कोर्ट ने बिजनौर पुलिस को आठ सप्ताह के अन्दर जांच रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के दिये आदेश… यूफलेक्स के चेयरमेन अशोक चतुर्वेदी का भी नाम उछला… दैनिक भास्कर नोएडा व लखनऊ संस्करण एक बार फिर कानूनी दांव पेंच में फंस गया है। बिजनौर के एक पत्रकार का वेतन व विज्ञापन के कमीशन का भुगतान न करने, अपहरण करने का प्रयास और जान से मारने की धमकी देने के मामले में बिजनौर के सीजीएम ने दायर एक याचिका की सुनवाई के बाद आठ हफ्ते के अन्दर जांच कर रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष पेश करने के आदेश बिजनौर पुलिस को जारी किये हैं।
इस पूरे प्रकरण में दैनिक भास्कर नोएडा व लखनऊ के प्रधान सम्पादक दीपक द्विवेदी, समूह सम्पादक ज्ञानेन्द्र पांडेय, लखनऊ संस्करण के सम्पादक राजेन्द्र बहादुर सिंह, मुद्रक एवं प्रकाशक ललन मिश्रा व प्रसार प्रबंधक अनिल वर्मा को पार्टी बनाया गया है। बिजनौर नगीना निवासी पत्रकार शहजाद अंसारी ने पहले पुलिस के समक्ष इस मामले को पेश किया लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। इसके चलते पत्रकार शहजाद ने इस पूरे मामले को बिजनौर नगीना स्थित एसीजेएम कोर्ट में में याचिका के जरिए पेश किया। सुनवाई के बाद कोर्ट ने पुलिस को आठ हफ्तों में पूरे मामले की रिपोर्ट न्यायालय पेश करने के आदेश दिए हैं।
पत्रकार शहजाद अंसारी की ओर से याचिका में कहा गया है कि वह 21 जून 17 से दैनिक भास्कर नोएडा से संबद्ध बिजनौर जनपद में ब्यूरो चीफ के पद पर रहा है। अपने कार्यकाल के दौरान उसने दैनिक भास्कर नोएडा के मालिक संजय अग्रवाल के कहने पर पूर्व में बिजनौर प्रभारी रहे इकबाल अहमद व फुरकान मलिक के खिलाफ 01 जनवरी 17 को दैनिक भास्कर का फर्जी एडिशन व फर्जी बिल बुक छापने का मुकदमा नजीबाबाद में दर्ज करवाया। कोर्ट में पेश न होने पर आरोपियों के खिलाफ आज भी गिरफ्तारी वारंट चल रहे हैं।
इसी बीच पिछले वर्ष 01 मार्च 18 को दैनिक भास्कर नोएडा व लखनऊ संस्करण का शीर्ष प्रबंधन बदल गया और नये प्रबंधकों को अखबार की जिम्मेदारी मिल गयी। आरोप है कि इन लोगों ने दैनिक भास्कर की फर्जी कॉपी छापने के आरोपियों पर से मुकदमा खत्म कराने के लिए शहजाद अंसारी पर मुकदमा वापस लेने का दबाव बनाया। जब शहजाद दबाव में नहीं आया तो खुन्नस में बिना किसी नोटिस व बिना हिसाब किताब किए शहजाद अंसारी को हटाने की सूचना 18 अक्टुबर 18 दैनिक भास्कर नोएडा के संस्करण में प्रकशित कर दी। जिस लखनऊ संस्करण में शहजाद अंसारी ने कभी काम भी नहीं किया उसमें भी प्रथम पेज पर शहजाद को हटाने की सूचना प्रकाशित करा दी। हालांकि बाद में कोर्ट में लिखित रूप में संपादक ने ग़ल्ती कुबूल की।
जब शहजाद अंसारी ने बकाया वेतन और विज्ञापन कमीशन सम्बंधी पत्र भेजा तो 17 जनवरी 2019 को प्रबंधन ने पैसे देने से इनकार करते हुए कहा कि अब दैनिक भास्कर का मूल मालिक संजय अग्रवाल से कोई मतलब नहीं है। अब यह अखबार यूफलेक्स कम्पनी के अशोक चतुर्वेदी ने ले लिया है।