Connect with us

Hi, what are you looking for?

दिल्ली

मंत्रालयों और पीएसयू के मीडिया प्लान में दूरदर्शन और एआईआर को वरीयता दें

केंद्र ने अपने सभी मंत्रालयों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) को डीडी व एआइआर को तबज्जो देने की हिदायत दी है। सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सचिव बिमल जुल्का ने इस संबंध में सभी मंत्रालयों को एक पत्र भेजकर यह सुनिश्चित करने को कहा है कि मंत्रालयों व पीएसयू के मीडिया प्लान में दूरदर्शन और एआइआर को वरीयता दें। जुल्का ने कहा कि केंद्रीय मंत्रालय व पीएसयू, जिनका प्राथमिक टारगेट ऑडियंस (श्रोता/ दर्शक) ग्रामीण आबादी है, अपने मीडिया प्लान में डीडी और एआइआर को वरीयता नहीं दे रहे हैं। वे मीडिया पर खर्च करते समय निजी सेटेलाइट चैनल या न्यूज चैनलों को अधिक वरीयता देते हैं जिनका झुकाव उच्च सामाजिक-आर्थिक वर्ग के ऑडियंस के प्रति होता है जबकि डीडी और एआइआर का फोकस मुख्यत: समाज के कमजोर तबकों और महिला दर्शकों पर होता है।

<p>केंद्र ने अपने सभी मंत्रालयों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) को डीडी व एआइआर को तबज्जो देने की हिदायत दी है। सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सचिव बिमल जुल्का ने इस संबंध में सभी मंत्रालयों को एक पत्र भेजकर यह सुनिश्चित करने को कहा है कि मंत्रालयों व पीएसयू के मीडिया प्लान में दूरदर्शन और एआइआर को वरीयता दें। जुल्का ने कहा कि केंद्रीय मंत्रालय व पीएसयू, जिनका प्राथमिक टारगेट ऑडियंस (श्रोता/ दर्शक) ग्रामीण आबादी है, अपने मीडिया प्लान में डीडी और एआइआर को वरीयता नहीं दे रहे हैं। वे मीडिया पर खर्च करते समय निजी सेटेलाइट चैनल या न्यूज चैनलों को अधिक वरीयता देते हैं जिनका झुकाव उच्च सामाजिक-आर्थिक वर्ग के ऑडियंस के प्रति होता है जबकि डीडी और एआइआर का फोकस मुख्यत: समाज के कमजोर तबकों और महिला दर्शकों पर होता है।</p>

केंद्र ने अपने सभी मंत्रालयों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) को डीडी व एआइआर को तबज्जो देने की हिदायत दी है। सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सचिव बिमल जुल्का ने इस संबंध में सभी मंत्रालयों को एक पत्र भेजकर यह सुनिश्चित करने को कहा है कि मंत्रालयों व पीएसयू के मीडिया प्लान में दूरदर्शन और एआइआर को वरीयता दें। जुल्का ने कहा कि केंद्रीय मंत्रालय व पीएसयू, जिनका प्राथमिक टारगेट ऑडियंस (श्रोता/ दर्शक) ग्रामीण आबादी है, अपने मीडिया प्लान में डीडी और एआइआर को वरीयता नहीं दे रहे हैं। वे मीडिया पर खर्च करते समय निजी सेटेलाइट चैनल या न्यूज चैनलों को अधिक वरीयता देते हैं जिनका झुकाव उच्च सामाजिक-आर्थिक वर्ग के ऑडियंस के प्रति होता है जबकि डीडी और एआइआर का फोकस मुख्यत: समाज के कमजोर तबकों और महिला दर्शकों पर होता है।

उल्लेखनीय है कि दूरदर्शन देश के 92 प्रतिशत भू-भाग और 15 करोड़ परिवारों तक पहुंचता है। दूरदर्शन के पांच राष्ट्रीय चैनल व 11 क्षेत्रीय चैनल और इतने ही क्षेत्रीय भाषाओं के चैनल हैं। इसी तरह आकाशवाणी भी देश के 92 प्रतिशत भूभाग तथा 99.19 प्रतिशत आबादी तक पहुंचता है। आकाशवाणी 23 भाषाओं और 149 बोलियों में प्रसारण करता है। माना जा रहा है कि सरकार के इस कदम से दूरदर्शन और एआइआर की वित्तीय सेहत और सुधरेगी। सूचना प्रसारण मंत्रालय ने सभी मंत्रालयों को यह निर्देश ऐसे समय जारी किया है जब प्रधानमंत्री खुद सरकारी सूचना तंत्र को दुरुस्त करने पर जोर दे रहे हैं। उन्होंने हाल में आकाशवाणी पर ‘मन की बात’ कार्यक्रम के जरिये आम लोगों को संबोधित भी किया है। वह आगे भी रेडियो के जरिये राष्ट्र को संबोधित करने का इरादा जता चुके हैं। इसके अलावा सूचना प्रसारण मंत्रालय ने प्रत्येक मंत्रालय को उनसे संबद्ध पीआइबी के सूचना अधिकारियों को शीर्ष स्तरीय बैठकों में शामिल होने तथा निर्णय प्रक्रिया से अवगत कराने को भी कहा है।

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

भड़ास तक खबर सूचनाएं जानकारियां मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadas_Group_two

Advertisement

Latest 100 भड़ास

Advertisement

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement