- इधर पुलिसिया आतंक से घबरा कर ऑनलाइन डिलीवरी करने वाली कंपनियों ने भी छोड़ दिया जनता का साथ
- फ्लिपकार्ट और अमेजॉन की तरह लगभग हर किसी ने करनी शुरू कर दी डिलीवरी में आनाकानी
- आसपास के दुकानदार भी घर पर सामान पहुंचाने से साफ कर रहे मना
- मजबूर होकर जनता जब निकल रही जरूरत का सामान लेने तो पुलिस वाले बजा दे रहे बिना पूछे लठ्ठ पर लठ्ठ
- सरकार या स्थानीय प्रशासन की तरफ से घर घर होने वाली सप्लाई सिर्फ घोषणा बनकर ही रह गई
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कुछ तस्वीरें आज नेट पर नजर आ रही थीं, जिसमें वह अयोध्या में राम मंदिर और नवरात्र की पूजा में तल्लीन दिखाई दिए। उनका ध्यान धर्म- कर्म और पूजा – पाठ पर होना स्वाभाविक ही है क्योंकि वह खुद सन्यासी भी हैं और उस पार्टी के अहम नेता भी , जिसकी विचारधारा और राजनीतिक लक्ष्य ही धर्म पर केन्द्रित हैं। चूंकि वह प्रदेश के मुख्यमंत्री भी हैं तो उनसे यह सवाल तो पूछना बनता ही है कि क्या उन्हें पता है कि प्रधानमंत्री के 21 दिनों के लॉक डाउन के तहत अपने अपने घरों में कैद उनके राज्य की जनता तक दूध, दवा, राशन आदि जरूरी व रोजमर्रा की चीजें पहुंच भी पा रही हैं या नहीं?
कहां तो उनका दावा यह आया था कि लोग परेशान न हों, उनके घरों तक सरकार हर जरूरत का सामान पहुंचाएगी। और कहां तो अब यह आलम है कि सरकार की तरफ से घर घर सप्लाई की कोई व्यवस्था होना तो दूर, मौजूदा ऑनलाइन कम्पनियां और दुकानदार या उनके कर्मचारी भी पुलिसिया आतंक के चलते घरों में सप्लाई देने से साफ मना कर रहे हैं।
अमेजॉन, फ्लिपकार्ट ने बाकायदा यही कारण बताते हुए अपनी ऑनलाइन डिलीवरी सेवा ही बंद कर दी है तो कई अन्य ऑनलाइन डिलीवरी सेवा प्रदाता कम्पनियां या तो सामान आउट ऑफ स्टॉक बता रही हैं या इतनी बाद की डेट दे रही हैं डिलीवरी की कि तब तक व्यक्ति भूखा ही मर जाएगा।
सिर्फ राशन या रोजमर्रा के खाने पीने का सामान ही नहीं बल्कि दवाई लेने या डॉक्टर को दिखाने जाने तक के लिए भी पुलिसिया दहशत के कारण कोई निकलने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। क्योंकि बाहर निकलते ही पुलिस बिना कुछ पूछे या बताने का कोई मौका दिए बगैर ही दे लठ्ठ पर लठ्ठ बजाने लग रही है या गाड़ियां जब्त करके पीट कर भगा दे रही है इसलिए पुलिस की दहशत से घरों में कैद लोग मजबूरन ऑनलाइन डिलीवरी करने वाली कंपनियों या आसपास के दुकानदारों से ऑनलाइन डिलीवरी की कोशिश करने में लगे हुए हैं। मगर पुलिसिया आतंक के चलते लगता है कि घरों तक सामान या दवा आदि पहुंचाने का निजी क्षेत्र का ऑनलाइन डिलीवरी तंत्र भी ध्वस्त हो चुका है।
उधर, योगी जी इन सबसे बेखबर धर्म- कर्म और पूजा – पाठ में तल्लीन हैं। जाहिर है , उनकी ही तरह बेफिक्री के साथ प्रदेश की तमाम जनता नवरात्र के शुभ अवसर पर अपने अपने घरों में पूजा पाठ आदि करने का सुकून तलाश रही है। मगर जिसके घर में दवा, इलाज, दूध या राशन / सब्जी आदि के लिए कोई तरस रहा हो , वह कैसे ऐसा सुख पा सकता है? भूखे भजन न होय गोपाला की कहावत बताने वाले इस देश में अब यदि भूखे रहकर ही भजन करने को यह सरकार मजबूर करेगी तो देखना यह होगा कि जनता अगले चुनाव में पेट और धर्म में से आखिर किसको तरजीह देने वाली है …
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भारत गोयल
March 25, 2020 at 7:32 pm
प्रशासन महामारी के इस दौर में निरंकुश होकर आम जनता पर लट्ठ बजा रहे हैं। किसी इंसान से कुछ पूछने से पहले ही उसमें डंडा बजाया जा रहा है। और गलती से किसी ने पलट कर कुछ कह दिया तो भाई उसकी तो शामत आ गई समझो। और इस स्थिति में न सरकार कोई सुनवाई करेगी न आला अधिकारी।
ambrish
March 26, 2020 at 1:59 pm
मुनाफाखोरी का नियमतीकरण किया जा रहा है। गरीब जो रोज कमा कर खाता है उसके व्यवसाय के सारे रास्ते बंद करा दिए और वो अगर सड़क पर आ रहा तो ऐसे पीटा जा रहा जैसे वो कोई अतिवादी हो। अगर सरकार , हाकिम , हमारे राजा (जिनकी हम प्रजा है) यह इत्मीनान करा सकते या कम से कम उनकी पेट की आग बुझाने का प्रबंध करा देते तो वो बेचारा पुलिस की लाठी खाने सड़क पर क्यों आता।