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ब्रजेश ठाकुर के अखबार को देखिए, ये नीतीश की तारीफ के लिए ही निकाला जाता रहा है

Dilip C Mandal : पत्रकार, भड़वा, दलाल और नीतीश कुमार! मुजफ्फरपुर बालिका गृह बलात्कार कांड का सरगना ब्रजेश ठाकुर बिहार का बहुचर्चित पत्रकार और संपादक भी है. हालांकि उसका मुख्य धंधा काफी गंदा था. ये काम भी वह स्वेच्छा से देह बेचने वालियों से नहीं, अपने बालिका गृह की मासूम लड़कियों से जबरन करवाता था. इसी में वो पकड़ा गया.

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नीतीश कुमार के ऑफिस से उसका काम चलता था. उसके अखबार को करोड़ों रुपए के सरकारी विज्ञापन नीतीश कुमार ने दिए. विज्ञापन देने वाले जनसंपर्क विभाग के प्रभारी मंत्री खुद नीतीश कुमार हैं. ये तार कुछ ज्यादा ही ऊपर तक पहुंच रहे हैं नीतीश बाबू. उसके अखबार को देखिए. ये नीतीश की तारीफ के लिए ही निकाला जाता रहा है.

Sushila Puri : बिहार.. मुजफ्फर पुर में अनाथ बच्चियों से बलात्कार कर कौन रहा था? ‘प्रातः कमल’ का मालिक ब्रजेश ठाकुर. कौन है ये ब्रजेश ठाकुर आइए आपको इनके बारे में थोड़ा डिटेल से बताते हैं– ब्रजेश ठाकुर मालिक है– हिंदी अख़बार ‘प्रातःकमल’ उर्दू अख़बार ‘हालात-ए-बिहार’ और अंग्रेज़ी अख़बार ‘न्यूज़ नेक्स्ट’ का..

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इसके अलावा वो समाज सेवा के लिए लड़कियों और महिलाओं के उत्थान के लिए पाँच ‘शेल्टर होम’ चलाता रहा है. जिसके लिए उसे बिहार सरकार से एक करोड़ रुपए की अनुदान राशि मिलती है. मुज़फ़्फ़रपुर ‘शॉर्ट स्टे होम’ के लिए उसे 40 लाख अलग से मिलता है.

इतना ही नहीं, यह आदमी एक वृद्धाश्रम भी चलाता है जिसके लिए 15 लाख सरकार की तरफ़ से मिलता है. और ‘सेल्फ़ हेल्प कम रहबिटेशन’ के नाम पर 32लाख ऊपर से और. अब आप ख़ुद ही अंदाज़ा लगाइए कि ऐसे रसूखदार आदमी के सामने किसी की भी हिम्मत है कि वो एक शब्द भी बोल सके..!

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बालिका गृह के आस-पास रहने वाले लोग बोलते है कि उन्हें बालिका गृह के अंदर से चीख़ने-रोने की आवाज़ें आती थी. मगर ब्रजेश ठाकुर के रौब के आगे वो कुछ पूछने तक की हिमाक़त नहीं कर सकते थे.

ब्रजेश ठाकुर के पहुँच का अंदाज़ा इसी से लगा लीजिए कि अभी उसका ये बालिका गृह सील हुआ है और अभी ही ‘भिखारियों के शेल्टर होम’ के लिए सरकार की तरफ़ से उसे टेंडर मिला है. जिसके तहत हर महीने उसे एक लाख रुपय मिलेंगे… ऐसे अपराधी को जल्द से जल्द सजा हो और उसके ये तमाम एनजीओ बन्द किए जाएँ.. बिहार-प्रशासन से इसकी मांग करती हूँ !

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Nirala Bidesia : एक अनाथालय कैसे चलता है मालूम है या सिर्फ किसी अनाथालय के चलने का मुजफ्फरपुर मॉडल भर ही जानते हैं कि सरकार पैसा देती है और बड़े लोग चलाते हैं? जो अनाथालय का सचिव,संस्थापक,अध्यक्ष होता है, वह बड़े समाजसेवी के रूप में जाना जाता है। ऐसा ही और इतना कुछ ही जानते हैं न? थोड़ा और जानना चाहिए। मुजफ्फरपुर से इतर भी जानना चाहिए,तब सामान्यीकरण कर के बात नही कीजिएगा।

सरकार, राजनीति की बात छोड़िए न, सिविल सोसायटी से रोज निपटना कितनी बड़ी चुनौती होती है, यह जानिएगा, तब जान पाइएगा। मुजफ्फरपुर, ब्रजेश ठाकुर, उस गैंग, गैंग के सरकारी संरक्षण के खिलाफ बोलिए, लिखिए, नये तथ्य भी लाइये लेकिन सामान्यीकरण नही कर दीजिए कि कल से अलग अलग संस्थानों में रह रही अनाथ लड़कियों का राह चलना भी मुश्किल हो जाये। सड़े हुए समाज मे पहले से ही उनके सामने मुश्किलें कम नही रहती,और चरस न बोइये। मुजफ्फरपुर, ब्रजेश आदि पर बात करते समय, उस बहाने सरकार,सरकारी सिस्टम आदि को निशाने पर लेते समय अपने मन मिजाज को भी जरा सम्भाले रखिए। यह करबद्ध निवेदन, विनम्र आग्रह, सादर अनुरोध है।

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सौजन्य : फेसबुक

इन्हें भी पढ़ें…

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https://www.youtube.com/watch?v=HyV9FscD1Dw

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