ऋषिकेश। एक राष्ट्रीय अखबार के धरतीपकड़ ब्यूरो इंचार्ज इन दिनों बीमारी के कंधे पर चढ़कर वसूली में जुटे हैं।
विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक ब्यूरो इंचार्ज महोदय के ससुर ऋषिकेश से सटे एक बड़े अस्पताल में अपना इलाज करवा रहे हैं। वे आर्थिक रूप से सम्पन्न भी हैं। लिहाजा उन्हें औरों से टके भर की भी जरूरत नहीं है। स्वाभिमानपूर्वक नौकरी करने के बाद सेवानिवृत्त हैं। अच्छी खासी पेंशन सरकार की ओर से मिलती है।
शर्मनाक वाकया ये है कि ऋषिकेश में कार्यरत राष्ट्रीय अखबार के ब्यूरो इंचार्ज ने अपने वृद्ध ससुर की बीमारी को अपनी अवैध कमाई का जरिया बना लिया है।
ससुर के भर्ती होते ही ब्यूरो इंचार्ज का शैतानी दिमाग घूम गया और शहर के व्यापारियों से लेकर, ठेकेदारों यहां तक कि ख़ाकीधारियों से भी भीख का अभियान छेड़ दिया।
दानदाता भी बेचारे मन में कोसते हुए अपने हिस्से का चंदा ब्यूरो इंचार्ज महोदय को टिकाते गए।
नतीजा ये निकला कि कोविड काल में ब्यूरो इंचार्ज ने करीब सात लाख रुपये चंद दिनों की मेहनत से वसूल डाले।
दुखद पहलू ये है कि बीमार पड़े ससुर को अपने पत्रकार दामाद की फितरत का अब तक पता नहीं है।
ये ब्यूरो इंचार्ज काफी समय से ऋषिकेश में जमा है। इन महानुभाव को कम्प्यूटर टाइपिंग तक नहीं आती है, लेकिन उनकी वसूली के हुनर से पूरा शहर हैरान है।
शहर भर में इस निर्लज्ज हरकत की चर्चा है।
कहने को तो ये पत्रकार अब तक नामचीन अखबार ग्रुप में आनरोल नहीं हो पाया है फिर भी उगाही का कौशल बेजोड़ है। इसी के बूते उसने हाल ही में शहर में लाखों की जमीन भी खरीद डाली।
बताया जा रहा है कि ससुर की बीमारी ने उसे वसूली का जो सफल मौका मयस्सर किया, उस रकम से अब गगनचुम्बी इमारत के लिए नींव भरी जाएगी।
एक मीडियाकर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.