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एतिहासिक बदलाव की आहट : बस शुरू होने को है ‘डिजिटल करेंसी’!

गिरीश मालवीय-

न्यू वर्ल्ड ऑर्डर का सबसे अहम ओर सबसे घातक हथियार सामने आ रहा है और वह है ‘डिजिटल करेंसी’।

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दरअसल कोरोना महामारी ने वैश्विक समाज के सभी क्षेत्रों, खासतौर पर अर्थव्यवस्था में जिन कमजोरियों को उजागर किया है। उससे पूंजीवाद के वर्तमान रूप क्रोनी कैपटलिज्म पर एक बड़ा संकट आ खड़ा है…..ओर इस संकट को दूर करने के लिए पूरे विश्व के विभिन्न देशों के रिजर्व बैंकों के बीच डिजिटल मुद्रा की दौड़ शुरू हो गई है।

यह कदम एक क्रांतिकारी परिवर्तन साबित होने जा रहा है अभी तक हम जिस जीवनशैली को जानते हैं उसमें नगदी यानी कागजी मुद्रा का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है लेकिन अब पूरी व्यवस्था ही बदलने जा रही है।

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दुनिया इस समय अपने पूरे इतिहास के सबसे बड़े आर्थिक और सामाजिक प्रयोग के बीच में है, इसमे इंटरनेट सबसे महत्वपूर्ण होकर उभरा है अब इस तकनीक के जरिए हमारे पूरे जीवन को पूरी तरह से डिजिटाइज करने की कोशिश कर रही है।

मार्च 2020 में विश्व अर्थव्यवस्था को जो जोरदार झटका लगा है उसका सबसे बड़ा असर मौद्रिक प्रणाली पर पड़ा है यह संकट सिर्फ नोट छापने और ब्याज दरों में कटौती से खत्म नही होने वाला है , न्यू वर्ल्ड आर्डर कहता है कि जो इस डिजिटल मुद्रा की तरफ अपने कदम नही बढ़ाएगा वह अपनी मुद्रा के बुरे से बुरे अवमूल्यन के लिए तैयार रहे।

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पिछले कई वर्षों से वित्तीय क्षेत्र मे हम पर डिजिटलीकरण थोपा जा रहा है नोटबन्दी का घोषित उद्देश्य काला धन रोकना नही बल्कि मुद्रा का डिजिटलीकरण करना था अब आश्चर्यजनक रूप से बैंक मर्ज किए जा रहे है शाखाएं बंद की जा रही हैं, नकदी को पीछे धकेला जा रहा है,

यह कोई कांस्पिरेसी थ्योरी नही है यह सच्चाई है !…. जिससे हमारे बुध्दिजीवी नजरे चुरा रहे हैं, कोरोना ऐसी व्यवस्था के लिए गोल्डन अपॉर्च्युनिटी लेकर आया है क्योंकि अर्थव्यवस्था उद्योगपतियों के कर्ज़ के बोझ के नीचे दबी हुई है और यह लोन डूब रहा है, मरता क्या न करता वाली सिचुएशन है।

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अब ब्रम्हास्त्र चलाने का समय है भारत का रिजर्व बैंक हमारे समय की अब तक की सबसे महत्वपूर्ण परियोजना पर काम कर रहे हैं वह है डिजिटल मुद्रा की शुरूआत।

अमेरिका में भी यूएस डॉलर को पूरी तरह से डिजिटल बनाने का विचार, जो कुछ साल पहले अकल्पनीय था अब तूल पकड़ता जा रहा है. डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन्स दोनों ने पारंपरिक कागजी डॉलर के साथ साथ अब ‘डिजिटल डॉलर’ पर विचार करना शुरू किया है…..लेकिन इस खेल में।अमेरिका अभी पीछे है।

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इस खेल में सबसे आगे है चीन जिसने कई महीने पहले ही डिजिटल युआन जारी कर दिया है दरअसल चीन में हाल के वर्षों में ऑनलाइन भुगतान की कई सेवाएं लोकप्रिय हुई हैँ। उनमें एन्ट ग्रुप का अली-पे और टेसेन्ट ग्रुप का वीचैट-पे सबसे लोकप्रिय हैं। (जैसे भारत में पेटीएम ) इनकी बढ़ती लोकप्रियता से चीन सरकार को ये अंदेशा हुआ कि देश में सारा वित्तीय लेनदेन निजी हाथों में जा सकता है। इसलिए उसका तोड़ उसने डिजिटल युआन के रूप में निकाला है।

लोग इतने भोले है कि उन्हें डिजिटल मनी ओर क्रिप्टो करंसी के बीच मूलभूत अंतर की समझ नही है वो इसे एक ही समझ रहे हैं दरअसल यह मुद्रा सेंट्रल बैंक ( भारत में रिजर्व बैंक ) द्वारा जारी डिजिटल करेंसी है, यह बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी नही है बल्कि यह उसके लगभग विपरीत है। क्योंकि क्रिप्टो करेंसी विकेंद्रीकृत होती है; वे सरकारों द्वारा जारी या समर्थित नहीं होती लेकिन, डिजिटल करेंसी को केंद्रीय बैंक द्वारा जारी और विनियमित किया जाता है और लीगल टेंडर के रूप में इसकी स्थिति की गारंटी राज्य द्वारा दी जाती है।

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यह क्रिप्टोकरंसी या पेटीएम जैसी नही है डिजिटल मुद्रा के अस्तित्व में आने के बाद कोई भी व्यापारी इसे स्वीकार करने से इनकार नहीं कर सकता।

दरअसल चीन द्वारा जारी डिजिटल मुद्रा डिजिटल युआन पूरी दुनिया मे डॉलर की बादशाहत को चुनौती देने की बड़ी कोशिश है पूरी दुनिया मे डिजिटल मुद्रा की रेस एक नए प्रकार के संघर्ष को जन्म दे रही है।

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1 Comment

1 Comment

  1. Sumit kumar

    July 31, 2021 at 9:22 am

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