छूट खत्म कर दी गई है, बच्चों के लिए आधा टिकट नहीं है पर बुजुर्गों के लिए आयुष्मान कार्ड देने का वादा या गारंटी है। इसका मतलब यही है कि कार्ड सबको दे भी दिया जाये तो उपयोग वही करेगा जो बीमार होगा या जिसे जरूरत होगी। रेलवे की छूट का मतलब भी वही था पर रेलवे की एक सुविधा बंद करके दूसरे विभाग द्वारा दी जाने वाली सुविधा शुरू झांसा नहीं तो क्या है? उपशीर्षक है, घोषणा पत्र में भारत को विकसित राष्ट्र बनाने समेत ममोदी की 24 गारंटी।
कहने की जरूरत नहीं है कि 100 दिन में विदेश से आने वाला काला धन 10 साल में भी आ गया होता तो इस गारंटी का मतलब था लेकिन प्रचारक उसे भूल कर नये प्रचार में लग गये हैं। मीडिया भी इससे आंख मूंदे नये प्रचार में लगा है। ऐसा ही एक और वादा है, घर घर पाइप लाइन। आप जानते हैं कि अभी भी हर घर में पानी का पाइप नहीं है। देश भर में महिलाएं गर्मियों में पीने का पानी कितनी दूर से ढोकर लाती हैं इसकी खबर छपती रहती है फिर भी व्हाट्सऐप्प पर घर-घर पानी पहुंचाने का प्रचार किया जाता है और अब गैस पहुंचाने का दावा है। तथ्य यह है कि यह व्यवसाय है। अब खाना पकाने की गैस पाइप से घर तक पहुंचाई जा सकती है और पैसे लेकर पहुंच रही हैं। उसमें सरकार को क्या करना है और उसके दावे का क्या मतलब है आप समझ सकते हैं। प्रचार पर क्या बोलूं।
यही नहीं, लोकतंत्र के लिए जरूरी और मजबूत व स्वतंत्र कार्यपालिका, विधायिका न्यायापालिका और मी़डिया को मजबूत करने की जगह सरकार ने युवा शक्ति, नारी शक्ति, गरीब और किसान को सशक्त करने का वादा किया है। इनमें किसान मतलब अन्नदाता ही हैं और वहीं हैं जिन्हें दिल्ली में घुसने से रोकने के लिए सड़कों पर दीवार खड़ी कर दी गई थी और कील लगाई गई थी। ड्रोन से आंसू गैसे के गोले बरसाये गये थे।
नवोदय टाइम्स
प्रधानमंत्री ने जारी किया भाजपा का संकल्प पत्र (फ्लैग शीर्षक है) इसके बाद मुख्य शीर्षक है, पूरे देश में यूसीसी का दावा। इसके साथ बताया गया है घोषणा पत्र में ज्ञान पर फोकस है और ज्ञान के जी यानी गरीब, वाई यानी युवा, ए यानी अन्नदाता (किसान) और एन का मतलब नारी शक्ति से है। इस ज्ञान पर मुझे याद आता है कि द टेलीग्राफ में कंगना रनौत पर अपने लेख में रुचिर जोशी ने एक शब्द का उपयोग किया था एंटी नॉलेज। मुझे लगता है कि इसके लिए हम गौमाता और गोबर ज्ञान के सम्मान में गौज्ञान शब्द का इस्तेमाल कर सकते हैं। अंग्रेजी की तो सीमा है पर हिन्दी में गौज्ञान व्हाट्सऐप्प यूनिवर्सिटी वाले ज्ञानियों के लिए भी उपयुक्त हो सकता है। हम उन्हें ज्ञानी तो नहीं कह सकते पर गोज्ञानी कह सकते हैं। 2014 में देश की नई आजादी के बाद मोरनी मोर के आंसू से गर्भवती होती है जैसा ज्ञान बहुत चर्चित हुआ है।
अगर आप अपने बच्चों को गोज्ञानी नहीं बनाना चाहते हैं तो ऐसे सवालों को आप गोज्ञान कहकर टाल सकेंगे। जो वह पढ़ाई पूरी करने के बाद व्हाट्सऐप्प यूनिवर्सिटी से प्राप्त कर सकेगा। कुल मिलाकर देश में जब ज्ञान ही संकट में है तो भाजपा का यह ज्ञान प्रोजेक्ट चाहे जितना महत्वपूर्ण हो, सिर्फ नवोदय टाइम्स में प्रमुखता से है। सोशल मीडिया पर भाजपा के इस घोषणा पत्र (मोदी की गारंटी) की तुलना कांग्रेस के घोषणापत्र, न्याय पत्र से की जा रही है। इसमें दोनों के कवर पेज की भी चर्चा शामिल है। घोषणापत्र के बाद आइये आज के अखबारों की कुछ खबरों की चर्चा हो जाये जिससे भाजपा सरकार, डबल इंजन और उसके काम काज, रणनीति और प्रभाव का अंदाज लगे। अंतरराष्ट्रीय खबरों में ईरान का हमला और इजराइल द्वारा नाकाम किया जाना तो है ही।
इसमें महत्वपूर्ण है कि प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने बदले की कार्रवाई की चेतावनी दी है। नवोदय टाइम्स की खबर है, ईरान ने इजराइल पर 300 ड्रोन और मिसाइल दागी, 99 प्रतिशत हवा में नष्ट। द टेलीग्राफ का शीर्षक है, ईरान ने लंबा छाया युद्ध बढ़ाया। आज एक और महत्वपूर्ण खबर फिल्म अभिनेता सलमान खान के घर पर हमले की है। इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार जेल में बंद गैंगस्टर लारेंस बिसनोई के भाई अनमोल बिसनोई ने इस घटना की जिम्मेदारी ली है। इससे आप समझ सकते हैं कि भाजपा राज में गुंडों-बदमाशों के थर-थर कांपने की हकीकत क्या है या हो सकती है। सीसीटीवी फुटेज के अनुसार दो लोगों ने मोटरसाइकिल से गोलियां दागीं। इनमें एक विशाल बताया जा रहा है।
मोदी सरकार सड़क बनाने का दावा तो करती है लेकिन सड़क दुर्घटनाएं कम करने के लिए लगभग कुछ नहीं किया है। सड़क के अनुपात में दुर्घटनाएं नहीं बढ़नी चाहिये पर दो तीन दिन से दुर्घटना की खबरें भी आ रही हैं। द हिन्दू ने आज अपनी एक खबर में बताया है कि मणिपुर में स्थिति ठीक करने के सरकार के दावे के बावजूद मणिपुर में हिंसा हुई, हाल में दो लोगों को मार दिया गया था पर अभी भी एफआईआर तक नहीं हुई है। शव तो नहीं ही लोटाये गये हैं। यह खबर आज सिर्फ द हिन्दू में है। इंडियन एक्सप्रेस में भी एक खबर है जो किसी और अखबार में पहले पन्ने पर नहीं है। इसके अनुसार, तृणमूल कांग्रेस को श्रद्धा चिटफंड केस से आरोपी, पूर्व सांसद की फर्मों से जुड़ी फर्मों ने तीन करोड़ रुपये दिये हैं।
अब आप निश्चिंत रह सकते हैं कि इलेक्टोरल फंड से सिर्फ भाजपा को नहीं टीएमसी को भी पैसे मिले हैं। मुद्दा यह है कि भाजपा ने वसूली की है और दूसरे दलों को चंदा या दान मिला है। अमित शाह ने झूठ बोलकर इस मामले को उलझाया और अखबारों ने स्पष्ट करने की बजाय दूसरे दलों को मिले चंदे बताये और ऐसे जैसे सबको मिला है। यहां मुद्दा वसूली है और उसे चंदा बना दिया गया। वसूली अगर गलत है तो कार्रवाई वसूली करने वाले हर सत्तारूढ़ दल के खिलाफ की जानी चाहिये। पर लोग दूसरे दलों पर कार्रवाई की बात नहीं करते वे चाहते हैं कि भाजपा के खिलाफ कार्रवाई की बात नहीं की जाये और मीडिया के सहयोग से यही हो रहा है।